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Consecrated Horns in Varsha Bungalow: तंत्र-मंत्र और सियासत, वर्षा बंगले में गाड़ी गईं सींगें? शिंदे-फडणवीस पर राउत का हमला

Consecrated Horns in Varsha Bungalow: तंत्र-मंत्र और सियासत, वर्षा बंगले में गाड़ी गईं सींगें? शिंदे-फडणवीस पर राउत का हमला

Consecrated Horns in Varsha Bungalow: असम के गुवाहाटी में बसा कामाख्या मंदिर, जो शक्ति और तंत्र साधना का प्रतीक माना जाता है, हाल ही में महाराष्ट्र की सियासत में चर्चा का केंद्र बन गया है। यह कहानी शुरू होती है एक पवित्र मंदिर से, जहां श्रद्धा और आस्था के साथ-साथ तांत्रिक अनुष्ठान भी होते हैं। लेकिन इस बार, इस मंदिर से जुड़ी एक घटना ने मुंबई के सियासी गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया। बात है 18 पशुओं की अभिमंत्रित सींगों की, जिन्हें कामाख्या मंदिर से लाकर कथित तौर पर मुंबई में गाड़ा गया। इस घटना ने न केवल धार्मिक भावनाओं को छुआ, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए विवाद को जन्म दिया, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत, पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का नाम उछला।

कामाख्या मंदिर, जिसे Kamakhya Temple के नाम से जाना जाता है, भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है और माता सती के योनि भाग के रूप में पूजा जाता है। यह स्थान तांत्रिक साधकों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। हर साल, विशेष रूप से अंबुबाची मेले के दौरान, लाखों लोग यहां आते हैं। मंदिर के आसपास होने वाले अनुष्ठानों में पशु बलि भी शामिल है, जिसे देवी को प्रसन्न करने का एक हिस्सा माना जाता है। लेकिन इस बार, मंदिर से जुड़ी एक खास प्रथा ने सियासी रंग ले लिया। संजय राउत ने अपने लेख ‘रोखठोक’ में दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कामाख्या मंदिर में भैंसों और अन्य पशुओं की बलि दी थी। इन 18 पशुओं की सींगों को अभिमंत्रित कर मुंबई लाया गया और कथित तौर पर मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास Varsha Bungalow में गाड़ा गया।

इस दावे ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी। राउत का कहना है कि ये सींगें तांत्रिक अनुष्ठानों का हिस्सा थीं, जिन्हें सत्ता में बने रहने के लिए किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इन सींगों की जानकारी थी, और इसीलिए वे तुरंत ‘वर्षा’ बंगले में रहने नहीं गए। राउत के मुताबिक, लोक निर्माण विभाग ने बंगले की जमीन की स्कैनिंग की, और उसके बाद ही फडणवीस वहां रहने के लिए तैयार हुए। यह सवाल उठता है कि क्या वाकई में इन सींगों का कोई तांत्रिक महत्व था, या यह सिर्फ एक सियासी दांव है, जिसका मकसद विरोधियों को घेरना है?

कामाख्या मंदिर की प्रथाएं हमेशा से रहस्यमयी रही हैं। यहां होने वाली पूजाओं में अभिमंत्रित सींग (consecrated horns) का इस्तेमाल तंत्र साधना में होता है। माना जाता है कि इन सींगों को विशेष मंत्रों से अभिमंत्रित किया जाता है और फिर इच्छित स्थान पर गाड़ा जाता है ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। लेकिन जब ऐसी प्रथाएं सियासत से जुड़ती हैं, तो वे विवाद का रूप ले लेती हैं। राउत ने अपने लेख में यह सवाल भी उठाया कि इन 18 सींगों को किसने और कहां गाड़ा? उनका दावा है कि जब उन्होंने पहली बार इस बारे में लिखा, तो सियासी हलकों में हड़कंप मच गया।

महाराष्ट्र की सियासत में अंधविश्वास का मुद्दा कोई नया नहीं है। समय-समय पर नेताओं पर तांत्रिक अनुष्ठानों और पूजाओं के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन इस बार, कामाख्या मंदिर से जुड़ा यह विवाद उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के बीच तनातनी को और बढ़ा रहा है। राउत ने महायुति सरकार को ‘अंधविश्वासी’ करार देते हुए कहा कि ऐसी मान्यताएं प्रगतिशील महाराष्ट्र के लिए शर्मनाक हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब वे कामाख्या मंदिर गए थे, तो वहां महाराष्ट्र से आए कई लोगों को पशु बलि के लिए कतार में खड़ा देखा।

इस पूरे विवाद में सबसे रोचक पहलू यह है कि यह सिर्फ धार्मिक या तांत्रिक प्रथाओं तक सीमित नहीं है। यह एक गहरे सियासी खेल का हिस्सा बन चुका है। एक तरफ, शिवसेना (यूबीटी) इस मुद्दे को उठाकर महायुति सरकार पर निशाना साध रही है। दूसरी तरफ, फडणवीस और उनके समर्थक इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे सियासी हथकंडा बता रहे हैं। ‘वर्षा’ बंगले में सींगों के गाड़े जाने की बात कितनी सच है, यह अभी रहस्य बना हुआ है। लेकिन इसने महाराष्ट्र की जनता के बीच एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या सत्ता के लिए तंत्र-मंत्र का सहारा लिया जा रहा है?

कामाख्या मंदिर का यह रहस्यमयी कनेक्शन अब सिर्फ आस्था का मसला नहीं रहा। यह सियासत, विश्वास और प्रथाओं का एक अनोखा संगम बन गया है। मुंबई के व्यस्त गलियारों से लेकर गुवाहाटी की नीलाचल पहाड़ी तक, यह कहानी हर किसी के लिए उत्सुकता का विषय बनी हुई है।

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