महाराष्ट्र की राजनीति में हाल के दिनों में जो हलचल मची है, उसने हर किसी का ध्यान खींचा है। विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर एकनाथ शिंदे और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच जो गतिरोध हुआ, उसने सस्पेंस को और बढ़ा दिया। Maharashtra’s CM Race (महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री) के मुद्दे पर आखिर ऐसा क्या हुआ जो शिंदे को अपनी मांग छोड़नी पड़ी?
एकनाथ शिंदे की छह महीने की डिमांड
चुनाव परिणाम आने के बाद, जब बीजेपी स्पष्ट बहुमत के करीब पहुंची, तो यह तय माना जा रहा था कि पार्टी का मुख्यमंत्री बनेगा। लेकिन एकनाथ शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से छह महीने के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग की।
शिंदे का तर्क था कि विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों के दौरान महायुति (BJP-शिंदे गुट और अन्य सहयोगी दल) ने यह वादा किया था कि यदि बहुमत मिलेगा तो उन्हें सीएम बनाया जाएगा। लेकिन बीजेपी नेतृत्व ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह परंपरा गलत साबित हो सकती है।
बीजेपी की स्थिति और शिंदे की मुश्किल
BJP ने चुनावों में 132 सीटें जीतकर दिखा दिया कि वह अकेले भी सरकार बनाने के करीब है। बहुमत के लिए 145 सीटों की जरूरत थी, जबकि बीजेपी को सहयोगियों के बिना सिर्फ 13 सीटों की कमी थी। ऐसे में पार्टी ने शिंदे की मांग को नकार दिया।
अमित शाह ने शिंदे से कहा, “अगर आपके पास बहुमत होता तो क्या आप मुख्यमंत्री पद छोड़ते?” इस सवाल के बाद शिंदे के पास कोई जवाब नहीं था। शिंदे की सीएम मांग (Shinde’s CM Demand) को खारिज करने का यह प्रमुख कारण था।
बीएमसी चुनाव पर शिंदे की नजर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिंदे की यह मांग बीएमसी (Brihanmumbai Municipal Corporation) चुनावों को ध्यान में रखकर की गई थी। बीएमसी, जिसे शिवसेना का गढ़ माना जाता है, में उद्धव ठाकरे के गुट का प्रभाव है।
शिंदे गुट को लगता है कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से वे बीएमसी चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं। लेकिन बीजेपी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह अपने दम पर इन चुनावों में उतरने की तैयारी कर रही है।
बीजेपी की रणनीति और शिवसेना की चुनौती
बीजेपी ने अपनी स्पष्ट बहुमत वाली स्थिति का हवाला देकर शिंदे की मांग खारिज कर दी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिंदे गुट और उद्धव गुट के बीच बीएमसी चुनावों में कैसी टक्कर होती है।
उद्धव गुट पहले ही कह चुका है कि बीजेपी के साथ जाने वाले नेताओं को उनका हश्र देख लेना चाहिए। शिवसेना का यह बयान शिंदे गुट के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
महाराष्ट्र की राजनीति का नया अध्याय
एकनाथ शिंदे ने डिप्टी सीएम बनने पर सहमति जताई है, लेकिन उनकी पार्टी के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। शिवसेना के दोनों गुटों के बीच की खाई और बीजेपी की स्पष्ट स्थिति ने महाराष्ट्र की राजनीति में नया अध्याय जोड़ा है।
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री (Maharashtra’s CM Race)
यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाएगा। अब जब बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में है, तो यह देखना होगा कि शिंदे गुट और बीजेपी के रिश्ते किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।
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