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Nagarjuna Gave Ram Gopal Varma His First Break: नागार्जुन ने राम गोपाल वर्मा को दिया था पहला मौका, ‘शिवा’ ने रातोंरात बदली दोनों की किस्मत!

Nagarjuna Gave Ram Gopal Varma His First Break: नागार्जुन ने राम गोपाल वर्मा को दिया था पहला मौका, ‘शिवा’ ने रातोंरात बदली दोनों की किस्मत!

Nagarjuna Gave Ram Gopal Varma His First Break: नागार्जुन, जिन्हें तेलुगु सिनेमा में ‘किंग’ के नाम से जाना जाता है, ने अपने चार दशक लंबे करियर में 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। 29 अगस्त 2025 को उनका जन्मदिन है, और इस मौके पर उनकी एक ऐसी उपलब्धि की बात हो रही है, जिसने भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी। यह कहानी है उनकी और निर्देशक राम गोपाल वर्मा की साझेदारी की, जिसने 1989 में फिल्म ‘शिवा’ के जरिए तेलुगु सिनेमा में तहलका मचा दिया।

नागार्जुन उस समय तेलुगु सिनेमा के बड़े स्टार थे। उनकी फिल्में जैसे ‘मास’, ‘डॉन’ और ‘अन्नामय्या’ पहले ही दर्शकों का दिल जीत चुकी थीं। लेकिन उन्होंने एक ऐसे शख्स पर भरोसा किया, जिसने पहले कभी कोई फिल्म डायरेक्ट नहीं की थी। वह शख्स थे राम गोपाल वर्मा, जिन्हें आज बॉलीवुड में ‘सत्या’, ‘कंपनी’ और ‘रंगीला’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। नागार्जुन ने राम गोपाल वर्मा के अनोखे विजन को समझा और उन्हें अपनी फिल्म ‘शिवा’ में मौका दिया।

‘शिवा’ एक एक्शन-ड्रामा फिल्म थी, जो एक कॉलेज के छात्र नेता के जीवन पर आधारित थी। इस फिल्म की कहानी, संगीत और नागार्जुन का दमदार अभिनय दर्शकों को खूब पसंद आया। फिल्म में कॉलेज की पॉलिटिक्स और गैंगस्टर की दुनिया को इतने सजीव ढंग से दिखाया गया कि इसने तेलुगु सिनेमा में एक नया ट्रेंड शुरू कर दिया। 1989 में रिलीज हुई ‘शिवा’ ने उस साल दो नंदी अवॉर्ड जीते और इसे तेलुगु सिनेमा का मील का पत्थर कहा गया। इसकी कामयाबी ने राम गोपाल वर्मा को रातोंरात स्टार डायरेक्टर बना दिया।

इस फिल्म की सफलता इतनी जबरदस्त थी कि इसका हिंदी रीमेक भी बनाया गया, जिसमें नागार्जुन ने ही मुख्य भूमिका निभाई। इस रीमेक ने उन्हें बॉलीवुड में भी नई पहचान दी। ‘शिवा’ की कहानी और इसका रियलिस्टिक अंदाज दर्शकों को इतना पसंद आया कि यह आज भी भारतीय सिनेमा की आइकॉनिक फिल्मों में गिनी जाती है। इस फिल्म ने न सिर्फ नागार्जुन की लोकप्रियता को बढ़ाया, बल्कि राम गोपाल वर्मा को भी देशभर में मशहूर कर दिया।

नागार्जुन की खासियत रही है कि वह नई प्रतिभाओं को मौका देते हैं। ‘शिवा’ के बाद उन्होंने कई नए डायरेक्टर्स और एक्टर्स के साथ काम किया। वह एक सफल निर्माता भी हैं। उनकी प्रोडक्शन कंपनी अन्नपूर्णा स्टूडियोज तेलुगु सिनेमा का बड़ा नाम है। इसके अलावा, ‘निन्ने पेल्लादाता’ और ‘अन्नामय्या’ जैसी फिल्मों के लिए उन्हें दो राष्ट्रीय पुरस्कार, दस नंदी अवॉर्ड और तीन फिल्मफेयर दक्षिण पुरस्कार मिले हैं। 2013 में दिल्ली फिल्म महोत्सव में उन्होंने दक्षिण भारतीय सिनेमा का प्रतिनिधित्व भी किया।

नागार्जुन की यह दूरदर्शिता और नए लोगों को मौका देने की आदत उन्हें सिनेमा जगत में अलग बनाती है। ‘शिवा’ ने न सिर्फ तेलुगु सिनेमा को नया रंग दिया, बल्कि राम गोपाल वर्मा जैसे डायरेक्टर को भी भारतीय सिनेमा में स्थापित किया। आज भी ‘शिवा’ की कहानी और नागार्जुन का किरदार दर्शकों के दिलों में जिंदा है।

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