Mithi River Scam: महाराष्ट्र की मिट्टी नदी, जो मुंबई के लिए एक महत्वपूर्ण जल निकाय है, हाल ही में एक बड़े विवाद का केंद्र बन गई है। बीजेपी के विधान परिषद सदस्य प्रसाद लाड ने इस नदी के डिसिल्टिंग कार्य में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि इस घोटाले में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं, और जांच को गलत दिशा में ले जाया जा रहा है। यह मामला न केवल मिट्टी नदी घोटाला (Mithi River Scam) को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे सरकारी तंत्र में पारदर्शिता की कमी जनता के भरोसे को प्रभावित कर सकती है। इस लेख में हम इस मामले को सरल और आकर्षक तरीके से समझेंगे, ताकि नई पीढ़ी के पाठक इसे आसानी से समझ सकें। इस लेख में दो SEO-अनुकूल कीफ्रेज़ का उपयोग किया जाएगा: मिट्टी नदी घोटाला (Mithi River Scam) और डिसिल्टिंग अनियमितताएं (Desilting Irregularities)।
प्रसाद लाड ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मिट्टी नदी के डिसिल्टिंग कार्य में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। उनका कहना है कि यह घोटाला उस समय हुआ, जब उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। लाड ने दावा किया कि मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) भले ही 65 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच कर रही हो, लेकिन असल में यह भ्रष्टाचार 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। उन्होंने कहा कि जांच का ध्यान केवल छोटे ठेकेदारों पर है, जिन्हें 3 से 7 करोड़ रुपये के टेंडर मिले थे, जबकि इस घोटाले के असली मास्टरमाइंड अभी भी पकड़ से बाहर हैं। यह स्थिति डिसिल्टिंग अनियमितताएं (Desilting Irregularities) की गंभीरता को दर्शाती है।
लाड ने यह भी बताया कि बीएमसी ने हाल के वर्षों में मिट्टी नदी से केवल 1.5 से 2 लाख टन गाद निकालने के लिए 250 करोड़ रुपये खर्च किए। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर 15 वर्षों में निकाली गई गाद की मात्रा को देखें, तो यह लगभग 30 लाख टन होगी, जो नवी मुंबई जैसे बड़े क्षेत्र के बराबर हो सकती है। लेकिन यह गाद आखिर गई कहां? उनका आरोप है कि आधिकारिक तौर पर निर्धारित डंपिंग ग्राउंड पर अब ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी हैं। यह सवाल उठता है कि क्या गाद को वास्तव में हटाया गया, या यह केवल कागजों पर हुआ? इस तरह की मिट्टी नदी घोटाला (Mithi River Scam) से जुड़ी अनियमितताएं जनता के बीच अविश्वास पैदा करती हैं।
प्रसाद लाड ने दस्तावेजों में गड़बड़ी का भी जिक्र किया। उनके अनुसार, डिसिल्टिंग के लिए उपयोग किए गए वाहनों के रिकॉर्ड में दोपहिया वाहन और ऑटो-रिक्शा के नंबर दर्ज किए गए हैं। यह सुनकर हैरानी होती है कि क्या इतने भारी गाद को हटाने के लिए वाकई ऐसे छोटे वाहनों का इस्तेमाल हुआ? इसके अलावा, ट्रकों का वजन तक दर्ज नहीं किया गया, जो इस कार्य की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। लाड ने बीएमसी पर यह भी आरोप लगाया कि उसने मिट्टी नदी की सफाई के लिए ‘बायोमाइनिंग’ तकनीक का उपयोग किया, जिसमें सूक्ष्मजीवों की मदद से गाद को हटाया जाता है। लेकिन इस तकनीक के परिणामों या जवाबदेही का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।
लाड ने विदेशी तकनीक के नाम पर बिल बढ़ाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर किसी उपकरण की लागत 100 रुपये है, तो उसे 2,000 रुपये में किराए पर लिया गया। इस तरह के मुनाफे बिचौलियों की जेब में जा रहे हैं। यह डिसिल्टिंग अनियमितताएं (Desilting Irregularities) का एक और उदाहरण है, जो सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग को दर्शाता है। लाड ने शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे पर भी परोक्ष रूप से निशाना साधा और उन्हें ‘प्रिंस’ कहकर संबोधित किया, हालांकि उन्होंने बिना सबूत के नाम लेने से इनकार किया।
मिट्टी नदी का महत्व मुंबई के लिए बहुत अधिक है। यह नदी शहर के बाढ़ प्रबंधन में अहम भूमिका निभाती है। हर साल मॉनसून के दौरान मुंबई में बाढ़ का खतरा रहता है, और मिट्टी नदी की सफाई इस खतरे को कम करने के लिए जरूरी है। लेकिन अगर इस सफाई के नाम पर इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, तो यह न केवल शहर की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि जनता के पैसे का भी दुरुपयोग है। लाड ने मांग की है कि इस मामले की गहन जांच हो और असली दोषियों को सामने लाया जाए।
#MithiRiverScam #DesiltingIrregularities #MumbaiCorruption #BJPAllegations #MaharashtraPolitics
ये भी पढ़ें: 31 मई का राशिफल: हर राशि के लिए शुभ रंग, अंक और सलाह