महाराष्ट्र

New Rules for Child Safety in School Buses: शिक्षा विभाग का बड़ा कदम शराबी चालकों पर शिकंजा, स्कूल बस चालकों की साप्ताहिक, जीपीएस और सीसीटीवी अनिवार्य जांच

New Rules for Child Safety in School Buses: शिक्षा विभाग का बड़ा कदम शराबी चालकों पर शिकंजा, स्कूल बस चालकों की साप्ताहिक, जीपीएस और सीसीटीवी अनिवार्य जांच

New Rules for Child Safety in School Buses: मुंबई के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा अब पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत होने वाली है। स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूल बस चालकों (School Bus Drivers, स्कूल बस चालक) और परिवहन से जुड़े नियमों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। अब हर सप्ताह स्कूल बस चालकों की जांच होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी चालक शराब या नशीली दवाओं के प्रभाव में बस न चलाए। यह फैसला बच्चों की सुरक्षा (Child Safety, बच्चों की सुरक्षा) को प्राथमिकता देने के लिए लिया गया है, जो आज की युवा पीढ़ी और उनके माता-पिता के लिए एक राहत की खबर है।

शिक्षा विभाग ने नए नियम लागू किए हैं, जो राज्य के सभी स्कूलों पर लागू होंगे। इन नियमों के तहत स्कूल बस चालकों, सफाई कर्मचारियों और महिला सहायकों की सुबह और शाम, दिन में दो बार जांच होगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बस में कोई अनधिकृत व्यक्ति प्रवेश न करे। इसके अलावा, जो माता-पिता अपने बच्चों को निजी वाहनों से स्कूल भेजते हैं, उन्हें चालक की पूरी जानकारी स्कूल को देनी होगी। इसमें चालक की पृष्ठभूमि, ड्राइविंग इतिहास और किसी भी पिछले हादसे की जानकारी शामिल होगी। यह नियम न केवल स्कूल बसों, बल्कि निजी वाहनों से आने वाले बच्चों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है।

मुंबई में इस समय करीब छह हजार स्कूल बसें चल रही हैं। इन बसों में हर दिन लाखों बच्चे स्कूल आते-जाते हैं। शिक्षा विभाग ने इन बसों में जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया है। साथ ही, हर छह महीने में बसों का तकनीकी निरीक्षण और आरटीओ से प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि बसें तकनीकी रूप से सुरक्षित हैं और बच्चों को किसी तरह का खतरा न हो। स्कूलों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि शौचालयों और परिसर के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी हो, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

एक और महत्वपूर्ण नियम यह है कि प्रत्येक स्कूल बस में एक महिला परिचारिका (Female Attendant, महिला परिचारिका) का होना अनिवार्य होगा। यह नियम बच्चों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा, खासकर छोटे बच्चों के लिए, जो अक्सर बस में अकेले यात्रा करते हैं। इसके अलावा, बस में बैठने की क्षमता से ज़्यादा बच्चे नहीं होने चाहिए, ताकि भीड़भाड़ से होने वाले खतरे से बचा जा सके। स्कूल बस चालकों और सहायकों की साप्ताहिक जांच में शराब या नशीली दवाओं का सेवन पाए जाने पर सख्त कार्रवाई होगी। यह कदम बच्चों की सुरक्षा (Child Safety, बच्चों की सुरक्षा) को और मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

सरकार ने स्कूलों को अलर्ट सिस्टम लगाने का भी आदेश दिया है। इस सिस्टम के ज़रिए अगर कोई बच्चा अपनी बस में नहीं चढ़ता या स्कूल से लापता हो जाता है, तो स्कूल प्रबंधन को तुरंत सूचना मिलेगी। यह तकनीक माता-पिता और स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा के प्रति और ज़्यादा सतर्क रखेगी। स्कूल बस मालिक संघ के अध्यक्ष अनिल गर्ग ने बताया कि इन नियमों को लागू करने की ज़िम्मेदारी स्कूल प्रबंधन और प्रिंसिपल की होगी। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि परिवहन के दौरान बच्चों को किसी तरह का खतरा न हो।

कई बार स्कूल बस चालक दूसरे राज्यों से आते हैं, जिसके कारण उनका पुलिस सत्यापन कराना मुश्किल होता है। इस समस्या को हल करने के लिए स्कूल प्रिंसिपल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पाटिल ने सुझाव दिया कि आरटीओ और पुलिस को स्कूलों की मदद करनी चाहिए। इसके लिए सरकार ने एक जिला समिति बनाने का भी निर्देश दिया है, जो चालकों की जानकारी की जांच करेगी। यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि सभी चालक विश्वसनीय हों और बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो।

ये नए नियम न केवल बच्चों की सुरक्षा को बढ़ावा देंगे, बल्कि माता-पिता के मन में भी विश्वास जगाएंगे। स्कूल बसें बच्चों के लिए दूसरा घर होती हैं, जहां वे अपने स्कूल के सफर को सुरक्षित और आरामदायक बनाना चाहते हैं। शिक्षा विभाग का यह प्रयास आज की युवा पीढ़ी और उनके परिवारों के लिए एक सकारात्मक कदम है, जो यह दिखाता है कि बच्चों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है।

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