तीन नए आपराधिक कानून: आज, सोमवार 1 जुलाई से, देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे। ये कानून हैं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)। नए कानूनों में कई पुराने नियमों को हटाया गया है और कुछ नए नियम जोड़े गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, पुलिस, वकील, अदालतें, और आम जनता के कामकाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन होंगे।
1 जुलाई से पहले दर्ज किए गए मामलों पर नए कानूनों का असर नहीं होगा। वे मामले पुराने कानूनों के तहत ही निपटाए जाएंगे। नए मामलों की जांच और सुनवाई नए कानूनों के तहत होगी।
बदलाव के प्रमुख बिंदु:
- न्याय संहिताओं के नए नाम:
- इंडियन पीनल कोड (IPC) अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) के रूप में जाना जाएगा।
- कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) बन गया है।
- इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) कहलाएगा।
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में बदलाव:
- BNSS में 531 धाराएं हैं, जबकि पुरानी CrPC में 484 धाराएं थीं।
- इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑडियो-वीडियो साक्ष्य को मान्यता दी गई है।
- अधिकतम सजा पूरी कर चुके कैदियों को प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा किया जाएगा।
- किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराने की सुविधा होगी।
- सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 120 दिनों के अंदर अनुमति दी जाएगी।
- FIR दर्ज होने के 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दाखिल करना अनिवार्य होगा।
- केस की सुनवाई पूरी होने के 30 दिनों के अंदर अदालत को फैसला देना होगा।
- पुलिस को हिरासत में लिए गए व्यक्ति के बारे में उसके परिवार को सूचना देनी होगी।
- महिलाओं के मामलों में महिला सिपाही की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
- नए कानून के तहत ट्रायल के दौरान गवाहों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दर्ज हो सकेंगे।
- 2027 से पहले सभी कोर्ट कम्प्यूरीकृत हो जाएंगे।
- भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) में बदलाव:
- BSA में कुल 170 धाराएं हैं, जबकि पहले 167 थीं।
- 6 पुरानी धाराएं हटा दी गई हैं और 2 नई धाराएं जोड़ी गई हैं।
- गवाहों की सुरक्षा के प्रावधान शामिल हैं।
- दस्तावेजों की तरह इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी मान्य होंगे।
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) में बदलाव:
- IPC की 511 धाराओं के मुकाबले BNS में 357 धाराएं हैं।
- महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
- मॉब लिंचिंग और संगठित अपराधों को कठोर सजा का प्रावधान।
- वैवाहिक बलात्कार के लिए नई धाराएं शामिल हैं।
- राजद्रोह के मामले को धारा 147-158 में परिभाषित किया गया है।
- मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है।
- चुनावी अपराधों के लिए नए प्रावधान।
नए कानूनों के लागू होने से न्यायिक प्रणाली में सुधार और आधुनिक तकनीकों के उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इससे न्यायिक प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज होगी।
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