Operation Abhyas: भारत के इतिहास में कुछ क्षण ऐसे होते हैं, जब देश एकजुट होकर अपनी ताकत और तैयारियों को प्रदर्शित करता है। 7 मई 2025 को महाराष्ट्र में ऐसा ही एक ऐतिहासिक पल देखने को मिला, जब ऑपरेशन अभ्यास (Operation Abhyas) के तहत 10,000 स्वयंसेवकों ने सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल में हिस्सा लिया। यह अभ्यास न केवल सुरक्षा तैयारियों को परखने का एक प्रयास था, बल्कि यह भी संदेश देता था कि भारत किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। इस लेख में हम इस अभ्यास के हर पहलू को सरल और रोचक तरीके से समझेंगे, जो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक और जानकारी से भरपूर है।
महाराष्ट्र, जो भारत का एक प्रमुख आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र है, ने इस अभ्यास में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। मुंबई, कल्याण, पुणे, नासिक, उरण, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग और पालघर के तरापुर जैसे शहरों में यह मॉक ड्रिल आयोजित की गई। इन स्थानों पर हवाई हमले की स्थिति, बिजली कटौती, और बचाव कार्यों का अनुकरण किया गया। खास बात यह थी कि यह अभ्यास केवल सरकारी एजेंसियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें आम नागरिकों, स्कूल-कॉलेज के छात्रों, और स्वयंसेवी संगठनों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह एक ऐसा दृश्य था, जो यह दिखाता था कि देश की सुरक्षा में हर व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है।
मुंबई के क्रॉस मैदान में दोपहर 4 बजे सायरन की आवाज गूंजी। यह सायरन एक काल्पनिक हवाई हमले का संकेत था। जैसे ही सायरन बजा, सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों ने क्षेत्र को घेर लिया। अग्निशमन दल ने आग बुझाने का अभ्यास किया, जबकि पैरामेडिक्स ने घायलों को अस्पताल पहुंचाने का अनुकरण किया। इस दौरान अचानक बारिश और तूफान ने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया, लेकिन स्वयंसेवकों ने हार नहीं मानी। सिविल डिफेंस डायरेक्टर प्रभात कुमार ने बताया कि इस ड्रिल में प्रतिक्रिया समय केवल तीन मिनट था, जो वास्तविक स्थिति की तरह ही प्रभावी था। इस अभ्यास ने न केवल तैयारियों को परखा, बल्कि कमियों को सुधारने का मौका भी दिया।
इस सिविल डिफेंस ड्रिल (Civil Defence Drill) में मुंबई के अलावा अन्य शहरों ने भी अपनी ताकत दिखाई। कल्याण के नूतन हाई स्कूल, नासिक के गंगापुर रोड, पुणे के काउंसिल हॉल, उरण के पंचायत कार्यालय, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग के तहसील कार्यालय, और तरापुर में भी यही उत्साह देखने को मिला। विशेष रूप से, मुंबई के अनुशक्ति नगर और तरापुर के परमाणु अनुसंधान केंद्र में रात 8 बजे बिजली कटौती का अनुकरण किया गया। यह एक ऐसी स्थिति थी, जो युद्ध जैसी परिस्थितियों में दुश्मन के हमलों को मुश्किल बनाने के लिए अपनाई जाती है। इन सभी गतिविधियों ने यह साबित किया कि महाराष्ट्र न केवल बड़े शहरों में, बल्कि छोटे कस्बों तक सुरक्षा के लिए तैयार है।
इस अभ्यास में 10,000 स्वयंसेवकों की भागीदारी ने इसे और भी खास बना दिया। मुंबई में BMC आपदा प्रबंधन, NDRF, अग्निशमन दल, मुंबई पुलिस, NCC, और NSS जैसे संगठनों ने एकजुट होकर काम किया। इसके अलावा, बॉम्बे हॉस्पिटल और सिविक संचालित नायर हॉस्पिटल ने भी इस ड्रिल में हिस्सा लिया। HAM रेडियो का उपयोग करके संचार की व्यवस्था को भी परखा गया, जो आपात स्थिति में महत्वपूर्ण होता है। यह सब देखकर यह स्पष्ट था कि ऑपरेशन अभ्यास (Operation Abhyas) केवल एक ड्रिल नहीं, बल्कि एक सामूहिक प्रयास था, जिसमें हर व्यक्ति ने अपनी जिम्मेदारी निभाई।
यह अभ्यास उस समय हुआ, जब भारत और पड़ोसी देश के बीच तनाव बढ़ रहा था। हाल के महीनों में कुछ घटनाओं ने देश की सुरक्षा को और मजबूत करने की जरूरत को रेखांकित किया था। प्रभात कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस तरह के अभ्यास का उद्देश्य नागरिकों को युद्ध जैसी परिस्थितियों के लिए तैयार करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर सायरन बजे या बिजली कटौती हो, तो लोगों को घबराना नहीं चाहिए। इसके बजाय, उन्हें यह जानना चाहिए कि ऐसी स्थिति में क्या करना है। यह संदेश नई पीढ़ी के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो तकनीक और सोशल मीडिया के युग में तेजी से बदल रही दुनिया का हिस्सा है।
महाराष्ट्र में यह ड्रिल केवल एक दिन का आयोजन नहीं था। यह एक शुरुआत थी। आने वाले दिनों में और भी मॉक ड्रिल आयोजित किए जाने की संभावना है। यह न केवल सुरक्षा बलों की तैयारियों को मजबूत करेगा, बल्कि आम नागरिकों में भी जागरूकता बढ़ाएगा। आज की युवा पीढ़ी, जो अपने भविष्य को लेकर उत्साहित है, इस तरह के आयोजनों से यह सीख सकती है कि देश की सुरक्षा में उनकी भी भूमिका है। जब 10,000 स्वयंसेवक एक साथ आकर इस अभ्यास को सफल बनाते हैं, तो यह एक संदेश देता है कि एकता और तैयारी ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
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