मुंबई

मरीजों को प्राथमिकता, चुनाव ड्यूटी पर मुंबई के डॉक्टर्स-नर्सेज का विरोध

मरीजों को प्राथमिकता, चुनाव ड्यूटी पर मुंबई के डॉक्टर्स-नर्सेज का विरोध

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए चुनावी ड्यूटी लगाए जाने के विरोध में मुंबई के सरकारी और बीएमसी अस्पतालों के डॉक्टर्स और नर्सेज सड़कों पर उतर आए हैं। उनका कहना है कि उनकी पहली प्राथमिकता मरीजों की देखभाल है, और चुनाव ड्यूटी से अस्पतालों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित होगा।

मुंबई के विभिन्न अस्पतालों से करीब 544 डॉक्टर्स और 820 नर्सेज को कलेक्टर कार्यालय से चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात करने के आदेश मिले हैं। इस आदेश ने उन लोगों में नाराज़गी पैदा कर दी है, जो हाल ही में खत्म हुई कोरोना महामारी के दौरान लगातार काम कर रहे थे। कोविड-19 ड्यूटी से छुट्टी मिलते ही, अब चुनाव ड्यूटी की ज़िम्मेदारी से चिकित्साकर्मियों में मायूसी है।

चुनावी ड्यूटी के आदेशों के विरोध में मेडिकल स्टाफ के कई संघों के बैनर तले डॉक्टर्स और नर्सेज ने अस्पतालों के भीतर और बाहर प्रदर्शन किए हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन उनकी बात अनसुनी कर रहा है।  अस्पतालों के डीन भी कलेक्टर से मुलाकात कर रहे हैं, और उन्हें इस आदेश को वापस लिए जाने का अनुरोध कर रहे हैं।  डॉक्टर्स और नर्सेज चेतावनी दे रहे हैं कि मरीजों के हित के लिए वे कोई भी बड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।

चुनाव जैसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सुचारू रूप से होना बेहद महत्वपूर्ण है। परन्तु, अस्पतालों से बड़ी संख्या में मेडिकल स्टाफ हटाने का मरीजों की देखभाल और आपतकालीन स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर पड़ सकता है। ऐसे में, प्रशासन के लिए एक कठिन चुनाव है – लोकतंत्र की तात्कालिक ज़रूरतों और नागरिकों के स्वास्थ्य अधिकार के बीच संतुलन कैसे साधा जाए।

बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त डॉ. सुधाकर शिंदे ने कहा है कि वे डॉक्टर्स और नर्सेज की चिंता समझते हैं, और कलेक्टर से इसपर जल्द निर्णय लिए जाने का आग्रह करेंगे। मुंबई के कई अस्पतालों में स्टाफ की कमी पहले से ही एक बड़ी समस्या है। चुनाव ड्यूटी इस समस्या को और बढ़ा सकती है।

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