Recognition of Digital Documents: मुंबई ट्रैफिक पुलिस (Mumbai Traffic Police) ने हाल ही में एक बड़ा और उपयोगी कदम उठाया है। अब वाहन चालकों को अपने ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस और प्रदूषण प्रमाणपत्र (PUC) की केवल डिजिटल कॉपी दिखानी होगी। इसे लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि डिजिलॉकर (DigiLocker) और एम परिवहन (mParivahan) ऐप में स्टोर किए गए दस्तावेजों को कानूनी मान्यता दी जाए।
यह फैसला नागरिकों की बढ़ती शिकायतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिनमें कहा गया था कि उनके पास वैध डिजिटल दस्तावेज होने के बावजूद ई-चालान (e-Challan) काट दिए गए थे।
डिजिटल डॉक्युमेंट्स की मान्यता और कानूनी वैधता
डिजिटल डॉक्युमेंट्स को मान्यता देने का यह कदम कोई नया नहीं है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways – MoRTH) ने पहले ही यह स्पष्ट किया है कि डिजिलॉकर और एम परिवहन ऐप पर उपलब्ध दस्तावेज, जैसे ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, भौतिक दस्तावेजों (Physical Documents) के समान ही वैध हैं।
यह मान्यता सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) के तहत दी गई है। अधिनियम की धारा 4 और 5 इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों और डिजिटल हस्ताक्षरों को कानूनी मान्यता प्रदान करती हैं। इसका मतलब है कि यदि आपके पास डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित दस्तावेज हैं, तो वे कागज़ी दस्तावेजों जितने ही प्रभावी हैं।
नए निर्देश: क्या बदलेगा अब?
मुंबई ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त आयुक्त अनिल कुम्भारे ने कहा कि कुछ पुलिस अधिकारी वाहन चालकों के डिजिटल दस्तावेज दिखाने के बावजूद चालान काट रहे थे। इस संबंध में कई शिकायतें उनके कार्यालय तक पहुंची थीं। इसे देखते हुए यह निर्देश जारी किया गया है कि:
- ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी डिजिलॉकर या एम परिवहन ऐप पर स्टोर किए गए दस्तावेजों को मान्य मानें।
- डिजिटल दस्तावेजों की वैधता को जांचें और किसी भी अन्य उल्लंघन के बिना ई-चालान जारी न करें।
- यदि सभी दस्तावेज सही हैं, तो वाहन को जब्त न करें।
डिजिटल सिस्टम से क्या फायदे होंगे?
डिजिटल डॉक्युमेंट्स को स्वीकार करने से न केवल वाहन चालकों का समय बचेगा, बल्कि यह झंझट और कागज पर निर्भरता भी कम करेगा। इसके अलावा, वाहन मालिकों को अब हमेशा अपने दस्तावेज साथ रखने की आवश्यकता नहीं होगी।
यह कदम डिजिटल इंडिया (Digital India) पहल को भी मजबूत करता है। डिजिलॉकर और एम परिवहन ऐप के माध्यम से दस्तावेजों की डिजिटल उपलब्धता से न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि डेटा की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
मुंबई के नागरिकों के लिए राहत भरा कदम
यह निर्णय मुंबई के वाहन चालकों के लिए राहत की बात है। कई बार फिजिकल डॉक्युमेंट्स गुम हो जाते हैं या उन्हें हमेशा साथ रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में डिजिटल डॉक्युमेंट्स का विकल्प बेहद सुविधाजनक साबित होगा।
इसके अलावा, ट्रैफिक पुलिस और नागरिकों के बीच होने वाले विवादों को भी यह नया निर्देश कम करेगा। नागरिक अब आश्वस्त रह सकते हैं कि यदि उनके पास डिजिलॉकर या एम परिवहन ऐप में वैध दस्तावेज हैं, तो उन्हें अनावश्यक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
डिजिटल युग की ओर बढ़ते कदम
मुंबई ट्रैफिक पुलिस का यह फैसला यह साबित करता है कि भारत धीरे-धीरे डिजिटल युग की ओर बढ़ रहा है। यह न केवल ट्रैफिक व्यवस्था को सुगम बनाएगा, बल्कि लोगों के बीच डिजिटल समाधानों को अपनाने का विश्वास भी बढ़ाएगा।
यह कदम एक उदाहरण है कि कैसे तकनीक का सही उपयोग नागरिकों की समस्याओं को कम कर सकता है और प्रशासन को अधिक प्रभावी बना सकता है।
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