महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में जल्द ही निःशुल्क IVF सुविधा शुरू होने वाली है। इससे निःसंतान दंपतियों को, जिनके लिए यह महँगा इलाज कराना संभव नहीं है, काफी राहत मिलेगी।
IVF (In Vitro Fertilization) एक ऐसी तकनीक है जिसके ज़रिए निःसंतान दंपतियों को माता-पिता बनने में मदद मिलती है। निजी अस्पतालों या क्लीनिकों में यह प्रक्रिया काफ़ी महँगी होती है। महाराष्ट्र में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के ज़रिए यह इलाज मुफ़्त उपलब्ध कराने से कई लोगों को लाभ होगा।
महाराष्ट्र में संतानहीनता से जूझ रहे दंपतियों के लिए राहत भरी ख़बर है। जल्द ही राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों (GMCH) में मुफ्त में IVF उपचार की सुविधा उपलब्ध होगी। निजी क्लीनिकों में जहाँ इस इलाज पर ₹2 लाख से अधिक ख़र्च आता है, सरकारी अस्पतालों में यह मुफ़्त होगा, जिससे आर्थिक रूप से कमज़ोर और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को विशेष लाभ होगा।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र में कुल प्रजनन दर (TFR) में गिरावट आई है। IVF जैसी तकनीकें इस समस्या का समाधान करने में मददगार सिद्ध हो सकती हैं।
सरकारी अस्पतालों में IVF केंद्र खोलने के लिए ₹64 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। राज्य के 9 सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों (GMCH) में पहले चरण में IVF केंद्र खोले जाएंगे। इसके अलावा, पहली बार राज्य के 8 अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी IVF केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार के इस फ़ैसले से महाराष्ट्र में उन हज़ारों दंपतियों को लाभ होगा जो आर्थिक तंगी के कारण IVF जैसा महँगा इलाज नहीं करा पाते हैं। इससे राज्य में प्रजनन दर को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।