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महाराष्ट्र: अब अगर जेल में हुई कैदी की मौत तो परिजनों को मिलेगा इतने लाख का मुआवजा

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महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील फैसला लिया है, जिसका उद्देश्य जेल में कैदियों के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इस नई नीति के तहत, यदि किसी कैदी की जेल के भीतर मृत्यु होती है, तो उसके परिवार को मुआवजा प्रदान किया जाएगा। इस मुआवजे की राशि अधिकतम पांच लाख रुपये तक हो सकती है। ये निर्णय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के अनुरूप लिया गया है और इसके लिए सरकार ने एक विस्तृत सरकारी प्रस्ताव भी जारी किया है, जिसमें मुआवजे की शर्तें और प्रावधान स्पष्ट किए गए हैं।

किन परिस्थितियों में मिलेगा मुआवजा?
महाराष्ट्र सरकार ने उन परिस्थितियों को स्पष्ट किया है, जिनमें कैदी के परिवार को मुआवजा प्रदान किया जाएगा। यदि कोई कैदी जेल में कार्य करते समय किसी हादसे या चोट के कारण मृत्यु का शिकार होता है, तो उसके परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा, यदि जेल के चिकित्सा अधिकारी या कर्मचारियों की लापरवाही के कारण कैदी की मृत्यु होती है, तो भी परिवार को पांच लाख रुपये की सहायता मिलेगी। जेल अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा शारीरिक प्रताड़ना या मारपीट के कारण मृत्यु होने पर भी यही राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही, यदि जेल में कैदियों के बीच आपसी लड़ाई या हमले में किसी कैदी की मृत्यु होती है और प्रशासन की लापरवाही सिद्ध होती है, तो परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। विशेष रूप से, यदि कोई कैदी जेल में आत्महत्या करता है, तो उसके परिवार को एक लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी।

ये नीति जेल प्रशासन की जवाबदेही को बढ़ाने और कैदियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कब नहीं मिलेगा मुआवजा?
सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि कुछ परिस्थितियों में मुआवजा प्रदान नहीं किया जाएगा। यदि किसी कैदी की मृत्यु प्राकृतिक कारणों जैसे वृद्धावस्था या बीमारी के कारण होती है, तो कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप या बाढ़ के कारण मृत्यु होने पर भी मुआवजा नहीं मिलेगा। यदि कोई कैदी जेल से भागने की कोशिश के दौरान या हिरासत से फरार होने के प्रयास में मरता है, तो उसके परिवार को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जाएगी। इसी तरह, जमानत पर रिहा होने या जेल से छुट्टी के दौरान मृत्यु होने पर भी मुआवजा लागू नहीं होगा। यदि कैदी भूख हड़ताल या उपचार से इनकार करने के कारण मरता है, तो भी मुआवजा नहीं दिया जाएगा।

मृत्यु के बाद की प्रक्रिया
जेल में किसी कैदी की मृत्यु होने पर एक व्यवस्थित जांच प्रक्रिया अपनाई जाएगी। जेल अधीक्षक को प्रारंभिक जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी। इस रिपोर्ट में कार्यकारी मजिस्ट्रेट का पंचनामा, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मृत्यु का अंतिम कारण, मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट, जिला मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट, कैदी के सभी चिकित्सा दस्तावेज और अन्य सहायक दस्तावेज शामिल होंगे। ये रिपोर्ट क्षेत्रीय जेल प्रमुख को सौंपी जाएगी, जो आगे की कार्रवाई करेंगे।

मुआवजा प्राप्त करने की प्रक्रिया
मुआवजा प्रदान करने से पहले एक गहन जांच प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यदि क्षेत्रीय जेल प्रमुख को लगता है कि मृत्यु ऐसी परिस्थितियों में हुई है, जो मुआवजे के योग्य हैं, तो वे सतर्कता दल से विस्तृत जांच करवाएंगे। इसके बाद मेडिकल बोर्ड से भी राय ली जाएगी। सभी जांच रिपोर्टों और दस्तावेजों के आधार पर एक प्रस्ताव तैयार किया जाएगा, जिसे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और महानिरीक्षक (जेल व सुधार सेवाएं), महाराष्ट्र राज्य, पुणे को भेजा जाएगा। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक द्वारा अंतिम जांच के बाद ये प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जाएगा। सरकार की मंजूरी मिलने के बाद ही मुआवजे का वितरण किया जाएगा।

महाराष्ट्र सरकार की ये नई मुआवजा नीति जेल सुधार और कैदियों के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। ये नीति न केवल जेल प्रशासन को और अधिक जवाबदेह बनाएगी, बल्कि कैदियों के मानवाधिकारों की रक्षा में भी योगदान देगी। इस नीति के लागू होने से उन परिवारों को राहत मिलेगी, जो अपने प्रियजनों को असामयिक खो देते हैं।

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