Mumbai New Drainage Plan to Tackle Floods: मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, अपनी चमक-दमक और तेज रफ्तार जिंदगी के लिए जानी जाती है। लेकिन हर साल बारिश का मौसम आते ही यह शहर एक बड़ी चुनौती का सामना करता है—बाढ़। भारी बारिश और ऊंची ज्वार के कारण सड़कों पर पानी भर जाता है, जिससे जनजीवन ठप हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अब एक नया ड्रेनेज मास्टर प्लान (ड्रेनेज मास्टर प्लान/drainage master plan) तैयार करने का फैसला किया है, जो प्रति घंटे 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश को संभाल सके। इसके साथ ही, मुंबई में चार नए पंपिंग स्टेशन (पंपिंग स्टेशन/pumping stations) बनाने की योजना भी शुरू की गई है।
मुंबई की मौजूदा नालियों की व्यवस्था प्रति घंटे 55 मिलीमीटर बारिश को संभालने के लिए डिज़ाइन की गई है। लेकिन हाल के वर्षों में बारिश की तीव्रता बढ़ती जा रही है। 2014 से 2019 के बीच, शहर में बारिश 131 मिलीमीटर प्रति घंटे तक पहुंची, और इस साल 19 मई को यह 182 मिलीमीटर प्रति घंटे तक जा पहुंची। 26 जुलाई, 2005 को तो मुंबई ने 16 घंटे में करीब 1,000 मिलीमीटर बारिश देखी, जो औसतन 139 मिलीमीटर प्रति घंटे थी। इस भयावह बाढ़ ने पूरे शहर को ठप कर दिया था, क्योंकि ऊंची ज्वार के कारण पानी का निकास नहीं हो पाया था। बीएमसी के अध्ययनों के अनुसार, मुंबई में हर साल औसतन 16 से 20 दिन भारी बारिश होती है, जिनमें से कुछ दिन 100 मिलीमीटर प्रति घंटे से अधिक बारिश दर्ज की जाती है।
इस बढ़ती चुनौती को देखते हुए, सरकार ने अब एक नया ड्रेनेज मास्टर प्लान (drainage master plan/ड्रेनेज मास्टर प्लान) बनाने का निर्णय लिया है। यह योजना विशेष रूप से 100 मिलीमीटर प्रति घंटे से अधिक बारिश को संभालने के लिए तैयार की जा रही है। इसकी शुरुआत के लिए केंद्र सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने 500 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि दी है। यह राशि बीएमसी को तत्काल बाढ़-नियंत्रण उपाय लागू करने के लिए दी गई है। एनडीएमए ने बीएमसी को शहर के बाढ़-प्रवण क्षेत्रों का वास्तविक समय मूल्यांकन करने और एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। बीएमसी ने इस दिशा में एक ड्राफ्ट योजना तैयार की है, जिसकी समीक्षा अब आईआईटी के विशेषज्ञों की एक समिति कर रही है।
इसके साथ ही, बीएमसी ने चार नए पंपिंग स्टेशन (pumping stations/पंपिंग स्टेशन) बनाने की योजना बनाई है। अभी मुंबई में नौ छोटे और छह बड़े पंपिंग स्टेशन हैं। अब महाराष्ट्र नगर और धारावी टी-जंक्शन में दो छोटे स्टेशन, और मोगरा व माहुल में दो बड़े स्टेशन बनाए जाएंगे। ये स्टेशन कुर्ला और अंधेरी जैसे बाढ़-प्रवण क्षेत्रों से पानी निकालने में मदद करेंगे। इन क्षेत्रों में हर साल बारिश के दौरान सड़कों पर पानी भर जाता है, जिससे ट्रैफिक जाम और लोगों को भारी परेशानी होती है। उदाहरण के लिए, कुर्ला में बनी सड़कों पर पानी जमा होने से कई घंटों तक यातायात रुक जाता है, और स्थानीय लोग अपने दैनिक कामों के लिए जूझते हैं।
इस नई योजना में तकनीकी नवाचारों को भी शामिल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी जापान यात्रा के दौरान वहां की उन्नत ड्रेनेज तकनीकों का अध्ययन किया था। अब बीएमसी इन तकनीकों को अपने मास्टर प्लान में शामिल कर रही है। इस परियोजना का अनुमानित खर्च करीब 5,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा एनडीएमए द्वारा प्रदान किया जाएगा। इस योजना को रेलवे, मेट्रो और एमएमआरडीए जैसे प्राधिकरणों के साथ समन्वय में तैयार किया जा रहा है, ताकि शहर की बुनियादी ढांचे की जरूरतों को पूरी तरह समझा जा सके।
2005 की बाढ़ के बाद, चितले समिति की सिफारिशों के आधार पर मुंबई की नालियों की क्षमता को 25 मिलीमीटर प्रति घंटे से बढ़ाकर 55 मिलीमीटर प्रति घंटे किया गया था। लेकिन अब बारिश की बढ़ती तीव्रता ने इस क्षमता को अपर्याप्त बना दिया है। मुंबई जैसे शहर में, जहां हर साल लाखों लोग बारिश के कारण होने वाली बाढ़ से प्रभावित होते हैं, यह नया मास्टर प्लान एक उम्मीद की किरण है। बाढ़-प्रवण क्षेत्रों की पहचान की जा रही है, और इनमें उन्नत ड्रेनेज सिस्टम विकसित किए जाएंगे। इस योजना को लागू करने के लिए सरकार ने एक महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है।