Virar Building Collapse Kills 17: विरार के नारंगी रोड पर चामुंडा नगर और विजय नगर के बीच बनी रामाबाई अपार्टमेंट में 26 अगस्त 2025 की रात करीब 12:05 बजे एक बड़ा हादसा हुआ। चार मंजिला इमारत का पिछला हिस्सा अचानक ढह गया, जिसके मलबे में कई लोग दब गए। इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई, जिनमें छह महिलाएं, आठ पुरुष और तीन बच्चे शामिल थे। हादसे के समय इमारत की चौथी मंजिल पर एक साल की बच्ची उत्कर्षा जोविल का जन्मदिन मनाया जा रहा था। इस खुशी का माहौल पलभर में मातम में बदल गया।
पुलिस और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। लेकिन इमारत के आसपास की तंग गलियां और बगल की दूसरी इमारतों ने बचाव कार्य को मुश्किल बना दिया। शुरुआत में मलबा हटाने का काम हाथों से करना पड़ा क्योंकि भारी मशीनें जैसे जेसीबी वहां तक नहीं पहुंच सकीं। बाद में 10-12 पास की झुग्गियों को तोड़कर रास्ता बनाया गया, तब जाकर मशीनें मलबे तक पहुंचीं। इस देरी की वजह से कई जिंदगियां बचाने का मौका शायद गंवा दिया गया।
रामाबाई अपार्टमेंट 2012 में बनी थी और इसे वसई-विरार नगर निगम (वीवीएमसी) ने अनधिकृत घोषित किया था। मई 2025 में इस इमारत को नोटिस भी जारी किया गया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों का कहना है कि इमारत की हालत पहले से खराब थी। पिछले हफ्ते सीढ़ियां टूटने की घटना भी हुई थी, लेकिन बिल्डर ने कोई मरम्मत नहीं की। इस इमारत में करीब 50 फ्लैट थे, जिनमें से 12 फ्लैट इस हादसे में पूरी तरह नष्ट हो गए।
हादसे के बाद बिल्डर नितल साने को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उनके खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। जांच में पता चला कि इमारत में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ था। स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं ने नगर निगम पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि 13 साल तक इस इमारत को क्यों नहीं हटाया गया। नगर निगम के अधिकारियों ने जवाब में कहा कि तकनीकी ऑडिट की कमी की वजह से कार्रवाई में देरी हुई। लेकिन लोग इसे बहाना मान रहे हैं।
हादसे में जोविल और निवालकर जैसे कई परिवार पूरी तरह बिखर गए। मरने वालों में एक साल की उत्कर्षा जोविल और उनकी 24 साल की मां आरती जोविल भी शामिल थीं। बचाव कार्य 38 घंटे तक चला, जिसमें स्निफर डॉग्स की मदद भी ली गई। नौ लोगों को जिंदा निकाला गया, लेकिन कई को बचाया नहीं जा सका। पास की झुग्गियों को खाली करवाकर लोगों को चंदनसर समाज मंदिर में ठहराया गया, जहां उनके लिए खाना, पानी और मेडिकल सुविधाएं दी जा रही हैं।
यह हादसा वसई-विरार में अनधिकृत और जर्जर इमारतों की बड़ी समस्या को सामने लाया है। लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि ऐसी इमारतों को हटाने के लिए और कितने हादसों का इंतजार करना होगा।