महाराष्ट्र

Maharashtra Toll Tax: सड़क विकास के नाम पर महाराष्ट्र से वसूला 21,105 करोड़ का टोल टैक्स, क्या सड़क विकास के लिए इतना टोल टैक्स वाकई जरूरी है?

Maharashtra Toll Tax: सड़क विकास के नाम पर महाराष्ट्र से वसूला 21,105 करोड़ का टोल टैक्स, क्या सड़क विकास के लिए इतना टोल टैक्स वाकई जरूरी है?

Maharashtra Toll Tax: भारत में सड़क विकास के नाम पर पिछले कुछ वर्षों में भारी-भरकम टोल टैक्स वसूला गया है, और इस मामले में महाराष्ट्र ने देश के कई बड़े राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। यह सुनकर शायद आप चौंक जाएं, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि महाराष्ट्र के लोग सड़कों पर चलने की कीमत चुकाने में सबसे आगे हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2020 से 2025 तक, यानी बीते पांच सालों में, महाराष्ट्र ने 21,105 करोड़ रुपये का टोल टैक्स (Toll Tax) चुकाया है। यह राशि इतनी विशाल है कि इसे सुनकर किसी का भी सिर चकरा जाए। लेकिन आखिर यह पैसा जाता कहां है? क्या वाकई यह राशि हमारी सड़कों को बेहतर बनाने में खर्च हो रही है, या यह बस एक आर्थिक बोझ बनकर रह गया है?

महाराष्ट्र की सड़कों पर हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं। मुंबई, पुणे, नासिक जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, टोल नाकों पर लंबी कतारें और भारी-भरकम टोल शुल्क आम बात हो गई है। सड़क विकास (Road Development) के नाम पर यह राशि वसूल की जा रही है, लेकिन कई बार सवाल उठता है कि क्या सड़कों की हालत इस भारी-भरकम राशि के हिसाब से सुधर रही है? आंकड़ों की बात करें तो महाराष्ट्र में 2020-21 में टोल संग्रह 2,590 करोड़ रुपये था। हर साल यह राशि बढ़ती गई, और फरवरी 2025 तक यह आंकड़ा 5,115 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यानी हर दिन औसतन 28 करोड़ रुपये महाराष्ट्र के लोगों से टोल के रूप में वसूले जा रहे हैं। यह राशि इतनी बड़ी है कि इसे सुनकर कोई भी सोच में पड़ जाए।

अगर हम देश के अन्य राज्यों से तुलना करें, तो उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य भी टोल टैक्स देने में सबसे आगे हैं। उत्तर प्रदेश ने इस अवधि में 27,014 करोड़ रुपये, राजस्थान ने 24,209 करोड़ रुपये, और गुजरात ने 21,607 करोड़ रुपये का टोल चुकाया है। लेकिन महाराष्ट्र का आंकड़ा भी कम नहीं है। यह राज्य देश में चौथे स्थान पर है, और यह अपने आप में एक बड़ा संकेत है कि महाराष्ट्र के लोग सड़क विकास के लिए कितना योगदान दे रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह योगदान सही दिशा में जा रहा है? कई बार सड़कों पर गड्ढे, खराब रखरखाव, और अधूरी परियोजनाएं देखकर लोगों का गुस्सा भड़क उठता है।

टोल टैक्स की इस भारी-भरकम वसूली ने कई सवालों को जन्म दिया है। लोग पूछ रहे हैं कि जब किसी सड़क परियोजना की लागत पूरी हो जाती है, तो उस टोल नाके को बंद क्यों नहीं किया जाता? सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर किसी परियोजना की लागत वसूल हो चुकी है, तो वहां टोल वसूली बंद होनी चाहिए। फिर भी, कई टोल नाकों पर यह नियम लागू नहीं हो रहा। इससे आम लोगों में नाराजगी बढ़ रही है, और वे सवाल उठा रहे हैं कि आखिर उनके पैसे का इस्तेमाल कहां हो रहा है।

टोल टैक्स अब केवल सड़क रखरखाव का साधन नहीं रहा, बल्कि यह सरकार के लिए एक बड़ा राजस्व स्रोत बन गया है। फास्टैग जैसी तकनीकों ने टोल वसूली को आसान और पारदर्शी जरूर बनाया है, लेकिन इससे आम आदमी के जेब पर पड़ने वाला बोझ कम नहीं हुआ। हर बार जब कोई टोल नाके से गुजरता है, तो उसे अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है। खासकर महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहां सड़कों का जाल बहुत बड़ा है, टोल नाकों की संख्या भी कम नहीं है। एक सामान्य परिवार जो रोजाना काम के लिए सड़कों का इस्तेमाल करता है, उसके लिए यह खर्चा हर महीने हजारों रुपये तक पहुंच जाता है।

महाराष्ट्र के लोग न केवल टोल टैक्स (Toll Tax) चुका रहे हैं, बल्कि वे सड़क विकास (Road Development) के नाम पर एक तरह का आर्थिक दबाव भी महसूस कर रहे हैं। कई बार ऐसा लगता है कि सड़कों की हालत में सुधार की तुलना में टोल की राशि कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। उदाहरण के लिए, मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे जैसी सड़कें भले ही बेहतर हों, लेकिन वहां भी टोल की दरें हर साल बढ़ रही हैं। यह देखकर लोग हैरान हैं कि आखिर इतनी बड़ी राशि का हिसाब-किताब कहां है।

इस पूरे परिदृश्य में एक बात साफ है कि टोल टैक्स अब केवल सड़क रखरखाव का साधन नहीं है। यह एक ऐसा सिस्टम बन चुका है, जो सरकार के लिए राजस्व जुटाने का बड़ा जरिया है। लेकिन इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि इस राशि का उपयोग पारदर्शी तरीके से हो। लोगों को यह जानने का हक है कि उनके द्वारा चुकाया गया पैसा कहां और कैसे खर्च हो रहा है। सड़कों की मरम्मत, नई परियोजनाएं, और रखरखाव का काम अगर सही तरीके से हो, तो शायद लोग इस टोल टैक्स को बोझ की तरह न देखें।

#TollTax #RoadDevelopment #Maharashtra #NHAI #Infrastructure

ये भी पढ़ें: Maharashtra Tech Boost for Road Safety: महाराष्ट्र पुलिस को मिले टैबलेट और बॉडी कैमरे, सड़क सुरक्षा के लिए सरकार की नई तकनीकी पहल

You may also like