महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगियों को बड़ा झटका लगा है। चुनाव में कांग्रेस के विधायकों की क्रॉस वोटिंग ने महाविकास आघाड़ी (MVA) की एकता को तोड़ दिया, जिससे बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति (NDA) के सभी नौ उम्मीदवारों ने जीत हासिल की।
कांग्रेस पार्टी अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पाई, जिससे MVA के एक उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा और दूसरे की जीत भी मुश्किल में पड़ गई। कांग्रेस के आधा दर्जन से अधिक विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, जिससे महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति (NDA) के उम्मीदवारों की राह आसान हो गई।
शिवसेना यूबीटी के उम्मीदवार मिलिंद नार्वेकर को कांग्रेस के छह वोटों की जरूरत थी, लेकिन उन्हें सिर्फ 22 वोट मिले, जिससे उनकी जीत मुश्किल हो गई। कांग्रेस के सात वोट बंट गए, जिससे MVA के एक प्रत्याशी को एक वोट कम मिला और एनसीपी (शरद पवार गुट) के उम्मीदवार जयंत पाटिल भी सिर्फ 12 वोटों पर अटक गए।
अजीत पवार की अगुवाई वाली एनसीपी ने अपने 42 विधायकों के साथ अतिरिक्त वोट हासिल किए। एनसीपी के दोनों उम्मीदवारों को कुल 47 वोट मिले, जिससे साफ हो गया कि कांग्रेस के पांच वोट अजीत पवार के गुट में चले गए। इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। अजीत पवार ने अपने विधायकों को एकजुट रखने और अतिरिक्त वोट हासिल करने में कामयाबी हासिल की, जिससे महायुति को फायदा हुआ।
कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग रोकने के लिए अपने विधायकों की बाड़ेबंदी नहीं की थी, जिससे पार्टी को भारी नुकसान हुआ। कांग्रेस का अति आत्मविश्वास और गड़बड़ी की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई। पार्टी नेताओं ने महायुति के विधायकों को होटल में रखने पर तंज कसा था, लेकिन अंत में महायुति ने खेला कर दिया। कांग्रेस का अति आत्मविश्वास और गड़बड़ी ने महाविकास आघाड़ी को बड़ी शिकस्त दिलाई।
महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में कांग्रेस की गड़बड़ी और अति आत्मविश्वास के कारण महाविकास आघाड़ी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। महायुति के उम्मीदवार आसानी से जीत गए, जबकि MVA को सिर्फ दो सीटों पर संतोष करना पड़ा। यह परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ी सीख है कि पार्टी को अपने विधायकों को एकजुट रखना कितना महत्वपूर्ण है। इस चुनाव ने कांग्रेस की आंतरिक समस्याओं और संगठनात्मक कमजोरियों को उजागर किया है, जो भविष्य में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।
इस प्रकार, महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव 2024 ने कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण सीख छोड़ी है। पार्टी को अपने संगठन को मजबूत करने और विधायकों की एकता बनाए रखने पर ध्यान देना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके।