महाराष्ट्र में एक बार फिर से टीबी (Tuberculosis) की दवाइयों की भारी कमी हो गई है। राज्य के पास इतना स्टॉक बचा है जो मुश्किल से एक महीने ही चल पाएगा। पिछले छह महीनों में यह दूसरी बार है जब टीबी के इलाज के लिए ज़रूरी दवाओं की आपूर्ति में बाधा आई है।
इस दवा संकट के चलते, राज्य भर में टीबी केंद्रों पर मरीज़ों को पूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। धारावी में रहने वाले एक 48 वर्षीय टीबी रोगी को जेजे अस्पताल में कई घंटों के इंतज़ार के बाद सिर्फ चार दिन की दवाइयां दी गईं। उन्हें और दवा के लिए फिर से आने को कहा गया है, लेकिन अपनी पत्नी की नौकरी के कारण, इस हफ्ते दोबारा जाना उनके लिए मुश्किल है। यह टीबी के इलाज में बड़ी रुकावट बन रहा है।
देश भर में दवाओं की कमी ने स्वास्थ्य विभाग को भी मुश्किल में डाल दिया है। केंद्रीय टीबी विभाग (CTD) ने सभी राज्यों को स्थानीय स्तर पर भी दवाइयां जुटाने की सलाह दी है। लेकिन अधिकारियों को डर है कि पहले की तरह, ज़रूरत के समय दवाइयां मिलना इस बार भी मुश्किल हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये दवाइयां ना मिलने से इलाज के बीच में रुकने का खतरा पैदा होता है। कई मरीज़ थोड़ा ठीक होते ही दवा लेना बंद कर देते हैं, जिससे बीमारी फिर से बढ़ सकती है। ऐसे में, टीबी से पूरी तरह मुक्ति पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इस कमी के कारण, सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे अन्य राज्यों में भी मरीजों को परेशानी हो रही है।