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Mumbai Airport Height Violation Action: बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर मुंबई हवाई अड्डे के पास सात संरचनाओं के गैरकानूनी हिस्से हटाए गए

Mumbai Airport Height Violation Action: बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर मुंबई हवाई अड्डे के पास सात संरचनाओं के गैरकानूनी हिस्से हटाए गए

Mumbai Airport Height Violation Action: मुंबई का छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा देश के सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण हवाई अड्डों में से एक है। लेकिन इसके आसपास की ऊंची इमारतें लंबे समय से चर्चा का विषय रही हैं। इन इमारतों के कारण विमानों की उड़ान और लैंडिंग में खतरा पैदा होता है। 18 जून 2025 को महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि मुंबई हवाई अड्डे के पास सात इमारतों के उन हिस्सों को हटा दिया गया है, जो ऊंचाई नियमों का उल्लंघन (Height Violations, ऊंचाई उल्लंघन) कर रहे थे। यह कदम न केवल हवाई यात्रियों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सरकार और कोर्ट इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रहे हैं। यह कहानी नई पीढ़ी के उन पाठकों के लिए है, जो अपने शहर की सुरक्षा और विकास के बारे में जानना चाहते हैं।

यह मामला तब शुरू हुआ, जब 2019 में वकील यशवंत शेनॉय ने एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation, जनहित याचिका) दायर की। उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि मुंबई हवाई अड्डे के आसपास की उन ऊंची इमारतों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जो विमानों के लिए खतरा बन रही हैं। इन इमारतों में कुछ ऐसी संरचनाएं थीं, जो तय ऊंचाई सीमा से ज्यादा थीं और रनवे के रास्ते में बाधा डाल रही थीं। शेनॉय का कहना था कि ऐसी इमारतें न केवल यात्रियों की जान को जोखिम में डालती हैं, बल्कि हवाई अड्डे की सुरक्षा को भी कमजोर करती हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि सात इमारतों के गैरकानूनी हिस्सों को हटा दिया गया है। ये इमारतें कुर्ला और सांताक्रूज (पश्चिम) जैसे इलाकों में थीं। इनमें फैज सीएचएसएल, आल्विन अपार्टमेंट्स सीएचएसएल, फजल हाउस सीएचएसएल, फरजान अपार्टमेंट सीएचएस और रिजवी नगर को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के विंग सी और ई शामिल हैं। सांताक्रूज में धीरज हेरिटेज प्रीमाइसेस की एक संरचना भी इस सूची में थी। इन इमारतों से पानी की टंकियां, एंटीना, लोहे के पाइप और कंक्रीट के कुछ हिस्से हटाए गए।

इन संरचनाओं को हटाने की प्रक्रिया में मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) ने अहम भूमिका निभाई। MIAL ने इन इमारतों का निरीक्षण किया और पुष्टि की कि सभी गैरकानूनी हिस्से हटा दिए गए हैं। यह काम बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद किया गया, जिसमें कोर्ट ने मुंबई उपनगरीय कलेक्टर को सख्ती से कार्रवाई करने को कहा था। कोर्ट ने पहले 48 ऐसी संरचनाओं को चिह्नित किया था, जो ऊंचाई नियमों का उल्लंघन कर रही थीं। इनमें से सात के हिस्सों को हटाने का काम अब पूरा हो चुका है।

महाराष्ट्र सरकार ने यह भी बताया कि वह भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों को जारी रखेगी। मुंबई उपनगरीय कलेक्टर कार्यालय अब बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) और मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) के साथ मिलकर काम करेगा। अगर भविष्य में कोई और इमारत ऊंचाई नियमों का उल्लंघन करती पाई गई, तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए BMC को महाराष्ट्र क्षेत्रीय और नगर नियोजन अधिनियम (MRTP Act) के तहत नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला सिर्फ इमारतों को हटाने तक सीमित नहीं है। यह हवाई यात्रियों की सुरक्षा, शहर के विकास और नियमों के पालन की कहानी है। मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में, जहां जमीन की कीमत आसमान छूती है, ऊंची इमारतें बनाना आम बात है। लेकिन हवाई अड्डे के आसपास ऐसी इमारतें बनाना खतरनाक हो सकता है। विमानों को उड़ान भरने और उतरने के लिए एक खुला और सुरक्षित रास्ता चाहिए। अगर इमारतें इस रास्ते में आती हैं, तो यह न केवल पायलटों के लिए चुनौती है, बल्कि हजारों यात्रियों की जान को भी खतरे में डालता है।

2019 से शुरू हुई यह कानूनी लड़ाई अब एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुकी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। 2022 में कोर्ट ने 48 ऐसी संरचनाओं को हटाने का आदेश दिया था। मार्च और मई 2025 में कोर्ट ने फिर से कलेक्टर को सात खास इमारतों के हिस्सों को हटाने का निर्देश दिया। अब जब इन सात संरचनाओं के हिस्से हटा दिए गए हैं, तो कोर्ट ने सरकार की इस कार्रवाई को रिकॉर्ड पर लिया है। लेकिन यह मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। कोर्ट ने अगली सुनवाई चार हफ्तों बाद तय की है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नियमों का पालन जारी रहे।

इस मामले में BMC की भूमिका भी अहम है। BMC को यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी नई इमारत ऊंचाई नियमों का उल्लंघन न करे। इसके लिए उन्हें नोटिस जारी करने और नियमों का सख्ती से पालन कराने का जिम्मा दिया गया है। मुंबई जैसे शहर में, जहां हर दिन नई इमारतें बन रही हैं, यह काम आसान नहीं है। लेकिन कोर्ट और सरकार की सख्ती से यह संदेश साफ है कि सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा।

यह कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि शहर का विकास और सुरक्षा एक साथ चलने चाहिए। मुंबई हवाई अड्डे के आसपास की इमारतें सिर्फ ईंट और कंक्रीट का ढांचा नहीं हैं। इनमें लोग रहते हैं, जिन्होंने अपने जीवन की कमाई इन घरों में लगाई है। लेकिन जब बात सुरक्षा की आती है, तो कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता। यशवंत शेनॉय की याचिका ने इस मुद्दे को सामने लाकर एक बड़ा बदलाव लाने की कोशिश की है।

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