मुंबई

Mumbai ONTV News: धारावी पुनर्वास परियोजना के लिए केंद्र सरकार से राज्य सरकार ने मांगी साल्ट पैन की जमीन

Mumbai ONTV News
Image Source - Web

Mumbai ONTV News: धारावी पुनर्वास परियोजना के लिए महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से मुंबई की साल्ट पैन की जगह मांगी है। यह जमीन 99 साल की लीज पर ली जाएगी।

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने सोमवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी।

इसके लिए राज्य सरकार ने गारंटी पत्र के साथ केंद्र सरकार से साल्ट पैन की भूमि हस्तांतरित करने का प्रस्ताव पेश करने की मंजूरी दी है।

साल्ट पैन की करीब 283.4 एकड़ जमीन है, जिसका मालिकाना हक भारत सरकार के पास है।

जमीन हस्तांतरित करने के लिए संयुक्त गणना के बाद केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली जमीन को राज्य सरकार को हस्तांतरित करने का हक होगा।

जो जमीन केंद्र सरकार की नहीं है, उसका मालिकाना हक राज्य के राजस्व विभाग का है। उसे गृह निर्माण विभाग को दिया जाएगा।

केंद्र सरकार से जमीन हासिल होने के बाद जमीन के बाजार भाव के अनुसार कीमत राज्य सरकार की विशेष प्रयोजन कंपनी (एसपीवी) से वसूली जाएगी।

धारावी पुनर्वास परियोजना में 56,000 परिवारों को घर देने का लक्ष्य है।

परियोजना के तहत, पात्र लोगों को धारावी में ही 350 वर्ग फीट का घर दिया जाएगा, जबकि अपात्र लोगों को धारावी से बाहर 300 वर्ग फीट का घर दिया जाएगा।

यह निर्णय सर्वेक्षण और सरकार के डेटा के आधार पर लिया जाएगा।

इसके अलावा, सरकार ने मुंबईकरों पर प्रॉपर्टी टैक्स का बोझ नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है।

इससे बीएमसी की तिजोरी पर 736 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

पिछले साल 2023 में राज्य सरकार ने प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ाने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया था।

इससे बीएमसी कमिश्नर ने नए रेडीरेकनर की दर को आधार बनाते हुए दिसंबर में मुंबईकरों को प्रॉपर्टी टैक्स के बिल भेजे हैं।

उस वक्त इस निर्णय का भारी विरोध हुआ, जिसके चलते बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था।

कोविड काल के दौरान भी प्रॉपर्टी टैक्स की दरें नहीं बढ़ाई गई थीं।

हालांकि, इस प्रस्ताव को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं:

पर्यावरणीय चिंताएँ: साल्ट पैन नमभूमि पारिस्थितिकी तंत्र का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो तटीय बाढ़ सुरक्षा और ज्वार-भाटा के चक्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संरक्षणवादियों का कहना है कि इस भूमि के विकास से न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचेगा बल्कि तटीय इलाकों की सुरक्षा भी कमजोर हो जाएगी।

पुनर्वास की चिंताएँ: कुछ संगठनों का कहना है कि यह प्रस्ताव धारावी के वास्तविक निवासियों की जरूरतों को पूरा नहीं करता है। उनका तर्क है कि साल्ट पैन का स्थान काफी दूर है और धारावी समुदाय के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने को बाधित कर सकता है।
आदिवासी अधिकारों की चिंताएँ: कुछ समूहों का दावा है कि साल्ट पैन की कुछ जमीन पर आदिवासियों के पारंपरिक अधिकार हैं और किसी भी विकास से पहले उनका परामर्श आवश्यक है।

ये भी पढ़ें: Mumbai ONTV News: फरवरी के तीसरे सप्ताह में खुलेगा डोमेस्टिक एयरपोर्ट के पास WEH पर नया फ्लाईओवर

You may also like