Maharashtra Population: महाराष्ट्र, भारत के सबसे प्रगतिशील राज्यों में से एक, न केवल आर्थिक बल्कि जनसांख्यिकीय मोर्चे पर भी बड़े बदलावों से गुजर रहा है। राज्य सरकार की आर्थिक समीक्षा (Economic Survey) के मुताबिक, 2025 तक महाराष्ट्र की जनसंख्या 12.8 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। यह आंकड़ा 2011 की जनगणना के मुकाबले 1.6 करोड़ की वृद्धि दर्शाता है। इसके साथ ही, महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के बाद देश का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य बना रहेगा।
जनसंख्या में बदलाव का दौर
महाराष्ट्र की जनसंख्या में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। 2011 में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की आबादी 26.7% थी, जो 2026 तक घटकर 19.6% रह जाने का अनुमान है। यह गिरावट मुख्य रूप से प्रजनन दर (Fertility Rate) में कमी के कारण हो रही है। वहीं, कामकाजी उम्र (15-59 वर्ष) और वृद्ध जनसंख्या (60 वर्ष से अधिक) दोनों में वृद्धि देखी जा रही है।
2026 तक कामकाजी उम्र की आबादी 63.3% से बढ़कर 67.3% होने का अनुमान है, जो लगभग 8.7 करोड़ लोगों के बराबर होगी। वहीं, वृद्ध जनसंख्या 2011 के 10% से बढ़कर 2026 में 13.1% तक पहुंच सकती है। इस दौरान वृद्ध महिलाओं की संख्या वृद्ध पुरुषों से अधिक होने का अनुमान है। यह बदलाव जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) में सुधार और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार का परिणाम है।
शहरीकरण का बढ़ता प्रभाव
महाराष्ट्र न केवल जनसंख्या के मामले में बल्कि शहरीकरण (Urbanisation) में भी अग्रणी राज्य है। 2011 में ग्रामीण महाराष्ट्र की आबादी लगभग 6.2 करोड़ थी, जबकि शहरी आबादी 5.1 करोड़ के आसपास थी। हालांकि, 2025 तक यह अंतर कम होने का अनुमान है। ग्रामीण आबादी 6.5 करोड़ और शहरी आबादी 6.3 करोड़ तक पहुंच सकती है। यह बदलाव न केवल लोगों की जीवनशैली को प्रभावित करेगा, बल्कि आर्थिक अवसरों और बुनियादी ढांचे (Infrastructure) की मांग में भी वृद्धि करेगा।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
जनसंख्या में हो रहे इन बदलावों का सीधा प्रभाव राज्य की आर्थिक और सामाजिक योजनाओं पर पड़ेगा। कामकाजी उम्र की आबादी में वृद्धि राज्य के लिए एक बड़ा अवसर है, लेकिन इसके साथ ही रोजगार और कौशल विकास (Skill Development) की चुनौती भी बढ़ेगी। वहीं, वृद्ध जनसंख्या में वृद्धि स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा (Social Security) पर जोर बढ़ाएगी।
2036 तक कामकाजी आबादी का अनुपात 66.2% होने का अनुमान है, जबकि निर्भरता अनुपात (Dependency Ratio) 33.8% रह सकता है। इसमें 16.7% बच्चे और 17.1% वृद्ध शामिल होंगे। यह बदलाव सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि कामकाजी आबादी पर निर्भरता बढ़ेगी।
महाराष्ट्र की जनसंख्या (Maharashtra Population) में हो रहे ये बदलाव न केवल राज्य के भविष्य को परिभाषित करेंगे, बल्कि देश की आर्थिक और सामाजिक दिशा को भी प्रभावित करेंगे। बढ़ती शहरी आबादी, वृद्ध जनसंख्या और कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या में वृद्धि जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार को नई नीतियों और योजनाओं पर काम करने की जरूरत है। इन बदलावों के साथ तालमेल बिठाना ही महाराष्ट्र के सतत विकास (Sustainable Development) की कुंजी होगा।
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