बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि छुट्टी के बदले पैसे कर्मचारियों का अधिकार है। ऐसे में कोर्ट ने एक बैंक को अपने पूर्व कर्मचारियों को बकाया भुगतान करने का आदेश दिया है।
दरअसल एक दंपत्ति, जिन्होंने विदर्भ-कोंकण ग्रामीण बैंक में 30 साल से अधिक समय तक सेवा की थी, ने बैंक से अपने जमा किए गए विशेषाधिकार अवकाश (पीएल) के भुगतान की मांग की थी, लेकिन बैंक ने ये कहते हुए इनकार कर दिया कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और इसलिए वे इस भुगतान के हकदार नहीं हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि छुट्टी के बदले नकद भुगतान एक वेतन की तरह है, जो एक संपत्ति है और किसी भी वैधानिक प्रावधान के बिना किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 300 का उल्लंघन होगा।
कर्मचारियों का अधिकार
कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर किसी कर्मचारी ने छुट्टी अर्जित की है और अपनी अर्जित छुट्टी को अपने खाते में जमा करने का विकल्प चुना है, तो उसे भुनाना उसका अधिकार बन जाता है। ऐसे में कोर्ट ने बैंक को आदेश दिया कि वो याचिकाकर्ताओं को छुट्टी के बदले नकद भुगतान की राशि का भुगतान करे, साथ ही अगले छह सप्ताह के भीतर 6 प्रतिशत वार्षिक की ब्याज दर के साथ भुगतान करे।
निश्चित रूप से कोर्ट का ये फैसला कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम है और ये सुनिश्चित करता है कि उन्हें उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा। ये बैंकों और अन्य नियोक्ताओं के लिए एक चेतावनी के रूप में भी कार्य करता है।
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