ऑनटीवी स्पेशल

Open Jail in India: ऐसी जेल जहां सुबह उठकर नौकरी पर जाते हैं कैदी, न सलाखें और न लगते हैं ताले

Open Jail in India
Image Source - Web

Open Jail in India: क्या आपने कभी ऐसी जेल के बारे में सुना है, जहां कैदियों को न तो सलाखों के पीछे रखा जाता है, न ताले लगाए जाते हैं, और वे सुबह उठकर नौकरी पर भी जा सकते हैं? भारत में ओपन जेल (Open Jail) का यही अनोखा मॉडल है, जो परंपरागत जेलों से बिलकुल अलग है। इन जेलों का उद्देश्य कैदियों को सुधारना और समाज में वापस लाने की प्रक्रिया को आसान बनाना है।

ओपन जेल, जिसे हिंदी में “खुली जेल” भी कहते हैं, कैदियों के पुनर्वास का एक अनोखा उदाहरण है। इस मॉडल में कैदियों को ज्यादा स्वतंत्रता दी जाती है, जिससे वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें।

क्या होती है ओपन जेल?
ओपन जेल (Open Jail) भारत की जेल व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां केवल उन्हीं कैदियों को रखा जाता है, जिनका व्यवहार अच्छा होता है और जिन्होंने जेल के नियमों का पालन किया होता है। इन जेलों में कैदियों को दिनभर काम करने की अनुमति दी जाती है। वे सुबह उठते हैं, अपने काम पर जाते हैं, और शाम होते ही वापस जेल में लौट आते हैं। सबसे खास बात ये है कि इन जेलों में न तो सलाखें होती हैं, न ताले, और न ही भारी सुरक्षा। कैदियों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराया जाता है और उन पर भरोसा किया जाता है।

भारत में ओपन जेल का इतिहास
भारत में ओपन जेल का इतिहास 1905 से शुरू हुआ, जब ब्रिटिश शासन के दौरान पहली बार मुंबई में इसे स्थापित किया गया। इसका उद्देश्य था, जेल में अच्छे व्यवहार वाले कैदियों को बेहतर माहौल देना, ताकि वे सुधार की प्रक्रिया से गुजर सकें।

आजादी के बाद भी ये व्यवस्था जारी रही और धीरे-धीरे भारत के विभिन्न राज्यों में ओपन जेलों की स्थापना की गई। इनमें राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ऐसी जेलें प्रमुख रूप से मौजूद हैं।

कैसे होता है कैदियों का चयन?
ओपन जेल में केवल उन्हीं कैदियों को भेजा जाता है, जो गंभीर अपराधों में लिप्त न हों और जिन्होंने जेल में अच्छा आचरण दिखाया हो। जिन कैदियों का व्यवहार सेंट्रल जेल (Central Jail) में अच्छा होता है, उन्हें इस विशेष जेल में ट्रांसफर कर दिया जाता है। ये एक तरह से उन्हें सुधारने और समाज में वापस लाने का एक कदम है।

कैदियों को क्या सुविधाएं मिलती हैं?
ओपन जेलों में कैदियों को कई सुविधाएं दी जाती हैं, जो उन्हें परंपरागत जेलों से अलग बनाती हैं। जैसे –
काम की आजादी: कैदी बाहर जाकर नौकरी कर सकते हैं या खेती जैसे कार्यों में शामिल हो सकते हैं।
सुरक्षा का अभाव: इन जेलों में सुरक्षा बेहद कम होती है। ये विश्वास पर आधारित मॉडल है।
सलाखों और तालों का न होना: कैदियों को अपनी कोशिकाओं में बंद नहीं किया जाता।

ओपन जेल का उद्देश्य
ओपन जेल का मुख्य उद्देश्य कैदियों को समाज में फिर से शामिल करना और उन्हें बेहतर इंसान बनाना है। जब एक कैदी जिम्मेदारी समझता है और आत्मनिर्भर बनता है, तो उसके लिए समाज में वापस लौटना आसान हो जाता है।

ये मॉडल न केवल कैदियों को सुधारता है, बल्कि ये सरकार के लिए भी लाभकारी है। ओपन जेलों का संचालन पारंपरिक जेलों की तुलना में किफायती है, क्योंकि सुरक्षा पर कम खर्च होता है।

भारत में कितनी तरह की जेलें होती हैं?
भारत में कुल 8 तरह की जेलें होती हैं। इनमें सेंट्रल जेल, जिला जेल, उप-जेल (Sub Jail), और ओपन जेल प्रमुख हैं।
सेंट्रल जेल (Central Jail): ये मुख्य जेल होती है, जहां खूंखार अपराधियों को रखा जाता है।
जिला जेल (District Jail): जिले स्तर पर बनाई गई जेलें।
ओपन जेल (Open Jail): अच्छे व्यवहार वाले कैदियों के लिए।
इन जेलों की संरचना और उद्देश्य अलग-अलग होते हैं, लेकिन सभी का मुख्य उद्देश्य अपराधियों को सुधारना और समाज में उनकी पुनर्वापसी सुनिश्चित करना है।

ओपन जेल का भविष्य
आज के समय में ओपन जेल का मॉडल समाज के लिए एक प्रेरणा है। ये दिखाता है कि विश्वास और जिम्मेदारी से कैदियों को बेहतर इंसान बनाया जा सकता है। यदि इस मॉडल को और अधिक राज्यों में अपनाया जाए, तो ये न केवल जेलों के भीड़भाड़ की समस्या को कम करेगा, बल्कि कैदियों के पुनर्वास को भी सुगम बनाएगा।

ये भी पढ़ें: कोई देश अरबों का कर्ज लौटाने से इनकार कर दे तो उसका क्या होता है? ये रहा जवाब

You may also like