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Mount Kailash Mystery: कैलाश पर्वत पर कोई क्यों नहीं चढ़ सका? माउंट एवरेस्ट से छोटा होते हुए भी क्या है रहस्य और विज्ञान

Mount Kailash Mystery: कैलाश पर्वत पर कोई क्यों नहीं चढ़ सका? माउंट एवरेस्ट से छोटा होते हुए भी क्या है रहस्य और विज्ञान

Mount Kailash Mystery: कैलाश मानसरोवर यात्रा – दुनिया में कई ऊँचे पर्वत हैं, जिन पर हजारों पर्वतारोही सफलता से चढ़ चुके हैं। लेकिन कैलाश पर्वत (Mount Kailash) एकमात्र ऐसा पर्वत है, जिस पर अब तक कोई भी इंसान नहीं चढ़ सका है। जबकि इसकी ऊँचाई 6,638 मीटर है, जो कि माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) से करीब 2,000 मीटर कम है। इसके बावजूद अब तक कोई भी इस शिखर को छू नहीं सका है।

आखिर क्या वजह है कि माउंट एवरेस्ट पर अब तक 7,000 से अधिक लोग सफलतापूर्वक चढ़ाई कर चुके हैं, लेकिन कैलाश पर्वत के शिखर तक कोई नहीं पहुंच सका? क्या इसके पीछे कोई आध्यात्मिक रहस्य है या फिर वैज्ञानिक कारण? आइए इस रहस्य को विस्तार से समझते हैं।


कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास माना जाता है। यह पर्वत सिर्फ हिंदू धर्म ही नहीं, बल्कि जैन, बौद्ध और बोन धर्मों के लिए भी अत्यंत पवित्र है।

  • हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान शिव कैलाश पर्वत पर ध्यानमग्न रहते हैं।
  • जैन धर्म में इसे अष्टपद पर्वत कहा जाता है, जहां पहले तीर्थंकर ऋषभदेव को निर्वाण प्राप्त हुआ था।
  • बौद्ध धर्म में इसे कंग रिनपोचे कहा जाता है, और तिब्बती बौद्धों के अनुसार, यह ब्रह्मांड का केंद्र है।
  • बोन धर्म में इसे पवित्र ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जो भी इस पर्वत की चोटी तक पहुंचने की कोशिश करता है, वह या तो रास्ते में ही खो जाता है, उसकी मृत्यु हो जाती है या फिर वह वापस लौटने की हिम्मत नहीं कर पाता।


Mount Kailash Mystery: कैलाश पर्वत पर चढ़ाई क्यों असंभव है?

1. अत्यधिक खड़ी चढ़ाई

कैलाश पर्वत की चढ़ाई बेहद कठिन है क्योंकि इसका एंगल 65 डिग्री से ज्यादा है।

  • माउंट एवरेस्ट का एंगल 40 से 50 डिग्री का होता है, जिससे पर्वतारोहियों को धीरे-धीरे चढ़ने में आसानी होती है।
  • कैलाश पर्वत की ऊँचाई कम होने के बावजूद इसकी चढ़ाई लगभग सीधी खड़ी है, जिससे यहाँ पर कदम जमाना लगभग असंभव हो जाता है।
  • पर्वतारोहियों के अनुसार, इस पर्वत की चट्टानें बहुत ही चिकनी और फिसलन भरी होती हैं, जिससे ऊपर चढ़ना अत्यधिक मुश्किल हो जाता है।

2. अप्रत्याशित और खतरनाक मौसम

कैलाश पर्वत पर मौसम कभी स्थिर नहीं रहता।

  • यहाँ तेज़ हवाएँ, बर्फीले तूफान और अचानक गिरने वाला भारी हिमपात चढ़ाई को लगभग नामुमकिन बना देता है।
  • तापमान बहुत तेजी से गिरता है, जिससे हाइपोथर्मिया और ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, कैलाश के ऊपर की हवा इतनी तीव्र होती है कि कोई भी व्यक्ति शिखर तक पहुंचने से पहले ही बेहोश हो सकता है।

3. आध्यात्मिक और धार्मिक कारण

तिब्बत में मान्यता है कि जो भी कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश करता है, वह भगवान शिव के श्राप का शिकार हो जाता है।

  • 1985 में रूसी पर्वतारोही निकोलाई रोरिख ने दावा किया था कि उन्होंने कैलाश पर्वत पर एक अदृश्य शक्ति महसूस की, जिसने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।
  • तिब्बती बौद्धों के अनुसार, यहाँ के देवता इस पर्वत की रक्षा करते हैं, और जो भी इसे पार करने की कोशिश करता है, उसे कोई न कोई अदृश्य शक्ति वापस लौटा देती है।

4. वैज्ञानिक रहस्य: समय का प्रभाव?

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर समय अलग तरह से चलता है।

  • कई यात्रियों ने दावा किया है कि जब वे कैलाश पर्वत के आसपास रहते हैं, तो उनके नाखून और बाल तेजी से बढ़ने लगते हैं।
  • यह सिद्धांत बताता है कि यहाँ किसी तरह का चुंबकीय प्रभाव हो सकता है, जो समय को प्रभावित करता है।

हालांकि, इस विषय पर कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत भू-चुंबकीय शक्तियों से घिरा हुआ है, जो इंसानों को यहाँ चढ़ने से रोकता है।


क्या किसी ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की?

इतिहास में कई पर्वतारोहियों ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया।

  • 2000 में एक पर्वतारोहण दल ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा।
  • चीन सरकार ने अब इस पर्वत पर चढ़ाई को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है।
  • रूस, अमेरिका और भारत के पर्वतारोहियों ने भी इस पर्वत पर चढ़ाई के लिए अनुमति मांगी, लेकिन तिब्बती और चीनी प्रशासन ने इसे अस्वीकार कर दिया।

अब कैलाश पर्वत को सिर्फ पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में देखा जाता है, और श्रद्धालु केवल इसकी 52 किलोमीटर की परिक्रमा कर सकते हैं।


कैलाश पर्वत पर चढ़ाई केवल ऊँचाई के कारण कठिन नहीं है, बल्कि इसकी अत्यधिक खड़ी चढ़ाई, अप्रत्याशित मौसम, धार्मिक आस्था और संभावित वैज्ञानिक रहस्य इसे असंभव बना देते हैं।

माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई 8,848 मीटर है और अब तक 7,000 से अधिक लोग उस पर चढ़ चुके हैं। लेकिन कैलाश पर्वत की ऊँचाई 6,638 मीटर ही है, फिर भी कोई इसे पार नहीं कर सका।

कई पर्वतारोहियों और वैज्ञानिकों ने इसके पीछे अज्ञात शक्तियों, चुंबकीय प्रभाव और आध्यात्मिक रहस्यों को जिम्मेदार ठहराया है।

आज भी कैलाश पर्वत दुनिया के सबसे बड़े अनसुलझे रहस्यों में से एक है, और शायद यही वजह है कि इसे भगवान शिव का निवास कहा जाता है।

क्या सच में यहाँ कोई अदृश्य शक्ति है, या यह सिर्फ कठिन भूगोल और मौसम की वजह से है? यह सवाल आज भी अनसुलझा है।

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