Nirahua Challenges Thackeray on Marathi Row: मुंबई की सड़कों पर इन दिनों एक नया बवाल मचा हुआ है। मराठी भाषा को लेकर चल रहा विवाद अब और गहरा गया है, और इस बार इस तूफान में भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार और बीजेपी नेता दिनेश लाल यादव, जिन्हें लोग प्यार से निरहुआ कहते हैं, कूद पड़े हैं। निरहुआ ने ठाकरे बंधुओं—उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे—को खुली चुनौती दी है। उनका कहना है, “मैं मराठी नहीं बोलता, भोजपुरी बोलता हूं। हिम्मत है तो मुझे महाराष्ट्र से निकालकर दिखाओ।” यह बयान ना सिर्फ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, बल्कि इसने मराठी भाषा विवाद को और हवा दे दी है।
यह सब तब शुरू हुआ, जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने मराठी न बोलने वाले कुछ लोगों के साथ मारपीट की। एक घटना में वर्ली के एक व्यापारी, सुशील केडिया के दफ्तर पर हमला हुआ, क्योंकि उन्होंने मराठी न बोलने को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी की थी। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ, और राज ठाकरे ने कहा कि मराठी बोलना तो होगा ही। इसके जवाब में निरहुआ ने 4 जुलाई 2025 को अपनी फिल्म ‘हमार नाम बा कन्हैया’ के प्रोमोशन के दौरान वाराणसी में पत्रकारों से बात की। उन्होंने कहा कि भारत की खूबसूरती उसकी भाषाओं की विविधता में है। मराठी, भोजपुरी, गुजराती, तमिल—हर भाषा की अपनी खासियत है। लेकिन इसे जबरदस्ती थोपना गलत है। यह गंदी राजनीति है, जो लोगों को बांटती है।
निरहुआ ने अपनी बात को और साफ करते हुए कहा कि वह महाराष्ट्र में रहते हैं, भोजपुरी बोलते हैं, और उन्हें इस पर गर्व है। उन्होंने ठाकरे बंधुओं से सवाल किया, “आप गरीब लोगों को क्यों निशाना बनाते हो? अगर हिम्मत है, तो मुझ पर हमला करो।” उनका यह बयान इतना तीखा था कि MNS के नेता यशस्वी किलेदार को सामने आना पड़ा। किलेदार ने जवाब दिया कि निरहुआ उत्तर प्रदेश में बैठकर बयानबाजी न करें, बल्कि महाराष्ट्र आएं। उन्होंने धमकी दी कि MNS कार्यकर्ता उन्हें सबक सिखाएंगे। इस तीखी नोकझोंक ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया। कुछ लोग निरहुआ के हक में खड़े हैं, तो कुछ मराठी संगठनों ने उनके बयान को भड़काऊ बताया।
निरहुआ की यह बात यहीं नहीं रुकी। गोरखपुर में अपनी फिल्म के प्रोमोशन के दौरान उन्होंने फिर दोहराया कि मराठी एक प्यारी भाषा है, जैसे भोजपुरी है। लेकिन किसी को भी अपनी भाषा थोपने का हक नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई दो-चार भाषाएं सीखना चाहता है, तो यह उसकी मर्जी है। लेकिन जबरदस्ती करना गलत है। निरहुआ ने यह भी कहा कि ऐसी राजनीति पहले भी हो चुकी है, और इसका हश्र सबने देखा है। भारत की ताकत उसकी अनेकता में एकता है, और इसे तोड़ने की कोशिश गलत है।
इस विवाद में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान भी सामने आया। उन्होंने कहा कि मराठी भाषा पर गर्व करना गलत नहीं है, लेकिन इसके नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं होगी। पुलिस ने वर्ली और मीरा रोड की घटनाओं में शामिल कुछ MNS कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, और मामला दर्ज किया गया। लेकिन यह विवाद सिर्फ सड़कों तक नहीं रहा। सोशल मीडिया पर भी लोग दो खेमों में बंट गए हैं। कुछ लोग निरहुआ के बयान को साहसी बता रहे हैं, जो हिंदी और भोजपुरी बोलने वालों की आवाज उठा रहा है। वहीं, कुछ का कहना है कि यह बयान मराठी भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है।
निरहुआ, जो आजमगढ़ से बीजेपी के पूर्व सांसद रह चुके हैं, पहले भी विवादों में रहे हैं। 2022 में उन्होंने आजमगढ़ उपचुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव को हराया था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उनकी फिल्म ‘हमार नाम बा कन्हैया’ 4 जुलाई 2025 को रिलीज हुई, और इसके प्रोमोशन के दौरान दिए गए इस बयान ने उन्हें फिर सुर्खियों में ला दिया। यह फिल्म भोजपुरी सिनेमा में बदलाव की कोशिश के तौर पर देखी जा रही है, और निरहुआ का कहना है कि यह परिवार के साथ देखने लायक है।
यह विवाद सिर्फ भाषा का नहीं है। यह उस शहर की आत्मा का सवाल है, जो हर संस्कृति और भाषा को गले लगाता है। मुंबई में रहने वाले लाखों लोग, चाहे वे भोजपुरी बोलें या हिंदी, गुजराती या तमिल, इस शहर को अपना घर मानते हैं। लेकिन मराठी भाषा विवाद ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि क्या भाषा हमें जोड़ेगी या बांटेगी। निरहुआ का यह बयान इस बहस को और गहरा रहा है।
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