मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए शादी से पहले Thalassemia test को अनिवार्य करने की घोषणा की है। गुरुवार को विधानसभा में जन स्वास्थ्य राज्य मंत्री मेघना बोर्डिकर ने इस साहसिक कदम का ऐलान किया, जिसका मकसद है इस गंभीर आनुवंशिक बीमारी को जड़ से खत्म करना। ये कदम न केवल स्वास्थ्य नीति में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि लाखों परिवारों को इस जानलेवा बीमारी से बचाएगा।
Thalassemia: खामोश खतरा!
Thalassemia एक ऐसी आनुवंशिक रक्त बीमारी है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन और स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) के निर्माण को रोकती है। अगर दोनों माता-पिता इस बीमारी के वाहक (थैलेसीमिया माइनर) हैं, तो उनके बच्चे को ये गंभीर बीमारी हो सकती है। इससे पीड़ित मरीजों को नियमित रक्त चढ़ाने (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) और आजीवन मेडिकल देखभाल की जरूरत पड़ती है। लेकिन अब, महाराष्ट्र सरकार इस बीमारी को अगली पीढ़ियों तक पहुंचने से रोकने के लिए कमर कस चुकी है!
विधानसभा में उठा मुद्दा
कांग्रेस विधायक विकास ठाकरे ने विधानसभा के प्रश्नकाल में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। उन्होंने मांग की कि शादी से पहले Thalassemia test को अनिवार्य किया जाए, ताकि इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सके। जवाब में मंत्री मेघना बोर्डिकर ने कहा, “हम जल्द ही ऐसा नियम लागू करेंगे, जिससे शादी से पहले Thalassemia test अनिवार्य हो जाएगी। ये एक गंभीर आनुवंशिक विकार है, और समय रहते इसकी जांच न हो तो ये अगली पीढ़ियों को प्रभावित कर सकता है।”
परभणी से शुरूआत, अब पूरे महाराष्ट्र में!
महाराष्ट्र सरकार ने परभणी जिले में थैलेसीमिया उन्मूलन के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था, जो शानदार रूप से सफल रहा। इसकी कामयाबी को देखते हुए अब इसे पूरे राज्य में लागू करने की योजना है। साथ ही, सरकार ने वादा किया है कि हर जिले में थैलेसीमिया ट्रीटमेंट सेंटर खोले जाएंगे, ताकि मरीजों को समय पर इलाज और जागरूकता मिल सके।
आंकड़ों का सच
महाराष्ट्र में 12,860 से अधिक थैलेसीमिया मरीज हैं, जो नियमित रक्तदान और चिकित्सा पर निर्भर हैं।
ये बीमारी तब होती है, जब दोनों माता-पिता से थैलेसीमिया जीन बच्चे में पहुंचता है।
समय रहते जांच और जागरूकता से इस बीमारी को रोका जा सकता है।
क्यों जरूरी है ये कदम?
Thalassemia एक लाइफ-लॉन्ग डिसऑर्डर है, जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं। मरीजों को बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन और महंगे इलाज से गुजरना पड़ता है। शादी से पहले जांच के जरिए
जोड़े ये जान सकेंगे कि क्या वे थैलेसीमिया माइनर हैं। अगर दोनों वाहक हैं, तो समझदारी से फैसला ले सकते हैं। अगली पीढ़ी को इस बीमारी से बचाया जा सकता है।
दुनिया भर में प्रचलन
दुनियाभर में थैलेसीमिया को खत्म करने के लिए जेनेटिक स्क्रीनिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। महाराष्ट्र का ये कदम इसे भारत में लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार का लक्ष्य है कि हर जिले में जागरूकता अभियान और इलाज की सुविधाएं हों, ताकि कोई भी इस बीमारी की चपेट में न आए।
क्या बदलेगा?
अनिवार्य टेस्ट: शादी से पहले थैलेसीमिया जांच जरूरी होगी।
जागरूकता: लोगों को इस बीमारी के बारे में सही जानकारी मिलेगी।
इलाज: ट्रीटमेंट सेंटर हर जिले में स्थापित किए जाएंगे।
रोकथाम: अगली पीढ़ियों को इस बीमारी से बचाने में मदद मिलेगी।
एक नई शुरुआत
महाराष्ट्र सरकार का ये कदम पब्लिक हेल्थ पॉलिसी में एक क्रांतिकारी पहल है। अगर ये नियम लागू होता है, तो ये न केवल थैलेसीमिया के प्रसार को रोकेगा, बल्कि लाखों बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचाएगा। ये लड़ाई अब सिर्फ इलाज की नहीं, बल्कि जागरूकता और नीति की है। आइए, इस पहल का स्वागत करें और एक स्वस्थ भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं।
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