मुंबई की मिठी नदी के विकास के लिए चल रहे प्रोजेक्ट में बाधा आने की खबर है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के चलते जिन लोगों को अपना घर या दुकान खाली करनी पड़ेगी, उन्हें मुआवज़ा या दूसरी जगह रहने की सुविधा लेनी ही होगी। वे चाहकर भी विरोध करके इस प्रोजेक्ट को नहीं रोक सकते।
कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी सरकारी प्रोजेक्ट की ज़रूरत पर बहस नहीं की जा सकती। यह तय करना सरकार का काम है। मिठी नदी प्रोजेक्ट के अंतर्गत नदी को चौड़ा करने, गहरा करने, और इसके किनारों पर दीवार बनाने जैसे काम हो रहे हैं। 2006 में मुंबई की बाढ़ जैसी स्थिति ना हो, इसके लिए ये काम बहुत ज़रूरी है।
कुछ लोग जिनके घर या दुकानें इस प्रोजेक्ट के कारण हटाई जा रही थीं, उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की थी। लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि जिन लोगों पर असर पड़ेगा, BMC उन्हें दूसरी जगह घर देगी या फिर मुआवज़ा मिलेगा। दोनों में से एक विकल्प तो चुनना ही होगा, इस प्रोजेक्ट को रोका नहीं जा सकता।
BMC ने बताया कि मिठी नदी के किनारे करीब 741 ढांचे इस प्रोजेक्ट के चलते हटाने पड़ेंगे। इनमें लगभग आधे घर हैं, और आधे दुकानें। BMC ने ये भी वादा किया है कि लोगों को जगह खाली करने के लिए पहले पूरी सूचना दी जाएगी।