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मोदी 3.0 में नए संबंध, नए समीकरण: भारत का विदेशी दृष्टिकोण!

मोदी 3.0

मोदी 3.0: भारत की विदेश नीति का अगला अध्याय – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के शुरू होने के साथ ही भारत की विदेश नीति को एक नया आयाम मिलने की उम्मीद है। बदलते वैश्विक परिदृश्य और भारत की बढ़ती रणनीतिक जरूरतों को देखते हुए, विदेश मामलों को नई सोच और नए नजरिये की जरूरत है। इस लेख में हम विदेश नीति से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों पर नजर डालेंगे।

पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते

भारत के लिए पड़ोसी देशों के साथ मजबूत संबंध बनाना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। अपने पड़ोसियों बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस और सेशेल्स के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाए रखना बेहद जरूरी है। हालांकि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ कई मुद्दे उलझे हुए हैं, लेकिन शांति और सौहार्द बनाए रखने की कोशिश करनी होगी।

पड़ोसियों से रिश्ते निर्धारित करेंगे कि भारत की विदेश नीति कितनी सफल रहेगी। अगर हमारे पड़ोस में शांति, समृद्धि और भाईचारा होगा, तो हमारी वैश्विक पहुंच और भी मजबूत होगी। इसलिए मोदी सरकार को इस दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे।

वैश्विक महाशक्तियों से संबंध

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में अमेरिका, चीन और रूस जैसी महाशक्तियों के साथ संबंधों को संतुलित करना भी एक बड़ी चुनौती होगी। भारत के हितों की रक्षा के लिए इन देशों के साथ मजबूत रिश्ते बनाना जरूरी होगा।

अमेरिका के साथ बेहतर रिश्ते पहले से ही बन चुके हैं, लेकिन इन्हें और गहरा करना होगा। खासकर रक्षा और आर्थिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना अहम होगा। G7 समिट में आमंत्रित होने से भी भारत-अमेरिका बंधन मजबूत हुआ है।

दूसरी ओर, चीन के साथ भी ठोस रिश्तों की जरूरत है, खासकर व्यापार और आर्थिक सहयोग के लिहाज से। लेकिन भारत को चीन के बढ़ते दबदबे से भी सतर्क रहना होगा। रूस के साथ भी भारत के काफी मजबूत रिश्ते रहे हैं, खासकर रक्षा क्षेत्र में। इसे भी कायम रखा जाना बेहतर होगा।

यूरोप और अन्य क्षेत्रों से जुड़ाव

मोदी सरकार का लक्ष्य यूरोप और अन्य क्षेत्रों के साथ भी बेहतर व्यापारिक और आर्थिक संबंध बनाना होना चाहिए। यूरोपीय संघ और अलग से ब्रिटेन के साथ व्यापार करार किए जा सकते हैं। इससे भारत को निवेश और नौकरियां मिलेंगी।

इसी तरह अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ भी बेहतर संबंध बनाने की जरूरत है। ये क्षेत्र भविष्य में बड़े आर्थिक और व्यापारिक केंद्र बनेंगे। भारत को अपना असर और प्रभाव बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा।

चुनौतियां और अवसर दोनों हैं

भारत के सामने विदेश नीति को लेकर कई मुद्दे और चुनौतियां हैं। अवसर भी कई हैं। मोदी सरकार को एक बेहतरीन विदेश नीति बनानी होगी, जिसमें देश का हित सबसे ऊपर हो। चाहे दुनिया का माहौल कुछ भी हो, भारत को आत्मनिर्भर बनते हुए अपने रिश्ते भी मजबूत रखना होगा।

अंत में, भारत की विदेश नीति हमारी सुरक्षा, समृद्धि और विकास की मजबूत आधारशिला होगी। हमें अपने पड़ोसी देशों समेत दुनिया भर से अच्छे रिश्ते बनाने होंगे। यही विदेश नीति का लक्ष्य होना चाहिए। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल से यही उम्मीदें बंधी हैं।

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