महाराष्ट्र

विधायक की कार धोता पुलिसवाला: सेवा या मजबूरी? सोशल मीडिया पर मचा बवाल

विधायक की कार धोता पुलिसवाला: सेवा या मजबूरी? सोशल मीडिया पर मचा बवाल

विधायक की कार धोता पुलिसकर्मी: मुंबई की सड़कों पर एक अजीब नजारा देखने को मिला। एक पुलिसवाला किसी की कार धो रहा था। लेकिन ये कोई आम आदमी की कार नहीं थी। ये कार थी शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया और लोगों ने कई सवाल उठाए।

क्या हुआ था?

एक दिन, मुंबई की एक सड़क पर, लोगों ने देखा कि एक पुलिसवाला एक कार धो रहा है। पहले तो किसी ने ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब पता चला कि ये कार शिवसेना के विधायक संजय गायकवाड़ की है, तो सब हैरान रह गए। किसी ने इसका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया।

वीडियो देखते ही लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया। क्या पुलिस का काम नेताओं की कार धोना है? क्या ये सही है कि एक सरकारी कर्मचारी किसी नेता की निजी सेवा कर रहा है?

विधायक का जवाब

जब ये वीडियो वायरल हुआ, तो विधायक संजय गायकवाड़ ने इस पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिसवाले को कार धोने के लिए नहीं कहा था। उनके मुताबिक, वो पुलिसवाला उनकी सुरक्षा के लिए तैनात था। विधायक ने बताया कि उस दिन नाश्ते के बाद पुलिसवाले को कार में उल्टी हो गई थी। इसलिए वो खुद ही कार साफ कर रहा था।

लेकिन क्या ये सफाई काफी है? क्या सच में पुलिसवाले ने अपनी मर्जी से कार धोई थी? या फिर उस पर कोई दबाव था? ये सवाल अभी भी लोगों के मन में हैं।

पुलिस की भूमिका

पुलिस का काम होता है लोगों की सुरक्षा करना और कानून-व्यवस्था बनाए रखना। कई बार बड़े नेताओं को सुरक्षा दी जाती है। लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि पुलिसवाले उनकी निजी सेवा भी करें?

इस घटना ने एक बार फिर इस बात पर ध्यान खींचा है कि कई बार नेता और अफसर अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हैं। वे सरकारी कर्मचारियों से अपना निजी काम कराते हैं। ये न सिर्फ गलत है, बल्कि कानून के खिलाफ भी है।

विधायक का पिछला रिकॉर्ड

ये पहली बार नहीं है जब विधायक संजय गायकवाड़ विवादों में आए हैं। इससे पहले भी वे कई बार सुर्खियों में रहे हैं। फरवरी में उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने 1987 में एक बाघ का शिकार किया था और उसके दांत को वे अपने गले में पहनते थे।

ये बात सुनते ही वन विभाग हरकत में आ गया। उन्होंने विधायक से वो दांत ले लिया और उन पर केस दर्ज कर दिया। बाघ का शिकार करना कानून के खिलाफ है और इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है।

इस तरह की घटनाएं क्या दिखाती हैं?

ये घटनाएं दिखाती हैं कि कुछ नेता अपने आप को कानून से ऊपर समझते हैं। वे सोचते हैं कि उनके लिए नियम अलग हैं। लेकिन सच ये है कि कानून सबके लिए बराबर होना चाहिए। चाहे कोई आम आदमी हो या बड़ा नेता, सबको नियमों का पालन करना चाहिए।

इस तरह की घटनाओं से आम लोगों का विश्वास सरकार और पुलिस से कम होता है। लोग सोचने लगते हैं कि नेता और अफसर मिलकर अपना फायदा देखते हैं, आम आदमी की परवाह नहीं करते।

आगे क्या?

अब सवाल ये है कि इस घटना के बाद क्या होगा? क्या कोई कार्रवाई होगी या फिर ये मामला भी धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाएगा?

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। नेताओं और अफसरों को समझना होगा कि वे भी आम लोगों की तरह ही हैं और उन्हें भी नियमों का पालन करना है।

साथ ही, लोगों को भी जागरूक होना होगा। अगर कहीं कोई गलत काम हो रहा है, तो उसकी शिकायत करनी चाहिए। सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करके ऐसी घटनाओं को सामने लाना चाहिए।

 

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