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New Franking Limit: महाराष्ट्र सरकार ने फ्रैंकिंग सीमा को 10,000 रुपये तक बढ़ाया, अब दस्तावेजों पर 15 रुपये शुल्क

New Franking Limit: महाराष्ट्र सरकार ने फ्रैंकिंग सीमा को 10,000 रुपये तक बढ़ाया, अब दस्तावेजों पर 15 रुपये शुल्क

New Franking Limit: महाराष्ट्र के लोगों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। सरकार ने हाल ही में दस्तावेजों पर फ्रैंकिंग की सीमा को बढ़ाने का फैसला किया है। पहले यह सीमा 5,000 रुपये थी, लेकिन अब इसे दोगुना करके 10,000 रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि जिन दस्तावेजों पर 10,000 रुपये तक का स्टांप शुल्क देना होता है, उन्हें अब राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों में आसानी से फ्रैंकिंग (Franking) के जरिए पूरा किया जा सकता है। यह बदलाव न केवल लोगों के लिए सुविधाजनक है, बल्कि दस्तावेजों की प्रक्रिया को और सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस सुविधा के साथ एक छोटा सा अतिरिक्त शुल्क भी जुड़ा है। अब हर दस्तावेज के लिए 10 रुपये की जगह 15 रुपये का शुल्क देना होगा। आइए, इस बदलाव को और गहराई से समझते हैं।

फ्रैंकिंग (Franking) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कानूनी दस्तावेजों पर मशीन से स्टांप लगाया जाता है। यह स्टांप इस बात का सबूत होता है कि दस्तावेज पर जरूरी स्टांप शुल्क (Stamp Duty) जमा कर दिया गया है। पहले, अगर किसी दस्तावेज पर 5,000 रुपये से ज्यादा का स्टांप शुल्क देना होता था, तो लोगों को स्टांप पेपर खरीदने के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था। लेकिन अब, नई फ्रैंकिंग सीमा (New Franking Limit) के साथ, 10,000 रुपये तक के स्टांप शुल्क वाले दस्तावेजों को बैंकों में ही फ्रैंकिंग के जरिए पूरा किया जा सकता है। यह बदलाव खासकर उन लोगों के लिए राहत की बात है, जो संपत्ति खरीद-बिक्री, किराये के समझौते या अन्य कानूनी दस्तावेजों से जुड़े काम करते हैं।

इस फैसले की सिफारिश मुंबई के अतिरिक्त स्टांप नियंत्रक की अध्यक्षता वाली एक समिति ने की थी। समिति ने माना कि फ्रैंकिंग की सीमा बढ़ाने से न केवल लोगों को सुविधा होगी, बल्कि स्टांप पेपर बिक्री काउंटरों पर भीड़ भी कम होगी। कल्पना कीजिए, पहले आपको स्टांप पेपर लेने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब आप सीधे बैंक जाकर अपना काम पूरा कर सकते हैं। यह बदलाव समय और मेहनत दोनों की बचत करता है। साथ ही, यह सरकार की उस सोच को भी दर्शाता है कि प्रक्रियाओं को डिजिटल और सरल बनाकर लोगों का जीवन आसान किया जाए।

हालांकि, इस सुविधा के साथ एक छोटी सी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। पहले हर दस्तावेज की फ्रैंकिंग के लिए 10 रुपये का शुल्क लिया जाता था, लेकिन अब यह बढ़कर 15 रुपये हो गया है। यह अतिरिक्त शुल्क भले ही छोटा लगे, लेकिन बार-बार दस्तावेज तैयार करने वालों के लिए यह थोड़ा असर डाल सकता है। फिर भी, अगर हम इसकी तुलना उस सुविधा से करें, जो नई फ्रैंकिंग सीमा (New Franking Limit) के साथ मिल रही है, तो यह शुल्क ज्यादा बड़ा नहीं लगता। उदाहरण के लिए, अगर आप मुंबई में एक किराये का समझौता तैयार कर रहे हैं, जिस पर 8,000 रुपये का स्टांप शुल्क है, तो अब आपको स्टांप पेपर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप सीधे बैंक में जाकर फ्रैंकिंग करवा सकते हैं और सिर्फ 15 रुपये अतिरिक्त देकर अपना काम पूरा कर सकते हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने हाल के वर्षों में स्टांप शुल्क (Stamp Duty) और दस्तावेज पंजीकरण की प्रक्रिया में कई सुधार किए हैं। इनमें से एक बड़ा कदम है “एक राज्य, एक पंजीकरण” की अवधारणा। इस सुधार के तहत, अब आप अपने घर बैठे ही दस्तावेजों का पंजीकरण कर सकते हैं, चाहे आप महाराष्ट्र के किसी भी शहर या कस्बे में हों। पहले, लोगों को अपने इलाके के पंजीकरण कार्यालय में जाना पड़ता था, लेकिन अब ऑनलाइन सुविधाओं ने इस प्रक्रिया को और आसान बना दिया है। फ्रैंकिंग की नई सीमा का फैसला भी इसी दिशा में एक कदम है। यह न केवल समय बचाता है, बल्कि लोगों को लंबी कागजी कार्रवाइयों से भी मुक्ति देता है।

इस बदलाव का असर खासकर उन लोगों पर पड़ेगा, जो अक्सर छोटे-मोटे दस्तावेजों से जुड़े काम करते हैं। मिसाल के तौर पर, अगर आप एक छोटा व्यवसाय चलाते हैं और आपको बार-बार समझौते या अनुबंध तैयार करने पड़ते हैं, तो नई फ्रैंकिंग सीमा आपके लिए वरदान साबित हो सकती है। आपको अब ज्यादा राशि के स्टांप पेपर खरीदने की जरूरत नहीं होगी। बस अपने नजदीकी बैंक में जाएं, फ्रैंकिंग करवाएं और काम पूरा करें। यह सुविधा न केवल शहरों में रहने वालों के लिए है, बल्कि छोटे कस्बों और गांवों में भी लागू होगी, जहां राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंक मौजूद हैं।

फ्रैंकिंग की प्रक्रिया को समझना भी जरूरी है। जब आप बैंक में फ्रैंकिंग के लिए जाते हैं, तो वहां एक मशीन के जरिए आपके दस्तावेज पर स्टांप लगाया जाता है। यह स्टांप लाल स्याही में होता है और इसमें स्टांप शुल्क की राशि साफ लिखी होती है। इस मशीन में खास तरह की स्याही का इस्तेमाल होता है, जो नकली स्टांप से बचाने में मदद करती है। अगर आपने कभी फ्रैंकिंग करवाई है, तो आपने देखा होगा कि यह प्रक्रिया कितनी तेज और सुरक्षित है। अब, जब फ्रैंकिंग की सीमा बढ़कर 10,000 रुपये हो गई है, तो यह प्रक्रिया और भी ज्यादा लोगों के लिए उपयोगी हो जाएगी।

महाराष्ट्र जैसे बड़े और व्यस्त राज्य में, जहां हर दिन हजारों दस्तावेज तैयार होते हैं, इस तरह के बदलाव बहुत मायने रखते हैं। चाहे आप मुंबई जैसे महानगर में रहते हों या फिर पुणे, नागपुर जैसे शहरों में, यह नई सुविधा आपके लिए काम को आसान बनाएगी। खासकर युवा पीढ़ी, जो तेजी से काम पूरा करना चाहती है, उनके लिए यह बदलाव एक अच्छी खबर है। अब आपको पुराने तरीकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। बैंक में फ्रैंकिंग करवाइए, जरूरी शुल्क दीजिए और अपने दस्तावेज तैयार कर लीजिए।


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