मुंबई

मुंबई पर मच्छरों का हमला, BMC की सफाई अभियान पर उठे सवाल

मुंबई पर मच्छरों का हमला
मुंबई के लोगों को हर शाम मच्छरों से जूझना पड़ रहा है। BMC का सफाई अभियान चल रहा है, फिर भी नालों में कचरा, सीवेज का बहाव, और रुके हुए पानी के कारण मच्छरों की भरमार है।

बरसात के बाद अक्सर शहरों में मच्छरों की समस्या बढ़ जाती है।  नमीयुक्त जगहों, कूड़े-कचरे, और रुके हुए पानी में इनका प्रजनन तेज़ी से होता है।

मुंबई में हर शाम मच्छरों के आक्रमण से लोग परेशान हैं। खिड़कियाँ बंद करने और मच्छर मारने के उपायों के बावजूद, ये कीट घरों, दुकानों और यहाँ तक कि गाड़ियों में भी घुस जाते हैं।

BMC अधिकारियों के अनुसार, साल के शुरुआती महीने क्यूलेक्स मच्छरों (nuisance mosquitoes) के प्रजनन के लिए अनुकूल होते हैं।  इस समस्या को  खुले नालों में फेंके गए कचरे, अवैध सीवेज बहाव, और रुके हुए पानी के कारण और बढ़ावा मिलता है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आदेश के बाद, शहर में साप्ताहिक सफ़ाई अभियान चल रहा है। परन्तु, धरातल पर BMC के काम में लापरवाही दिखती है। सड़क निर्माण के दौरान रुका हुआ पानी मच्छरों के प्रजनन को बढ़ावा दे रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ये मच्छर भले मुंबई में बीमारियाँ नहीं फैलाते, पर भविष्य में ऐसा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

धारावी में समस्या इतनी विकट है कि लोगों को अगरबत्ती, धूप, और लकड़ी जलाकर मच्छर भगाने पड़ रहे हैं। BMC द्वारा किया जाने वाला फॉगिंग भी अपर्याप्त साबित हो रहा है। अन्य इलाकों में भी लोग मच्छरों से त्रस्त हैं।

अधिकारी नागरिकों की मच्छरों की शिकायतों से परेशान हैं। बहाने बनाए जा रहे हैं – नालों के आसपास गंदगी, दूसरे विभागों की ज़िम्मेदारी वगैरह।  नागरिक हताश हैं और BMC के काम पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इस बीच लोगों को मच्छरों से खुद ही राहत ढूंढनी पड़ रही है

BMC के सफ़ाई अभियान की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं। मच्छरों के बढ़ते प्रकोप के लिए प्रशासन की ग़लतियों और विभागों के बीच तालमेल की कमी ज़िम्मेदार लगती है।

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