New India Bank Scam: मुंबई की गलियों में इन दिनों एक बड़ा बैंक घोटाला सुर्खियों में है। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में ₹122 करोड़ की ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें झारखंड की एक गैंग ने मुख्य आरोपी हितेश मेहता को 50 प्रतिशत मुनाफे का लालच देकर ₹15 करोड़ की चपत लगाई। इस न्यू इंडिया बैंक घोटाले की जांच मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) कर रही है, और हाल ही में गिरफ्तार हुए पवन जायसवाल की पूछताछ से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
पवन जायसवाल को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में उसने बताया कि उसने अपने साथियों राजीव रंजन पांडे और अजय सिंह राठौर के साथ मिलकर हितेश मेहता को एक फर्जी निवेश योजना में फंसाया। इस गैंग ने मेहता को लुभाया कि अगर वे ₹15 करोड़ का निवेश करेंगे, तो उन्हें 50 प्रतिशत मुनाफा यानी ₹22 करोड़ से ज्यादा की रकम मिलेगी। मेहता इस लालच में आ गए और उन्होंने बैंक से ₹15 करोड़ निकालकर इस गैंग को सौंप दिए। EOW के मुताबिक, गैंग ने मेहता को बताया था कि यह पैसा किसी कंपनी के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड में निवेश किया जाएगा। लेकिन अब तक की जांच में ऐसा कोई निवेश होने का सबूत नहीं मिला है।
इस बैंक घोटाले की कहानी तब और गहरी हुई, जब EOW ने पाया कि ₹15 करोड़ निकालने से पहले मुंबई में एक गुप्त मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में हितेश मेहता, उलनाथ अरुणाचलम, मनोहर अरुणाचलम और झारखंड गैंग के लोग शामिल थे। मीटिंग में न्यू इंडिया बैंक घोटाले की पूरी योजना बनाई गई थी। तय हुआ कि बैंक से पैसे निकालकर बाजार में निवेश किए जाएंगे और मुनाफा कमाया जाएगा। योजना के तहत, मेहता और अरुणाचलम ने ₹15 करोड़ नकद निकाले और इसे अरुणाचलम के मुंबई ऑफिस में पांडे, राठौर और जायसवाल को सौंप दिया। EOW को शक है कि यह पैसा निजी लोगों को देना एक बड़ी आपराधिक साजिश का हिस्सा था।
जांच में यह भी सामने आया कि मेहता ने शुरुआत में सतारा के एक समूह से संपर्क किया था, जो ऐसी संदिग्ध डील्स के लिए जाना जाता है। लेकिन जब वहां बात नहीं बनी, तो उन्होंने झारखंड की इस गैंग से हाथ मिलाया। पैसे मिलने के बाद, पांडे और राठौर ने रकम को आपस में बांट लिया। पांडे ने जायसवाल को ₹3.5 करोड़ दिए, लेकिन जायसवाल यह साफ नहीं कर पाया कि उसने इस पैसे का इस्तेमाल कहां किया। EOW अब इसकी गहराई से जांच कर रही है और एक अन्य वांछित आरोपी अजय राठौर की तलाश में जुट गई है।
EOW की जांच से यह भी पता चला है कि मेहता को झारखंड गैंग से अब तक एक भी पैसा वापस नहीं मिला है। गैंग ने जो CSR फंड में निवेश का वादा किया था, वह सिर्फ एक जाल था। जांच अधिकारी अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ₹15 करोड़ का असल में क्या हुआ। क्या यह पैसा कहीं और डायवर्ट किया गया, या फिर गैंग ने इसे अपने निजी इस्तेमाल के लिए रख लिया? इस न्यू इंडिया बैंक घोटाले ने न सिर्फ बैंक की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि बड़े मुनाफे के लालच में लोगों के फंसने की कहानी को भी सामने लाया है।
इस मामले ने मुंबई के वित्तीय हलकों में हलचल मचा दी है। ₹122 करोड़ का यह बैंक घोटाला एक बड़ी साजिश का हिस्सा मालूम पड़ता है, जिसमें कई लोग शामिल हैं। EOW की जांच अभी जारी है, और आने वाले दिनों में और भी खुलासे होने की उम्मीद है। फिलहाल, यह मामला हर उस शख्स के लिए एक सबक है, जो आसान मुनाफे के वादों पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेता है।






























