बीजेपी का बहुमत से दूर रहने के 5 सबसे बड़े कारण: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा झटका दिया है। पार्टी का उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा जैसे अपने गढ़ों में खराब प्रदर्शन रहा, जबकि 2019 और 2014 के चुनावों में उसने अपने दम पर बहुमत हासिल किया था। 2024 में बहुमत के आंकड़े को छूने से चूकने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं।
सबसे पहले, उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरण गड़बड़ाने से बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। न सिर्फ गैर-यादव ओबीसी वोट उससे छिटक गया, बल्कि गैर-जाटव दलित मतदाता भी इंडिया गठबंधन की ओर रुख कर गए। गैर-यादव ओबीसी वोटरों में खटिक और कुर्मी समुदाय के लोग भी विपक्ष का साथ देते नजर आए।
दूसरा बड़ा कारण विपक्ष के “मोदी जीते तो संविधान बदल देंगे” वाले नैरेटिव का असर रहा। राहुल गांधी ने अपनी सभी रैलियों में संविधान की लाल किताब लहराई और यही दावा किया कि मोदी फिर से प्रधानमंत्री बने तो वह संविधान बदल देंगे। असल में यह बात पहले बीजेपी के ही एक सांसद ने कही थी।
तीसरा कारण बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के मतदाताओं का इंडिया गठबंधन का साथ देना रहा। उत्तर प्रदेश में बसपा इस बार विपक्षी गठबंधन का वोट काटने में नाकाम रही। माना जाता है कि संविधान बदलने के डर से दलित वोटर्स ने एकजुट होकर इंडिया गठबंधन को वोट दिया।
चौथा कारण बीजेपी कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच तालमेल की कमी रही। खासकर महाराष्ट्र में कार्यकर्ता नाराज थे कि उन्हें सरकार से साइडलाइन किया गया। साथ ही पुराने सांसदों को टिकट देना और दलबदलुओं को उम्मीदवार बनाना भी पार्टी के लिए गलत साबित हुआ।
पांचवां और सबसे महत्वपूर्ण कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की उदासीनता रही। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की एक टिप्पणी से नाराज आरएसएस ने इस बार चुनाव अभियान में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
इन सभी कारणों की वजह से बीजेपी अकेले 240 सीटें ही जीत सकी, जो बहुमत से काफी कम है। हालांकि सहयोगियों की मदद से उसकी सरकार बनेगी, लेकिन पार्टी को अपनी गलतियों से सबक लेना होगा।