Maharashtra Hikes Liquor Prices with New Policy: महाराष्ट्र, जहां शराब की खपत और इससे जुड़ा राजस्व हमेशा से चर्चा का विषय रहा है, अब एक नई आबकारी नीति (excise policy) के साथ सुर्खियों में है। 10 जून 2025 को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में शराब पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का फैसला लिया गया, जिससे शराब प्रेमियों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है। इस फैसले से न केवल शराब की कीमतों (liquor prices) में बढ़ोतरी होगी, बल्कि राज्य के खजाने में 14,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है। इसके साथ ही, आबकारी विभाग में कई नए बदलाव और पदों का सृजन भी किया गया है, जो इस नीति को और मजबूत बनाने की दिशा में एक कदम है।
महाराष्ट्र में शराब की बिक्री और उत्पादन से होने वाली आय राज्य सरकार के लिए एक बड़ा राजस्व स्रोत है। पिछले वित्तीय वर्ष में, 2023-24 में, आबकारी विभाग ने 23,250 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड राजस्व दर्ज किया था। इस बार, सरकार ने शराब पर लगने वाले शुल्क में बदलाव करके इस आय को और बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। नई नीति के तहत, भारत में निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) पर एक्साइज ड्यूटी में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसके परिणामस्वरूप, शराब की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी। उदाहरण के लिए, 180 मिलीलीटर की घरेलू शराब (country liquor) का न्यूनतम विक्रय मूल्य अब 80 रुपये होगा, जबकि महाराष्ट्र में निर्मित शराब (Maharashtra-made liquor) की कीमत 148 रुपये होगी। भारत में निर्मित विदेशी शराब (IMFL) का न्यूनतम विक्रय मूल्य 205 रुपये और प्रीमियम विदेशी ब्रांड्स की कीमत 360 रुपये तक होगी।
इस नीति का असर केवल कीमतों तक सीमित नहीं है। सरकार ने शराब के उत्पादन और बिक्री को और पारदर्शी बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। मंत्रिमंडल ने एक एकीकृत नियंत्रण प्रकोष्ठ (integrated control cell) की स्थापना को मंजूरी दी है, जो शराब उत्पादन इकाइयों, बॉटलिंग प्लांट्स और थोक लाइसेंस की निगरानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के जरिए करेगा। इस कदम से अवैध शराब की बिक्री और तस्करी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, मुंबई शहर, मुंबई उपनगर, ठाणे, पुणे, नासिक, नागपुर और अहिल्यानगर जैसे जिलों में छह अतिरिक्त अधीक्षक स्तर के कार्यालय खोले जाएंगे। साथ ही, मुंबई में एक नया संभागीय कार्यालय भी स्थापित किया जाएगा। इन कदमों से न केवल विभाग की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि कर संग्रह में भी सुधार होगा।
महाराष्ट्र में शराब की खपत का एक अनोखा पहलू यह है कि यह न केवल सामाजिक संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। नई नीति में एक नई श्रेणी शुरू की गई है, जिसे अनाज आधारित महाराष्ट्र निर्मित शराब (Maharashtra-made liquor) कहा जा रहा है। इस शराब का उत्पादन विशेष रूप से स्थानीय निर्माताओं द्वारा किया जाएगा, और इसके लिए नए पंजीकरण की जरूरत होगी। यह कदम स्थानीय उत्पादकों को प्रोत्साहित करने और राज्य के भीतर शराब उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया है। उदाहरण के लिए, पुणे के एक स्थानीय शराब निर्माता, राजेश पाटिल, ने बताया कि इस नई श्रेणी से छोटे उत्पादकों को बड़े ब्रांड्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
शराब की कीमतों में बढ़ोतरी का असर उन लोगों पर भी पड़ेगा जो होटल, रेस्तरां और बार में शराब का सेवन करते हैं। सरकार ने सीलबंद विदेशी शराब को होटल और रेस्तरां में अनुबंध के माध्यम से लीज पर चलाने की अनुमति दी है, जिस पर 10 से 15 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगेगा। इसका मतलब है कि अब बार और रेस्तरां में एक पेग की कीमत पहले से ज्यादा होगी। उदाहरण के लिए, मुंबई के एक लोकप्रिय बार में पहले 180 मिलीलीटर की आईएमएफएल की कीमत 300 रुपये थी, लेकिन अब यह 350 रुपये या उससे अधिक हो सकती है। यह बदलाव उन युवाओं को प्रभावित करेगा जो वीकेंड पर दोस्तों के साथ बार में समय बिताना पसंद करते हैं।
आबकारी विभाग को और मजबूत करने के लिए, मंत्रिमंडल ने 1,223 नए पदों को मंजूरी दी है। इन पदों में विभिन्न स्तर के कर्मचारी शामिल होंगे, जो शराब की बिक्री, उत्पादन और निगरानी से जुड़े कामों को संभालेंगे। यह कदम विभाग की कार्यक्षमता को बढ़ाने और अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने में मदद करेगा। साथ ही, नए कार्यालयों और पदों के सृजन से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जो खास तौर पर युवाओं के लिए एक अच्छी खबर है।
यह नीति केवल शराब की कीमतों और राजस्व बढ़ाने तक सीमित नहीं है। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि शराब की बिक्री और उत्पादन की प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे। एआई-आधारित निगरानी और नए कार्यालयों की स्थापना से यह सुनिश्चित होगा कि शराब की तस्करी और अवैध बिक्री पर नजर रखी जाए। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर उत्पादित शराब को बढ़ावा देने से न केवल आर्थिक विकास होगा, बल्कि महाराष्ट्र की पहचान को भी मजबूती मिलेगी।
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