महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव: महाराष्ट्र में 12 जुलाई को होने वाले 11 सीटों के द्विवार्षिक विधायक परिषद चुनावों के लिए पार्टियों ने अपने-अपने विधायकों को ‘सुरक्षित क्षेत्रों’ में भेजना शुरू कर दिया है। यह कदम क्रॉस-वोटिंग से बचने के लिए उठाया गया है।
पार्टियों की बैठकें और रणनीति
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुआई वाली एनसीपी ने बुधवार को अपने विधायकों के साथ बैठक की। भाजपा के विधायकों ने भी पार्टी मुख्यालय में पार्टी प्रभारी भूपेंद्र यादव से मुलाकात की। शिवसेना-यूबीटी के विधायक होटल आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल में एकत्र हुए, जबकि कांग्रेस ने 11 जुलाई को होटल इंटरकॉन्टिनेंटल में अपनी बैठक रखी।
विधायकों का ठहराव
- अजित पवार की एनसीपी के विधायक मुंबई के होटल ललित में ठहरेंगे।
- शिंदे की शिवसेना के विधायक बांद्रा के ताज लैंड्स एंड में रहेंगे।
- उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना के विधायक होटल आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल में रहेंगे।
- भाजपा के विधायक दक्षिण मुंबई के ताज प्रेसिडेंट में ठहरेंगे।
पिछली चुनाव की घटना
दो साल पहले हुए विधायक परिषद चुनावों में चौंकाने वाले नतीजे आए थे। कांग्रेस के चंद्रकांत हंडोरे की हार के बाद तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार भी गिर गई थी, क्योंकि एकनाथ शिंदे ने विद्रोह कर दिया था।
आगामी चुनाव और उम्मीदें
इस साल, विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्ष को उम्मीद है कि वे अतिरिक्त सीटें जीत सकते हैं। सत्तारूढ़ भाजपा ने पांच उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं, जबकि एनसीपी और शिवसेना ने भी अपने-अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं।
सीटों का बंटवारा और मतदान प्रक्रिया
27 जुलाई को सेवानिवृत्त होने वाले 11 एमएलसी में से चार भाजपा के, दो कांग्रेस के हैं, जबकि एनसीपी, शिवसेना, शिवसेना-यूबीटी, किसान और श्रमिक पार्टी तथा राष्ट्रीय समाज पार्टी के एक-एक एमएलसी हैं। इन 11 एमएलसी का चुनाव विधायकों के गुप्त मतदान के माध्यम से होता है।
चुनाव की प्रक्रिया
12 जुलाई को एमएलसी का चुनाव वरीयता मतदान प्रणाली के माध्यम से होगा। विजयी उम्मीदवार को निर्वाचित होने के लिए प्रथम वरीयता के 23 वोटों की आवश्यकता होगी। प्रत्येक पार्टी की ताकत के आधार पर सत्तारूढ़ गठबंधन को नौ सीटें जीतने का भरोसा है जबकि विपक्ष दो सीटें हासिल करने में सहज दिखाई देता है।
इस चुनाव में हर पार्टी अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि किस पार्टी की रणनीति सफल होती है और कौन इस चुनाव में जीत हासिल करता है।
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