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Navi Mumbai Cyber Fraud: 43 वर्षीय बैंक अधिकारी बने साइबर ठगी का शिकार: नवी मुंबई में 58.56 लाख का फर्जी निवेश घोटाला

Navi Mumbai Cyber Fraud: 43 वर्षीय बैंक अधिकारी बने साइबर ठगी का शिकार: नवी मुंबई में 58.56 लाख का फर्जी निवेश घोटाला

Navi Mumbai Cyber Fraud: डिजिटल युग में जहां एक क्लिक से दुनिया की जानकारी हमारे सामने होती है, वहीं साइबर अपराधी भी इसी तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं। नवी मुंबई के उलवे में रहने वाले एक 43 वर्षीय वरिष्ठ बैंक अधिकारी की कहानी इसका जीता-जागता उदाहरण है। इस अधिकारी ने अपने मेहनत की कमाई का बड़ा हिस्सा, यानी 58.56 लाख रुपये, एक फर्जी निवेश घोटाले में गंवा दिया। यह घटना न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि यह भी बताती है कि हमें ऑनलाइन निवेश के प्रलोभन में पड़ने से पहले कितनी सावधानी बरतनी चाहिए। इस लेख में हम इस घटना के हर पहलू को समझेंगे और जानेंगे कि कैसे साइबर ठगों ने एक प्रतिष्ठित कंपनी के नाम का इस्तेमाल कर इस ठगी को अंजाम दिया।

फरवरी 2025 की एक सामान्य सुबह, जब उलवे के यह बैंक अधिकारी अपने बैंक की तुर्भे शाखा में काम कर रहे थे, तब उनके फोन पर एक व्हाट्सएप ग्रुप का नोटिफिकेशन आया। इस ग्रुप का नाम था “F-84 Advent Stock Exchange” (एफ-84 एडवेंट स्टॉक एक्सचेंज)। ग्रुप में कई लोग सक्रिय थे, जो खुद को निवेशक बता रहे थे। वे शेयर बाजार और IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) में भारी मुनाफे की बातें कर रहे थे। ग्रुप में स्क्रीनशॉट्स और चैट्स दिखाए जा रहे थे, जिनमें कथित तौर पर लोगों ने लाखों रुपये का मुनाफा कमाया था।

साइबर ठगी (Cyber Fraud) का यह पहला कदम था, जहां ठगों ने एक विश्वसनीय माहौल बनाया। ग्रुप का नाम Advent International (एडवेंट इंटरनेशनल) जैसी जानी-मानी निवेश कंपनी से मिलता-जुलता था, जिसने अधिकारी को भरोसा दिलाया कि यह एक सुरक्षित और वैध अवसर है। ग्रुप के सदस्यों की बातों से प्रभावित होकर, अधिकारी ने निवेश करने का फैसला किया। यह वह क्षण था जब वे अनजाने में साइबर अपराधियों के जाल में फंस गए।

ग्रुप के निर्देशों के अनुसार, अधिकारी ने एक मोबाइल ऐप डाउनलोड किया, जिसका नाम था Adwex (एडवेक्स)। इस ऐप में रजिस्ट्रेशन के बाद, उन्हें एक वर्चुअल अकाउंट दिया गया, जिसमें उनके निवेश और मुनाफे की जानकारी दिखाई जाती थी। अगले दो महीनों तक, साइबर ठगों ने उन्हें शेयर और IPO में निवेश के लिए प्रेरित किया। हर बार जब अधिकारी पैसे ट्रांसफर करते, ऐप में उनके निवेश पर भारी मुनाफा दिखाया जाता।

27 फरवरी से 24 अप्रैल 2025 के बीच, अधिकारी ने विभिन्न बहानों जैसे ब्लॉक ट्रेडिंग और IPO खरीद के लिए कुल 58.56 लाख रुपये ट्रांसफर किए। ठगों ने उनका भरोसा और मजबूत करने के लिए ऐप में 2.01 करोड़ रुपये का फर्जी मुनाफा दिखाया। इतना ही नहीं, उन्होंने विश्वास बढ़ाने के लिए अधिकारी को 1 लाख रुपये निकालने की भी इजाजत दी। यह एक चालाकी भरा कदम था, जिसने अधिकारी को और निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया। लेकिन यह मुनाफा सिर्फ एक डिजिटल भ्रम था, जिसे ठगों ने ऐप के जरिए बनाया था।

अप्रैल के अंत में, जब अधिकारी ने अपने कथित मुनाफे को निकालने की कोशिश की, तब ठगों ने असली चेहरा दिखाया। उन्होंने मुनाफे पर 15% एडवांस टैक्स देने की मांग की। यह मांग सुनकर अधिकारी को शक हुआ। इतनी बड़ी रकम पहले ही निवेश कर चुके थे, और अब और पैसे देने की बात उन्हें गलत लगी। उन्होंने तुरंत Advent International (एडवेंट इंटरनेशनल) के मुंबई कार्यालय से संपर्क किया। वहां से जवाब मिला कि कंपनी का इस तरह के किसी व्हाट्सएप ग्रुप या Adwex (एडवेक्स) ऐप से कोई संबंध नहीं है। यह सुनकर अधिकारी को समझ आया कि वे एक बड़े साइबर ठगी (Cyber Fraud) का शिकार हो चुके हैं।

बिना देर किए, उन्होंने नवी मुंबई साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की संबंधित धाराओं के तहत FIR दर्ज की। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस तरह के घोटाले में ठग अक्सर प्रतिष्ठित कंपनियों के नाम का दुरुपयोग करते हैं। वे संदेह करते हैं कि इस गिरोह ने उसी रणनीति का इस्तेमाल कर कई अन्य लोगों को भी निशाना बनाया होगा।

यह घटना नवी मुंबई में हाल के महीनों में हुई कई साइबर ठगी की घटनाओं में से एक है। ठग अब पहले से कहीं ज्यादा चालाक हो गए हैं। वे फर्जी ऐप्स, व्हाट्सएप ग्रुप्स, और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। इस मामले में, Adwex (एडवेक्स) ऐप पूरी तरह से फर्जी था, जिसे सिर्फ लोगों को ठगने के लिए बनाया गया था। ठगों ने न केवल एक विश्वसनीय कंपनी के नाम का गलत इस्तेमाल किया, बल्कि एक ऐसा माहौल बनाया, जिसमें पीड़ित को कोई शक न हो।

नवी मुंबई साइबर पुलिस अब इस गिरोह की तलाश में है। वे बैंक खातों, फोन नंबरों, और डिजिटल लेनदेन के रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं। हालांकि, साइबर अपराधियों का पीछा करना आसान नहीं है, क्योंकि वे अक्सर विदेशी सर्वर और फर्जी पहचान का इस्तेमाल करते हैं। फिर भी, पुलिस का कहना है कि वे इस मामले को सुलझाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।

इस कहानी में पीड़ित एक पढ़ा-लिखा और जिम्मेदार बैंक अधिकारी था, जो अपने क्षेत्र में अनुभवी था। फिर भी, वह ठगों के जाल में फंस गया। इसका कारण था जल्दी मुनाफे का लालच और फर्जी ग्रुप की विश्वसनीयता पर भरोसा। यह हमें सिखाता है कि डिजिटल दुनिया में कोई भी सुरक्षित नहीं है। चाहे आप कितने भी समझदार हों, साइबर ठगों की चालाकी आपको चकमा दे सकती है।

इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि हमें हर ऑनलाइन निवेश अवसर को संदेह की नजर से देखना चाहिए। किसी भी ऐप या ग्रुप में शामिल होने से पहले, उसकी वैधता की जांच जरूरी है। खासकर, अगर कोई बहुत ज्यादा मुनाफे का वादा कर रहा हो, तो यह खतरे की घंटी है।

नवी मुंबई में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में एक 61 वर्षीय व्यक्ति को फर्जी शेयर ट्रेडिंग घोटाले में 75 लाख रुपये का नुकसान हुआ। एक अन्य मामले में, एक रिटायर्ड नौसेना अधिकारी ने 2.47 करोड़ रुपये गंवाए। ये सभी मामले एक ही पैटर्न को दर्शाते हैं: फर्जी ऐप्स, व्हाट्सएप ग्रुप्स, और झूठे मुनाफे के वादे। नवी मुंबई साइबर पुलिस ने इन मामलों में जांच तेज कर दी है, लेकिन लोगों को भी जागरूक रहना होगा।

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