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silicone statue: मृत पत्नी की याद में पति ने बनवाई सिलिकॉन की मूर्ति, दिखने में है बिल्कुल रियल

silicone statue: मृत पत्नी की याद में पति ने बनवाई सिलिकॉन की मूर्ति, दिखने में है बिल्कुल रियल
silicone statue: प्रेम के प्रतीक को लोग अपने-अपने तरीके से यादगार बनाते हैं, लेकिन ओडिशा के ब्रह्मपुर में एक पति ने अपनी मृत पत्नी की याद में ऐसा अनोखा कदम उठाया, जिसने सभी को हैरान कर दिया।

प्रशांत नायक, जो कि एक बिजनेसमैन हैं, ने अपनी पत्नी की “सिलिकॉन की मूर्ति” (silicone statue) बनवाई है, जो बिल्कुल जीवंत प्रतीत होती है। इसके निर्माण में उन्होंने 8 लाख रुपए खर्च किए, और अब यह मूर्ति उनके घर के ड्राइंग रूम में स्थापित है।

अनोखा प्रेम: पत्नी की याद में मूर्ति बनवाने की कहानी

प्रशांत नायक की पत्नी किरण का निधन कोरोना काल के दौरान हो गया था। किरण से उनकी शादी 1997 में हुई थी, और उनके तीन बच्चे हैं। पत्नी की मृत्यु के बाद प्रशांत ने महसूस किया कि उनका परिवार किरण की अनुपस्थिति में अधूरा है। इस कमी को पूरा करने के लिए प्रशांत ने निर्णय लिया कि वह एक “सिलिकॉन की मूर्ति” (silicone statue) बनवाएंगे, ताकि घर में उनकी उपस्थिति महसूस हो सके।

यह मूर्ति उनकी बड़ी बेटी की शादी के दौरान बनवाई गई थी, और मूर्ति को उसी तरह साड़ी और गहनों से सजाया गया, जैसे किरण अपनी बेटी की शादी में तैयार होतीं। अब यह मूर्ति न केवल प्रशांत बल्कि उनके बच्चों के लिए भी उनकी मां की याद को ताजा करती है।

मूर्ति का निर्माण और उसकी खासियत

प्रशांत नायक की इस भावनात्मक मूर्ति को तैयार करने के लिए बेंगलुरु के एक मूर्तिकार से संपर्क किया गया। मूर्ति का निर्माण सिलिकॉन, फाइबर, और रबर जैसी सामग्रियों से किया गया है। मूर्ति के हर छोटे-बड़े विवरण को जीवंत बनाने के लिए लगभग एक साल का समय लगा, और इसकी कुल लागत 8 लाख रुपए आई। मूर्ति इतनी वास्तविक लगती है कि उसे देखकर कोई भी उसे जीवित व्यक्ति समझ सकता है।

यह मूर्ति प्रशांत के ड्राइंग रूम में रखी गई है, जहाँ उनकी बड़ी बेटी महक रोजाना मूर्ति की देखभाल करती है। महक, जो कि वर्तमान में MBA की पढ़ाई कर रही है, अपनी मां की इस मूर्ति के कपड़े और गहने रोज बदलती हैं, जैसे वह अपनी मां का श्रंगार कर रही हों। इस तरह से प्रशांत और उनके बच्चे अपनी मां को हर दिन अपने साथ महसूस कर पाते हैं।

परिवार की प्रतिक्रिया और मूर्ति की देखभाल

प्रशांत के बच्चों ने इस मूर्ति को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। प्रशांत के अनुसार, मूर्ति बनवाने का विचार उनके बच्चों का था। वे चाहते थे कि उनकी मां की एक याद घर में हमेशा रहे। बच्चों के आग्रह पर ही प्रशांत ने यह मूर्ति बनवाई, और अब पूरे परिवार को लगता है कि किरण की अनुपस्थिति में भी वे उनके साथ हैं।

यह मूर्ति प्रशांत के घर में न केवल एक प्रतीकात्मक उपस्थिति है, बल्कि एक भावनात्मक सहारा भी है। इस अद्वितीय मूर्ति ने एक गहरे प्रेम और लगाव को जीवंत बना दिया है।

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