महाराष्ट्र

Nanded Crop Insurance Scam Exposed: नांदेड में 4,453 बोगस फसल बीमा दावों पर 40 सीएससी संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

Nanded Crop Insurance Scam Exposed: नांदेड में 4,453 बोगस फसल बीमा दावों पर 40 सीएससी संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

Nanded Crop Insurance Scam Exposed: नांदेड में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसने किसानों और सरकार के भरोसे को हिलाकर रख दिया। यह कहानी है फसल बीमा घोटाले (crop insurance scam) की, जिसमें 40 कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) संचालकों पर 4,453 बोगस दावों (bogus claims) के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई है। ये लोग किसानों की मदद के लिए बने डिजिटल केंद्रों का इस्तेमाल कर रहे थे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने जाली दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी की। यह पूरा मामला महाराष्ट्र के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) से जुड़ा है, जिसका मकसद किसानों को उनकी फसलों का नुकसान होने पर आर्थिक सुरक्षा देना था।

बात 2024 के खरीफ सीजन की है, जब नांदेड जिले में सीएससी संचालकों ने बिना किसानों की जानकारी के उनके नाम पर फर्जी आवेदन जमा किए। इन लोगों ने नकली जमीन के दस्तावेज, स्व-घोषणाएं और बैंक विवरण का इस्तेमाल किया। कुछ मामलों में तो सरकारी जमीन, गैर-कृषि भूमि और बिना मालिक की सहमति के प्लॉट पर भी बीमा दावे किए गए। नांदेड के कृषि अधिकारी माधव गोपाल चन्ने ने इसकी शिकायत दर्ज की, जिसके बाद नांदेड ग्रामीण पुलिस स्टेशन में 29 मई, 2025 को प्राथमिकी दर्ज हुई। इस घोटाले में बीड, परभणी, पुणे, लातूर, जालना और यहां तक कि उत्तर प्रदेश के किसानों के नामों का भी दुरुपयोग हुआ।

यह घपला तब सामने आया, जब यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने फरवरी 2025 में दस्तावेजों की जांच के दौरान गड़बड़ियां पकड़ीं। कंपनी ने तुरंत अलार्म बजाया, और कृषि विभाग ने 4 मार्च, 2025 को नांदेड जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई। जांच में पता चला कि 10 से ज्यादा सीएससी केंद्रों ने 100 से अधिक फर्जी आवेदन जमा किए थे। इन संचालकों ने सॉफ्टवेयर की खामियों का फायदा उठाया और सत्यापन नियमों को दरकिनार कर सरकारी पैसे हड़पने की कोशिश की।

इस घोटाले की जड़ें उस 1 रुपये बीमा योजना (Re 1 crop insurance scheme) से जुड़ी हैं, जिसे 2023 में एकनाथ शिंदे सरकार ने शुरू किया था। इस योजना में किसानों को केवल 1 रुपये प्रीमियम देना था, बाकी राशि सरकार वहन करती थी। इस वजह से 2022 में 1.04 करोड़ आवेदनों की तुलना में 2023 में 2.42 करोड़ आवेदन आए। लेकिन जल्द ही इसका दुरुपयोग शुरू हो गया। 2024 की शुरुआत में पूरे महाराष्ट्र में 5 लाख से ज्यादा बोगस दावे पकड़े गए, जिनमें बंजर जमीन, धार्मिक स्थल, पेट्रोल पंप और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए भी दावे किए गए थे।

इसके बाद अप्रैल 2025 में सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया और पुरानी फसल बीमा योजना को बहाल किया, जिसमें खरीफ फसलों के लिए 2%, रबी फसलों के लिए 1.5% और नकदी फसलों के लिए 5% प्रीमियम देना अनिवार्य है। अब सरकार ने सख्त नियम लागू किए हैं, जिसमें दोषियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई और पांच साल तक सरकारी सब्सिडी से वंचित करने की सजा शामिल है। साथ ही, भविष्य में सभी बीमा दावों के लिए किसान आईडी और ई-पीक पहाणी (डिजिटल फसल निरीक्षण) को अनिवार्य कर दिया गया है।

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यह कोई छोटी-मोटी गलती नहीं थी, बल्कि सॉफ्टवेयर तक पहुंच, दस्तावेजों में हेरफेर और बड़े पैमाने पर आवेदनों की अपलोडिंग के जरिए सुनियोजित धोखाधड़ी थी। नांदेड में हुई कार्रवाई तो बस शुरुआत है, और बाकी जिलों में भी ऐसे घोटालों की जांच चल रही है। यह मामला न केवल तकनीकी खामियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किसानों के लिए बनी योजनाओं का गलत लोग कैसे फायदा उठा सकते हैं।

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