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Mumbai Teachers on BLO Duty Amid School Reopening: मुंबई में 1000 शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी, स्कूल प्रभावित

Mumbai Teachers on BLO Duty Amid School Reopening: मुंबई में 1000 शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी, स्कूल प्रभावित

Mumbai Teachers on BLO Duty Amid School Reopening: मुंबई, जो अपने तेज रफ्तार जीवन और शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है, में गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल फिर से खुल गए हैं। लेकिन इस बार, 16 जून 2025 को स्कूल शुरू होने (School Reopening, स्कूल पुनः खुलना) के साथ ही एक नई चुनौती सामने आई है। महाराष्ट्र में 1000 से अधिक शिक्षकों को नागरिक चुनावों के लिए ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) की जिम्मेदारी (Election Duty, चुनाव ड्यूटी) सौंपी गई है। यह खबर शिक्षकों और स्कूल प्रबंधन के लिए एक झटके की तरह आई, खासकर तब, जब नया शैक्षणिक सत्र अभी शुरू ही हुआ है। मुंबई के मलाड क्षेत्र में स्थित सर्वोदय स्कूल इसका एक जीवंत उदाहरण है, जहां माध्यमिक खंड के सभी 18 शिक्षकों को बीएलओ का काम करने का आदेश मिला है। यह स्थिति न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि उन हजारों छात्रों के लिए भी चिंता का विषय है, जो उनकी पढ़ाई पर निर्भर हैं।

सर्वोदय स्कूल के एक शिक्षक ने, जिन्होंने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बात की, बताया कि इस आदेश ने उन्हें और उनके सहयोगियों को हैरान कर दिया। आमतौर पर, किसी स्कूल से एक या दो शिक्षकों को ही बीएलओ ड्यूटी के लिए चुना जाता है, लेकिन इस बार पूरे माध्यमिक खंड के शिक्षकों को यह जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने कहा कि नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही पढ़ाई का दबाव पहले से ही बहुत है। ऐसे में, हर शिक्षक को बीएलओ की जिम्मेदारी देना स्कूल के नियमित कामकाज को प्रभावित कर सकता है। इस स्कूल में 700 से अधिक छात्र पढ़ते हैं, और इतने बड़े पैमाने पर शिक्षकों की अनुपस्थिति बच्चों की पढ़ाई में बाधा डाल सकती है।

बीएलओ का काम मतदाता सूची को अपडेट करना है। इसके लिए शिक्षकों को अपने स्कूल के आसपास के इलाकों में घर-घर जाकर मतदाता जानकारी को सत्यापित और अपडेट करना होता है। एक अन्य शिक्षक ने बताया कि यह काम समय और मेहनत मांगता है। स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ घर-घर जाकर यह काम करना लगभग असंभव है। शिक्षकों का कहना है कि वे इस जिम्मेदारी के खिलाफ नहीं हैं। चुनाव और जनगणना जैसे गैर-शैक्षणिक कार्य शिक्षकों के लिए कोई नई बात नहीं हैं, और वे इसमें हिस्सा लेने को तैयार हैं। लेकिन एक ही स्कूल के सभी शिक्षकों को यह जिम्मेदारी देना व्यावहारिक नहीं है। यह न केवल उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारियों को प्रभावित करता है, बल्कि स्कूलों के समग्र कामकाज पर भी असर डालता है।

सर्वोदय स्कूल के प्रबंधन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और शिक्षा विभाग को एक पत्र लिखकर इस आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि जब तक इस पत्र का जवाब नहीं मिलता, वे स्कूल में पढ़ाने पर ध्यान केंद्रित रखेंगे। एक शिक्षक ने बताया कि 700 से अधिक छात्रों की पढ़ाई का दायित्व उनके कंधों पर है। अगर सभी शिक्षक बीएलओ ड्यूटी में व्यस्त हो जाएंगे, तो कक्षाओं का संचालन करना मुश्किल हो जाएगा। यह स्थिति खासकर उन स्कूलों में गंभीर है, जहां शिक्षकों की संख्या पहले से ही सीमित है। मुंबई जैसे शहर में, जहां शिक्षा की मांग और दबाव दोनों ज्यादा हैं, ऐसी स्थिति स्कूलों के लिए एक बड़ा संकट पैदा कर सकती है।

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने इस मामले पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को चुनाव और जनगणना जैसे कार्यों से छूट नहीं दी जा सकती, क्योंकि ये राष्ट्रीय महत्व के काम हैं। हालांकि, जब उनसे मलाड के सर्वोदय स्कूल के मामले के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और इस मामले की जांच की जरूरत है। यह बयान दर्शाता है कि शिक्षा विभाग और चुनाव आयोग के बीच समन्वय की कमी हो सकती है, जिसके कारण शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। शिक्षकों का मानना है कि अगर कुछ शिक्षकों को ही बीएलओ ड्यूटी दी जाए, तो स्कूलों का कामकाज सुचारू रूप से चल सकता है।

यह मुद्दा केवल सर्वोदय स्कूल तक सीमित नहीं है। मुंबई के कई अन्य स्कूलों में भी शिक्षकों को इसी तरह के आदेश मिले हैं। यह स्थिति तब और जटिल हो जाती है, जब स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी हो। महाराष्ट्र में सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षकों की कमी कोई नई बात नहीं है। ऐसे में, बीएलओ जैसे अतिरिक्त कार्य शिक्षकों के लिए दोहरी जिम्मेदारी बन जाते हैं। शिक्षक समुदाय का कहना है कि वे राष्ट्रीय कर्तव्यों का सम्मान करते हैं, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी शैक्षणिक जिम्मेदारियां प्रभावित न हों।

यह स्थिति मुंबई के अभिभावकों और छात्रों के लिए भी चिंता का विषय है। नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही बच्चों को नियमित पढ़ाई और शिक्षकों के मार्गदर्शन की जरूरत होती है। अगर शिक्षक बीएलओ ड्यूटी में व्यस्त रहेंगे, तो कक्षाओं का संचालन प्रभावित हो सकता है। खासकर उन छात्रों के लिए, जो बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, यह समय बहुत महत्वपूर्ण है। अभिभावक भी चाहते हैं कि उनके बच्चों की पढ़ाई बिना किसी रुकावट के चलती रहे। सर्वोदय स्कूल जैसे संस्थानों में, जहां बड़ी संख्या में छात्र पढ़ते हैं, शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना और भी जरूरी हो जाता है।

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