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मारिया कोरिना मचाडो को मिला 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार, ट्रंप के सपने हुए चकनाचूर

मारिया कोरिना मचाडो

वॉशिंगटन: नोबेल शांति पुरस्कार 2025 इस बार वेनेज़ुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता मारिया कोरिना मचाडो को मिला है। उन्होंने अपने देश में लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए अथक संघर्ष और तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए ये सम्मान हासिल किया। नोर्वेजियन नोबेल समिति ने उन्हें “लैटिन अमेरिका में नागरिक साहस की मिसाल” बताया।

वेनेज़ुएला में संघर्ष और लोकतंत्र के लिए ल ड़ाई
मचाडो ने विपरीत परिस्थितियों में भी लोकतंत्र की ज्योति जलाए रखी। उन्होंने अलग-अलग राजनीतिक समूहों को एकजुट कर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग को राष्ट्रीय आंदोलन का रूप दिया। ये सम्मान ऐसे समय में आया है जब वेनेज़ुएला में तानाशाही शासन चल रहा है, नागरिक मानवीय और आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। देश में अधिकांश लोग गरीबी में हैं, जबकि सत्ता से जुड़े कुछ लोग असीमित लाभ उठा रहे हैं।

सरकार की हिंसक मशीनरी ने अपने ही नागरिकों पर दमन किया है और अब तक करीब 80 लाख लोग देश छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं। विपक्ष को चुनावी धांधली और फर्जी मुकदमों के जरिए जेलों में डाल दिया गया। ऐसे समय में मचाडो की ये उपलब्धि और भी महत्वपूर्ण है।

डोनाल्ड ट्रंप के लिए बड़ा झटका
इस बार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिला। ट्रंप बार-बार नोबेल पुरस्कार के लिए दावेदारी पेश करते रहे और खुद को सात युद्धों में शांति करवाने वाला मसीहा बताने का दावा करते रहे।

उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी मध्यस्थता का प्रयास किया था, जिसे भारत ने खारिज कर दिया। हालांकि पाकिस्तान और इजरायल ने उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया था। बावजूद इसके ट्रंप को ये सम्मान हासिल नहीं हुआ।

मचाडो की मिसाल
मारिया कोरिना मचाडो की उपलब्धि लोकतंत्र, साहस और नागरिक अधिकारों की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने ये साबित किया कि अंधकारमय परिस्थितियों में भी शांतिपूर्ण संघर्ष और नेतृत्व से बदलाव संभव है।

नोबेल समिति ने कहा कि मचाडो ने लोकतंत्र की ज्योति बनाए रखी और तानाशाही के खिलाफ निरंतर लड़ाई लड़ी, जिससे वे पूरे विश्व में लोकतंत्र और मानवाधिकारों के प्रतीक बन गई हैं।

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