अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, महाराष्ट्र सरकार ने डेढ़ साल से अधिक के विलंब के बाद राज्य की चौथी महिला नीति का अनावरण किया। यह नीति आठ प्रमुख सिद्धांतों पर केंद्रित है जो इस प्रकार हैं – स्वास्थ्य, पोषण और कल्याण; शिक्षा और कौशल; यौन और लिंग-आधारित हिंसा का उन्मूलन; लैंगिक समानता पर केंद्रित आजीविका वृद्धि; लैंगिक-समावेशी बुनियादी ढांचा; लैंगिक संवेदनशील प्रशासन और राजनीतिक भागीदारी; लैंगिक संवेदनशील प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और आपदा प्रबंधन) और महिलाओं तथा लड़कियों के लिए विशेष खेल नीति।
महाराष्ट्र की पहली महिला नीति 1994 में, दूसरी 2001 में और तीसरी 2014 में घोषित की गई थी। तीसरी नीति के बाद दस साल बीत जाने के कारण एक नई नीति की आवश्यकता थी।
चौथी महिला नीति को पहले की नीतियों से अलग करते हुए इसमें कार्यान्वयन योजना तैयार की गई है, नीति के कार्यान्वयन की प्रगति को मापने के मानक तय किए गए हैं, और विभिन्न विभागों की जिम्मेदारियां भी निर्धारित की गई हैं। नीति के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए तीन स्तरीय समितियां बनाई गई हैं, जिसमें मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक उच्च शक्ति समिति, महिला एवं बाल विकास मंत्री की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय विशेष दल, और अभिभावक मंत्री की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति शामिल है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने कहा, “यह नीति महिलाओं के सर्वांगीण विकास को केंद्र में रख कर बनाई गई है और उन योजनाओं के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जो वास्तव में बदलाव ला सकती हैं। महिला नीति बनाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य है। यह चौथी महिला नीति न केवल महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक विकास पर बल देती है, बल्कि उन आठ सिद्धांतों पर भी केंद्रित है जो हमारे समाज में समानता लाने के लिए आवश्यक हैं।”
नई नीति में महिला सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाने पर ज़ोर दिया गया है।