महाराष्ट्र

NCP Factions Merger: अजित और शरद पवार की पार्टियों का होगा विलय? अमित शाह की मीटिंग से बढ़ा सस्‍पेंस

NCP Factions Merger: अजित और शरद पवार की पार्टियों का होगा विलय? अमित शाह की मीटिंग से बढ़ा सस्‍पेंस

NCP Factions Merger: महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रही है। अजित पवार और शरद पवार के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दोनों गुटों के विलय की संभावनाएँ चर्चा में हैं। हाल ही में अजित पवार की दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात और इसके बाद की गतिविधियों ने इस चर्चा को और हवा दी है। इस लेख में हम एनसीपी गुटों के विलय (NCP Factions Merger) और इसके संभावित राजनीतिक प्रभाव पर विस्तार से बात करेंगे।

विलय की संभावनाएँ क्यों प्रबल हो रही हैं?

एनसीपी गुटों का विलय (NCP Factions Merger) को लेकर बातचीत तब शुरू हुई, जब शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले के भविष्य को लेकर केंद्र में मंत्री पद के लिए लॉबिंग करने का संकेत दिया। इसके साथ ही, अजित पवार और उनके समर्थकों को पार्टी में वापस लाने की कोशिशें भी की जा रही हैं।

सूत्रों के अनुसार, शरद पवार ने यह महसूस किया है कि उनकी पार्टी को विभाजन के बाद से कमजोर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, अजित पवार गुट को भी महाराष्ट्र और केंद्र में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए शरद पवार गुट का समर्थन चाहिए।

भाजपा की भूमिका और अमित शाह से मुलाकात

दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। अजित पवार की अमित शाह से मुलाकात ने इस बात को और पुख्ता किया है कि भाजपा इस विलय के प्रति सकारात्मक हो सकती है। इसका कारण यह हो सकता है कि एनसीपी का एकजुट होना भाजपा को महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के खिलाफ मजबूत स्थिति में ला सकता है।

दोनों गुटों को एकजुट होने की जरूरत

शरद पवार की पार्टी को अब तक के सबसे बड़े विभाजन का सामना करना पड़ा है। अजित पवार गुट के पास फिलहाल महाराष्ट्र के अधिकांश विधायकों का समर्थन है, जबकि शरद पवार के पास केवल आठ लोकसभा सांसद बचे हैं।

एकजुट होने पर:

  1. लोकसभा और राज्यसभा में प्रभाव: सुप्रिया सुले केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जिससे पार्टी की दिल्ली में उपस्थिति मजबूत होगी।
  2. महाराष्ट्र में मजबूती: अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी महाराष्ट्र में अपनी जमीनी पकड़ को दोबारा हासिल कर सकती है।
  3. निकाय चुनावों की तैयारी: निकाय चुनावों में दोनों गुटों का एक साथ आना पार्टी के वोट प्रतिशत (20.29%) को बढ़ा सकता है।
NCP Factions Merger: विलय की राजनीतिक संभावनाएँ

अगर एनसीपी गुटों का विलय (NCP Factions Merger) होता है, तो इसका सीधा असर महाराष्ट्र की राजनीति पर पड़ेगा।

  • शरद पवार का राज्यसभा कार्यकाल इस साल खत्म हो रहा है। उन्हें दोबारा चुनने के लिए अजित पवार गुट के विधायकों का समर्थन चाहिए।
  • आगामी निकाय चुनावों में एनसीपी एक मजबूत स्थिति में होगी।
  • भाजपा के साथ समन्वय से केंद्र और राज्य में एनसीपी को महत्वपूर्ण लाभ मिल सकता है।

क्या हैं विलय में संभावित अड़चनें?

हालांकि दोनों गुटों के पास एकजुट होने के लिए मजबूत तर्क हैं, लेकिन व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएँ और गुटों के बीच लंबे समय से चल रही असहमति विलय में बाधा बन सकती है।

एनसीपी गुटों का विलय (NCP Factions Merger) महाराष्ट्र की राजनीति को पूरी तरह से बदल सकता है। यह कदम शरद पवार और अजित पवार दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। जहां एक ओर पार्टी की खोई हुई ताकत वापस हासिल होगी, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र और केंद्र में एनसीपी की राजनीतिक स्थिति मजबूत होगी।


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