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Anti-Immigration Protests Target Indians: ऑस्ट्रेलिया की सड़कों पर भारतीयों के खिलाफ प्रदर्शन, डाटा खोल रहा राज

Anti-Immigration Protests Target Indians: ऑस्ट्रेलिया की सड़कों पर भारतीयों के खिलाफ प्रदर्शन, डाटा खोल रहा राज

Anti-Immigration Protests Target Indians: ऑस्ट्रेलिया में रविवार को सड़कों पर हजारों लोग उतरे और आव्रजन विरोधी रैलियों में हिस्सा लिया। इन रैलियों को ‘मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया’ के नाम से आयोजित किया गया। सिडनी, मेलबर्न, ब्रिस्बेन, कैनबरा और अन्य शहरों में हुए इन प्रदर्शनों में भारतीय प्रवासियों को खास तौर पर निशाना बनाया गया। रैली में शामिल कुछ लोगों ने दावा किया कि भारतीय प्रवासियों की बढ़ती संख्या से ऑस्ट्रेलिया की संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है। लेकिन आंकड़े इस दावे को गलत साबित करते हैं।

‘मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया’ की वेबसाइट के मुताबिक, ये रैलियां ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर प्रवास को रोकने के लिए आयोजित की गईं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रवासियों की वजह से वहां की एकता और संसाधनों पर असर पड़ रहा है। रैली के लिए बांटे गए पर्चों में लिखा गया कि पिछले 5 साल में जितने भारतीय ऑस्ट्रेलिया आए, उतने 100 साल में ग्रीक और इटालियन प्रवासी भी नहीं आए। इस तरह के दावों ने भारतीय प्रवासियों को निशाना बनाने की कोशिश की।

लेकिन आंकड़े कुछ और कहानी बयां करते हैं। स्टैटिस्टा के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या में 33 फीसदी लोग अंग्रेज मूल के हैं और 29.9 फीसदी ऑस्ट्रेलियन। इसके अलावा 9.5 फीसदी आयरिश, 8.6 फीसदी स्कॉटिश, 5.5 फीसदी चीनी, 4.4 फीसदी इटालियन, 4 फीसदी जर्मन और सिर्फ 3.1 फीसदी भारतीय मूल के लोग हैं। ऑस्ट्रेलियाई आदिवासी 2.9 फीसदी और ग्रीक 1.7 फीसदी हैं। यानी भारतीय प्रवासी ऑस्ट्रेलिया की आबादी का बहुत छोटा हिस्सा हैं।

इन रैलियों में कुछ प्रदर्शनकारियों ने नस्लवादी नारे लगाए और भारतीयों को देश की समस्याओं का जिम्मेदार ठहराया। मेलबर्न और सिडनी में रैलियों के दौरान जवाबी प्रदर्शन भी हुए, जहां लोगों ने ऑस्ट्रेलिया की बहुसांस्कृतिक पहचान का समर्थन किया। मेलबर्न में पुलिस को प्रदर्शनकारियों और जवाबी प्रदर्शनकारियों को अलग करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा। सिडनी में 5,000 से 8,000 लोग रैली में शामिल हुए, जबकि कैनबरा और ब्रिस्बेन में भी सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे।

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने इन रैलियों की निंदा की है। सरकार का कहना है कि ये प्रदर्शन नस्लवाद और नफरत को बढ़ावा देने वाले हैं। गृह मंत्रालय ने साफ कहा कि ऑस्ट्रेलिया में सभी प्रवासियों को सुरक्षित और सम्मानित महसूस करने का हक है। रैलियों में कुछ नस्लवादी समूहों की मौजूदगी ने भी विवाद को और बढ़ाया। पुलिस अब इन प्रदर्शनों की निगरानी कर रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं कम हो सकें।

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