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Muslim Role in Maharashtra Elections: मुंबई की 20% मुस्लिम आबादी, फिर टिकट क्यों नहीं? शरद पवार गुट की नाराजगी!

Muslim Role in Maharashtra Elections: मुंबई की 20% मुस्लिम आबादी, फिर टिकट क्यों नहीं? शरद पवार गुट की नाराजगी!

Muslim Role in Maharashtra Elections: महाराष्ट्र चुनाव में महाराष्ट्र मुस्लिम वोटर (Maharashtra Muslim Voter) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। खासकर मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में जहां मुस्लिम आबादी का एक बड़ा हिस्सा रहता है, यहां पर 20% से अधिक मुस्लिम आबादी का होना सियासी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो जाता है।

इसके बावजूद भी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट बंटवारे में मुस्लिम समुदाय के साथ होने वाली अनदेखी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। शरद पवार के एनसीपी गुट और उद्धव ठाकरे की शिवसेना से नाराज मुस्लिम समुदाय ने साफ किया है कि उनके प्रतिनिधित्व की कमी उन्हें पीड़ित महसूस करा रही है।

महाराष्ट्र की राजनीति में मुस्लिम वोटरों का प्रभाव अहम होता है, खासकर महाविकास आघाड़ी (MVA) के लिए। पिछली बार जब महाविकास आघाड़ी ने लोकसभा चुनावों में मुस्लिम वोटर्स का समर्थन पाया था, बीजेपी ने इसे वोट जिहाद (Vote Jihad) तक करार दे दिया था।

इस बार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टियों ने उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिसमें मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या सीमित है। इस कमी से नाराज शरद पवार के एनसीपी गुट के नेताओं ने खुलकर अपनी चिंता जाहिर की है। नसीम सिद्दीकी, जो अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष भी हैं, कहते हैं कि इस चुनाव में मुस्लिम मतों का गणित बिगड़ने की आशंका है, जिससे एमवीए को बड़ा नुकसान हो सकता है।

मुंबई में मुस्लिम आबादी का सियासी गणित

मुंबई में करीब 20% मुस्लिम आबादी है, जो महाराष्ट्र विधानसभा की करीब 10 सीटों पर प्रभाव डाल सकती है। इन सीटों में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत 25% या उससे ऊपर है। इसके बावजूद प्रमुख दलों ने केवल गिनती के उम्मीदवार ही मुस्लिम समुदाय से चुने हैं।

कांग्रेस और एनसीपी ने इस बार कुछ मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट जरूर दिया है, लेकिन इनकी संख्या अपेक्षाकृत कम है। कांग्रेस ने चार मुस्लिम उम्मीदवार दिए हैं, जिसमें अमीन पटेल मुम्बादेवी सीट से, असलम शेख मालाड पश्चिम से, आसिफ जकारिया बांद्रा पश्चिम से और नसीम खान को चांदिवली सीट से मैदान में उतारा है। इसके बावजूद, महाराष्ट्र चुनाव में मुस्लिम भूमिका (Muslim Role in Maharashtra Elections) की उम्मीदों पर संशय बरकरार है।

उद्धव ठाकरे का रुख और मुस्लिम वोटर की नाराजगी

उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार हारून खान को वर्सोवा से मैदान में उतारा है। इससे मुस्लिम समुदाय में असंतोष की भावना और बढ़ गई है। एनसीपी ने अनुशक्ति नगर से अपने उम्मीदवार फ़हाद अहमद को खड़ा किया है, जो नवाब मलिक की बेटी और एनसीपी अजित गुट की उम्मीदवार सना मलिक से टक्कर लेने वाले हैं।

मलिक ने मानखुर्द-शिवाजीनगर से अजित गुट की ओर से नामांकन दाखिल किया है, जहां उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक अबू आसिम आजमी से होगा। इसके अलावा, कांग्रेस से अलग हुए जीशान सिद्दीकी को एनसीपी अजित गुट ने बांद्रा पूर्व से उम्मीदवार बनाया है। अजित पवार ने मुस्लिम समुदाय से कुल तीन उम्मीदवार खड़े किए हैं, लेकिन इसका असर उनके वोट बैंक पर कितना पड़ेगा, यह चुनाव के बाद ही स्पष्ट होगा।

छोटी पार्टियों के लिए मौका?

महाराष्ट्र चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं के असंतोष का फायदा कुछ छोटी पार्टियां भी उठाने की कोशिश में हैं। प्रकाश अंबेडकर की वीबीए (वंचित बहुजन आघाड़ी) ने इस बार 9 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसके अलावा, असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM ने भी 4 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं।

मुस्लिम समुदाय में टिकट बंटवारे को लेकर नाराजगी के कारण छोटी पार्टियों को मौका मिल सकता है। मुस्लिम एक्टिविस्ट और समाजसेवी ज़ायद ख़ान का मानना है कि उद्धव ठाकरे से मुस्लिम समुदाय ने अधिक उम्मीदें रखी थीं, लेकिन जब उम्मीदवार चयन की बारी आई तो समुदाय को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।

मुस्लिम विधायकों की संख्या में गिरावट और चुनाव पर असर

पिछले दो दशकों में महाराष्ट्र में मुस्लिम विधायकों की संख्या हमेशा एक अंक में रही है, और इस बार भी यही प्रवृत्ति जारी है। कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा एआईएमआईएम, वीबीए और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल जैसी छोटी पार्टियों को जा सकता है।

राज्य ही नहीं, पूरे देश में मुस्लिम कैंडिडेट्स की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम समुदाय ने महाविकास आघाड़ी का समर्थन किया था, जिसे बीजेपी ने वोट जिहाद (Vote Jihad) का नाम देकर सियासी रंग दिया। अब देखना यह होगा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता किस ओर रुख करते हैं।

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