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AI की दुनिया में नया मील का पत्थर: भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित किया मानव मस्तिष्क जैसा कंप्यूटिंग प्लेटफार्म

AI की दुनिया में नया मील का पत्थर: भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित किया मानव मस्तिष्क जैसा कंप्यूटिंग प्लेटफार्म

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में भारत के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी क्रांति की शुरुआत की है। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा अनोखा कंप्यूटिंग प्लेटफार्म विकसित किया है जो मानव मस्तिष्क की तरह कार्य करता है। इस प्लेटफार्म से न केवल कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की क्षमताओं में बढ़ोतरी होगी, बल्कि इसकी मदद से कंप्यूटिंग की गति भी तेज़ होगी और ऊर्जा की खपत में भी कमी आएगी। यह नई तकनीक AI उपकरणों के लिए एक नया अध्याय साबित हो सकती है, जिसे बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर नैनो साइंस एंड इंजीनियरिंग (CeNSE) में विकसित किया गया है।

IISc की तकनीक: मानव मस्तिष्क जैसी क्षमता

IISc के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क जैसा कंप्यूटिंग प्लेटफार्म विकसित किया है, जो मोलिक्यूलर फिल्म के भीतर कार्य करता है और मानव मस्तिष्क की तरह डेटा स्टोरेज और प्रोसेसिंग करने में सक्षम है। इस प्लेटफार्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह 16,500 से ज्यादा conductance states को संभाल सकता है, जो मौजूदा डिजिटल कंप्यूटिंग प्लेटफार्म के 0 और 1 के binary states से कहीं अधिक है। इस वजह से यह प्लेटफार्म न केवल तेज़ है, बल्कि इसकी ऊर्जा खपत भी कम होती है।

मौजूदा डिजिटल प्लेटफार्म को एक निश्चित प्रोग्रामिंग की जरूरत होती है, और ये बड़े पैमाने पर ऊर्जा का उपभोग करते हैं, जिससे AI आधारित कैलकुलेशन की गति धीमी होती है। लेकिन IISc के इस नवीनतम प्लेटफार्म के आने से AI के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। इस प्लेटफार्म को स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में आसानी से लागू किया जा सकता है, जिससे AI आधारित टूल्स और मशीन लर्निंग की प्रक्रिया भी तेज हो जाएगी।

मोलिक्यूलर डायरी और विशाल मेमोरी स्टेट्स

इस अद्वितीय तकनीक के निर्माण के दौरान, शोधकर्ताओं ने timed voltage pulses का उपयोग कर मोलिक्यूलर मूवमेंट्स को ट्रैक किया। इन मूवमेंट्स को एक-एक कर इलेक्ट्रिकल सिग्नल में परिवर्तित किया गया, जिससे एक विशाल “मोलिक्यूलर डायरी” बनाई गई। यह डायरी विभिन्न अवस्थाओं की जानकारी रखने में सक्षम थी, जिससे शोधकर्ता प्रत्येक मोलिक्यूलर मूवमेंट को ट्रैक कर सके।

मौजूदा डिजिटल उपकरणों के लिए जहां केवल उच्च और निम्न conductance states तक ही पहुंच संभव थी, वहां इस नए प्लेटफार्म ने शोधकर्ताओं को अनगिनत मध्यवर्ती अवस्था प्राप्त करने में मदद की। मस्तिष्क जैसा कंप्यूटिंग प्लेटफार्म इतनी सटीकता से काम करता है कि यह डेटा को स्टोर करने के साथ-साथ उसे प्रोसेस भी कर सकता है, वह भी एक ही स्थान पर। यह कार्यप्रणाली मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली की नकल करती है, जिससे यह उपकरण neuromorphic accelerator कहलाता है।

IISc की खोज और AI के भविष्य में योगदान

IISc की यह खोज पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास का परिणाम है, और इसने कई पुराने तकनीकी मुद्दों का समाधान करने में सफलता पाई है। इस प्लेटफार्म के माध्यम से AI उपकरणों की ऊर्जा खपत में भारी कमी की जा सकती है, जिससे उनके प्रदर्शन में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है। AI के क्षेत्र में अभी तक edge training, Generative Adversarial Networks (GANs), Long Short-Term Memory (LSTM) और Transformers जैसे उन्नत मॉडल्स का उपयोग किया जा रहा है। इस नई तकनीक के साथ, इन सभी मॉडलों का प्रदर्शन और भी बेहतर हो सकता है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह प्लेटफार्म AI की दुनिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, जिससे AI आधारित उपकरणों और टूल्स को और भी सुलभ और तेज़ बनाया जा सकता है। साथ ही, यह प्लेटफार्म मौजूदा सिलिकॉन सर्किट के साथ आसानी से एकीकृत किया जा सकता है, जिससे उनकी ऊर्जा दक्षता और प्रदर्शन में सुधार होगा।

IISc का यह नया मस्तिष्क जैसा कंप्यूटिंग प्लेटफार्म न केवल AI और कंप्यूटिंग की दुनिया में क्रांति ला सकता है, बल्कि इसका उपयोग स्मार्ट डिवाइसों में भी किया जा सकता है। इससे AI आधारित उपकरणों की गति बढ़ाने के साथ-साथ ऊर्जा की खपत भी कम होगी। यह भारत के वैज्ञानिकों द्वारा की गई एक अनोखी खोज है, जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कंप्यूटिंग की दुनिया में एक नया आयाम जोड़ेगी। आने वाले समय में यह तकनीक मानव मस्तिष्क जैसी क्षमताओं को कंप्यूटर में उतारने में सक्षम हो सकती है, जिससे AI उपकरणों की सीमाओं को एक नया आयाम मिलेगा।

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