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Mumbai Police Rescues 412 Child Labourers: अंधेरी में नाबालिग से पेड़ कटवाने का आरोप, 2020 से 2025 तक 412 बच्चे मुक्त

Mumbai Police Rescues 412 Child Labourers: अंधेरी में नाबालिग से पेड़ कटवाने का आरोप, 2020 से 2025 तक 412 बच्चे मुक्त

Mumbai Police Rescues 412 Child Labourers: मुंबई, जो भारत की आर्थिक राजधानी और सपनों का शहर है, अपने नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण के लिए लगातार प्रयासरत रहता है। लेकिन हाल ही में अंधेरी पूर्व में एक दिल दहला देने वाली घटना ने शहरवासियों का ध्यान खींचा है। 14 जून 2025 को, भारी बारिश के बीच एक नाबालिग बच्चे को चक्रवर्ती अशोक को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड के परिसर में, जेबी नगर सर्कल के पास होटल अमर के निकट, पेड़ की टहनियां काटने (Child Labour Violation, बाल श्रम उल्लंघन) का खतरनाक काम सौंपा गया। यह घटना न केवल बाल सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि यह भी दिखाती है कि मुंबई जैसे आधुनिक शहर में भी बाल श्रम (Combating Child Labour, बालकाम का विरोध) की समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। इस मामले को वाचडॉग फाउंडेशन ने उजागर किया, जिसने मुंबई पुलिस आयुक्त और बीएमसी आयुक्त के पास औपचारिक शिकायत दर्ज की।

मुंबई पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सोसाइटी के प्रबंधन समिति के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। वाचडॉग फाउंडेशन के ट्रस्टी, अधिवक्ता गॉडफ्रे पिमेंटा ने बताया कि मानसून के मौसम में एक नाबालिग को इतना जोखिम भरा काम सौंपना बाल श्रम कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस कार्य ने बच्चे की जान को गंभीर खतरे में डाला। यह घटना उस समय सामने आई, जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें बच्चा बारिश में पेड़ की टहनियां काटता नजर आया। इस वीडियो ने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोरा, बल्कि पूरे शहर में बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने का काम भी किया।

मुंबई पुलिस ने बाल श्रम के खिलाफ अपनी लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति की है। जनवरी 2020 से 11 जून 2025 तक, पुलिस ने शहर के विभिन्न हिस्सों से 412 बच्चो को बाल श्रम से मुक्त (Child Labour Rescue, बाल श्रम मुक्ति) कराया। इन मामलों में 182 प्राथमिकी दर्ज की गईं, और 220 लोगों को नाबालिगों को अवैध रूप से काम पर रखने के लिए गिरफ्तार किया गया। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि मुंबई पुलिस इस सामाजिक बुराई को जड़ से उखाड़ने के लिए कितनी गंभीर है। पुलिस ने न केवल बच्चों को बचाया, बल्कि उन्हें पुनर्वास और शिक्षा के अवसर भी प्रदान करने की दिशा में काम किया।

अंधेरी की यह घटना कोई इकलौती नहीं है। मुंबई में पहले भी कई बार बाल श्रम के मामले सामने आए हैं। छोटे-छोटे ढाबों, होटलों, और दुकानों में नाबालिग बच्चे लंबे समय तक काम करते पाए गए हैं। इनमें से कई बच्चे उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से तस्करी के जरिए मुंबई लाए जाते हैं। वे न केवल कम वेतन पर काम करते हैं, बल्कि अमानवीय परिस्थितियों में रहने को मजबूर होते हैं। मुंबई पुलिस ने ऐसे कई रैकेट्स का भंडाफोड़ किया है। उदाहरण के लिए, 2021 में वकोला पुलिस ने एक नौ साल की बच्ची को घरेलू काम से बचाया, जिसे बिहार से लाकर एक व्यवसायी के घर में काम करने के लिए मजबूर किया गया था। इस तरह की कार्रवाइयां दिखाती हैं कि पुलिस और गैर-सरकारी संगठन मिलकर बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर काम कर रहे हैं।

वाचडॉग फाउंडेशन जैसे संगठन इस लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनकी शिकायतों और जागरूकता अभियानों ने न केवल प्रशासन को सक्रिय किया, बल्कि आम नागरिकों को भी इस मुद्दे पर सोचने के लिए प्रेरित किया। अंधेरी की घटना में, फाउंडेशन ने तुरंत कार्रवाई की और पुलिस को सूचित किया। उनका कहना है कि मानसून में पेड़ काटना वैसे भी खतरनाक है, और एक बच्चे को यह काम सौंपना पूरी तरह गैर-जिम्मेदाराना है। यह न केवल बच्चे की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के नियमों का भी उल्लंघन है, क्योंकि पेड़ काटने के लिए बीएमसी से अनुमति लेना अनिवार्य होता है।

मुंबई पुलिस की कार्रवाइयां इस शहर की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को दर्शाती हैं। 2020 से 2025 तक, पुलिस ने ऑपरेशन मुस्कान जैसे अभियानों के तहत हजारों बच्चों को बचाया। यह अभियान गृह मंत्रालय की एक पहल है, जिसका उद्देश्य लापता बच्चों को ढूंढना और उनका पुनर्वास करना है। इस अभियान के तहत, पुलिस ने न केवल बाल श्रम से बच्चों को मुक्त कराया, बल्कि उन्हें उनके परिवारों से मिलाने और स्कूलों में दाखिला दिलाने में भी मदद की। इन प्रयासों ने कई बच्चों को नया जीवन दिया, जो पहले कठिन परिस्थितियों में जी रहे थे।

अंधेरी की घटना ने यह भी उजागर किया कि समाज में जागरूकता की अभी भी कमी है। कई लोग, खासकर हाउसिंग सोसाइटीज और छोटे व्यवसायी, बाल श्रम के कानूनी और नैतिक पहलुओं से अनजान हैं। वाचडॉग फाउंडेशन ने इस मामले में सोसाइटी के प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या आम लोग इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए पर्याप्त सतर्क हैं। मुंबई जैसे शहर में, जहां हर कोई अपनी जिंदगी में व्यस्त है, छोटे-छोटे बच्चों को काम करते देखना आम हो गया है। लेकिन यह घटना एक चेतावनी है कि हमें अपने आसपास के बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों पर ध्यान देना होगा।

मुंबई पुलिस और गैर-सरकारी संगठनों के संयुक्त प्रयासों ने शहर में बाल श्रम के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया है। लेकिन अंधेरी की यह ताजा घटना दिखाती है कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है, और सोसाइटी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। यह मामला न केवल कानूनी कार्रवाई की मांग करता है, बल्कि यह समाज को यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि हम अपने बच्चों के बचपन को कितनी गंभीरता से लेते हैं।

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