मुंबई

खुद को बचाने के लिए हमलावर को मारने वाली महिला को 3 साल बाद मिली जमानत

खुद को बचाने के लिए हमलावर को मारने वाली महिला को 3 साल बाद मिली जमानत

मुंबई की एक अदालत ने 31 साल की उस महिला को जमानत दे दी है, जिस पर कथित यौन उत्पीड़न के बाद हमलावर को पत्थर से मारने का आरोप था। यह घटना 2021 में हुई थी और महिला तभी से जेल में बंद थी। अदालत ने इस बात से इनकार नहीं किया कि महिला ने आत्मरक्षा में हमलावर पर पत्थर से वार किया होगा।

महिला के वकील के अनुसार, यह महिला मुंबई के उपनगरीय इलाके में एक भोजन सेवा में बावर्ची का काम करती थी। 20 जून, 2021 को काम से घर लौटते समय रात करीब 2 बजे, शराब के नशे में एक व्यक्ति ने उससे छेड़छाड़ की। वकील ने महिला की जमानत याचिका में दावा किया कि इसके बाद महिला ने सड़क से एक पत्थर उठाकर उस व्यक्ति पर वार कर दिया। बाद में व्यक्ति की मौत हो गई थी।

पुलिस ने एक चश्मदीद के बयान और अन्य सबूतों के आधार पर महिला को गिरफ्तार कर उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया था।  वकील ने तर्क दिया कि महिला ने आत्मरक्षा में हमलावर को पत्थर मारा था। उन्होंने यह भी बताया कि महिला पहले ही तीन साल जेल में काट चुकी है और मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इन सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, ऐसा लगता है कि महिला ने आत्मरक्षा में ही हमलावर पर वार किया होगा।

पुलिस ने महिला की जमानत का यह कहते हुए विरोध किया था कि मृतक व्यक्ति को छह चोटें आई थीं और इससे यह साबित नहीं होता कि महिला ने सिर्फ आत्मरक्षा में एक बार वार किया होगा।  इस पर अदालत ने कहा कि चार्जशीट में मौजूद एक चश्मदीद के बयान के अनुसार महिला ने हमलावर को सिर्फ एक बार पत्थर से मारा था।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “इस प्रकार, अभियोजन की कहानी के अनुसार, सिर्फ एक चोट लगने की संभावना है।  हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चेहरे पर लगभग छह चोटें आई हैं। फिलहाल, अभियोजन पक्ष अतिरिक्त चोटों के बारे में कोई स्पष्टीकरण देने की स्थिति में नहीं है। इस प्रकार, जमानत के लिए महिला का पक्ष मज़बूत प्रतीत होता है।”

अदालत ने महिला को 30,000 रुपये का निजी मुचलका या जमानत राशि जमा करने पर जमानत दे दी।  चूंकि महिला का शहर में कोई रिश्तेदार नहीं है, ऐसे में वह  यह राशि जमा करने में असमर्थ हो सकती है। ऐसे में,  टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के एक एनजीओ ‘प्रयास’ से उसकी रिहाई में मदद के लिए संपर्क किया गया। एनजीओ ने अदालत को बताया कि वे जमानत के साथ-साथ महिला को आश्रय भी प्रदान करेंगे।

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