उपराष्ट्रपति पद का चुनाव इस बार बेहद रोचक होने जा रहा है। एनडीए ने जहां अपने उम्मीदवार के तौर पर दक्षिण भारत के सी.पी. राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है, वहीं INDIA गठबंधन ने भी बड़ा दांव खेलते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही प्रत्याशी दक्षिण भारत से आने वाले हैं, ऐसे में ये चुनाव अब “दक्षिण बनाम दक्षिण” की जंग बन गया है।
कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?
बी. सुदर्शन रेड्डी भारतीय न्यायपालिका का एक सम्मानित नाम हैं। उनका जन्म 8 जुलाई 1946 को हुआ। उन्होंने बी.ए. और एल.एल.बी. की पढ़ाई पूरी करने के बाद 27 दिसंबर 1971 को आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराया।
वकालत के शुरुआती दौर में वे रिट और सिविल मामलों में विशेषज्ञ रहे। 1988 से 1990 तक आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में सरकारी वकील रहे और बाद में केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में भी काम किया। वे उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील भी रहे।
उनका न्यायिक करियर बेहद गौरवशाली रहा –
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2 मई 1995 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बने।
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5 दिसंबर 2005 को गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए।
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12 जनवरी 2007 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने।
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8 जुलाई 2011 को सेवानिवृत्त हुए।
विपक्ष का दांव और नेताओं की प्रतिक्रिया
पूर्व जस्टिस रेड्डी के नाम की घोषणा करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उन्हें भारत के सबसे सम्मानित कानूनविदों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि रेड्डी ने गुवाहाटी और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में भी न्यायिक सेवा दी और हमेशा संवैधानिक मूल्यों को प्राथमिकता दी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी उनकी उम्मीदवारी को “मूल्यों की लड़ाई” बताया और कहा कि रेड्डी ने अपने करियर में न्याय और निष्पक्षता को सर्वोपरि रखा है। जानकारी के मुताबिक, बी. सुदर्शन रेड्डी 21 अगस्त को अपना नामांकन दाखिल करेंगे।
चुनाव क्यों है खास?
ये चुनाव सिर्फ उपराष्ट्रपति पद तक सीमित नहीं है, बल्कि ये विचारधाराओं की टक्कर भी माना जा रहा है। एनडीए और विपक्ष, दोनों ने ही दक्षिण भारत से प्रत्याशी उतारकर ये साफ कर दिया है कि इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन और वैचारिक ध्रुवीकरण भी अहम भूमिका निभाएगा।