National Anthem Tradition: महाराष्ट्र के सांगली जिले का एक छोटा-सा गांव भीलवाड़ी इन दिनों अपनी खास परंपरा के लिए सुर्खियों में है। यहां हर रोज सुबह 9:10 बजे पूरा गांव एक जगह इकट्ठा होकर राष्ट्रगान (National Anthem) गाता है। दिलचस्प बात यह है कि इस परंपरा को अपनाए बिना यहां के दुकानदार अपनी दुकानें नहीं खोलते। यह परंपरा सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि गांव के लोगों के दिलों में देशभक्ति और एकता की भावना को बढ़ाने का एक खास जरिया बन गई है।
National Anthem Tradition: कैसे शुरू हुई यह परंपरा?
यह परंपरा 15 अगस्त 2020 को शुरू हुई। कोविड-19 महामारी का समय हर किसी के लिए चुनौतीपूर्ण था। व्यापार ठप हो गया था, लोग निराश थे और हर तरफ मायूसी का माहौल था। ऐसे में, गांव के सामाजिक कार्यकर्ता दीपक पाटिल ने एकता और मनोबल को बढ़ाने के लिए एक अनोखा तरीका ढूंढा। उन्होंने सोचा कि क्यों न हर दिन की शुरुआत राष्ट्रगान की परंपरा (National Anthem Tradition) से की जाए?
दीपक पाटिल और भीलवाड़ी व्यापार संघ ने मिलकर सुबह 9:10 बजे राष्ट्रगान बजाने की योजना बनाई। इसके लिए गांव के मेन बाजार में एक पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगाया गया, जिससे राष्ट्रगान बजाया जा सके। यह पहल धीरे-धीरे गांव की दिनचर्या का हिस्सा बन गई।
जब राष्ट्रगान शुरू होता है
हर सुबह 9:10 बजे जैसे ही राष्ट्रगान शुरू होता है, गांव का हर व्यक्ति चाहे वह जहां भी हो, रुककर खड़ा हो जाता है। दुकानदार अपनी दुकानें तब तक नहीं खोलते, जब तक राष्ट्रगान खत्म न हो जाए। यही नहीं, गांव के बाहर से आने वाले लोग भी इस परंपरा में शामिल हो जाते हैं।
यह नजारा अपने आप में प्रेरणादायक है। बाजार के बीचोबीच खड़े लोग, दुकानदार और ग्राहक सब एक साथ खड़े होकर अपने देश के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं।
अन्य गांवों को भी मिली प्रेरणा
इस परंपरा की शुरुआत भीलवाड़ी में हुई, लेकिन अब यह आसपास के गांवों में भी फैल रही है। सांगली जिले के पलुस गांव और गढ़चिरौली के मुलचेरी गांव ने भी इस परंपरा को अपनाया है। दीपक पाटिल का कहना है कि उनका यह विचार केरल के एक गांव से प्रेरित था, जहां पहले ऐसी ही परंपरा थी, लेकिन वह अब बंद हो चुकी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई कहानी
भीलवाड़ी की यह परंपरा सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। लाखों लोगों ने इसके वीडियो देखे और इसे सराहा। यह परंपरा न केवल एकता का प्रतीक बन गई है, बल्कि यह दिखाती है कि राष्ट्रगान सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी के लिए नहीं, बल्कि हर दिन के लिए है।
राष्ट्रगान का महत्व
दीपक पाटिल कहते हैं, “हम सबने स्कूल के दिनों में रोजाना राष्ट्रगान गाया है। उस समय हम इसे महसूस करते थे। तो फिर इसे केवल खास अवसरों तक क्यों सीमित रखें?” उनकी यह बात लोगों के दिलों को छू गई। राष्ट्रगान गाते समय जो भावना पैदा होती है, वह एकता और देशभक्ति को बढ़ाती है।
सूचना का जरिया भी बना यह सिस्टम
पब्लिक एड्रेस सिस्टम सिर्फ राष्ट्रगान तक सीमित नहीं है। इसके माध्यम से गांव के लोगों को जरूरी सूचनाएं भी दी जाती हैं। लापता बच्चों की जानकारी, सामान की चोरी, बाढ़ की चेतावनी जैसी बातें इस सिस्टम के जरिए लोगों तक पहुंचाई जाती हैं।
गांव ने अब तक इस सिस्टम की मदद से 74 मोबाइल फोन, छह कारें, और कई दस्तावेज (आधार कार्ड, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड आदि) उनके असली मालिकों तक वापस पहुंचाए हैं।
महाराष्ट्र का राष्ट्रगान गांव (Maharashtra National Anthem Village) भीलवाड़ी एक ऐसा उदाहरण है, जहां देशभक्ति केवल शब्दों में नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा बन गई है। यह परंपरा न केवल गांव के लोगों को एकजुट करती है, बल्कि यह दिखाती है कि छोटी-छोटी पहल भी बड़ा बदलाव ला सकती हैं।
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