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Operation Sindoor: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना ने PoJK में आतंकी ठिकानों को किया ध्वस्त

Operation Sindoor: 'ऑपरेशन सिंदूर' भारतीय सेना ने PoJK में आतंकी ठिकानों को किया ध्वस्त

भारत ने एक ऐसी सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसने न केवल देश की सुरक्षा के प्रति उसकी दृढ़ता को दर्शाया, बल्कि वैश्विक मंच पर भी एक मजबूत संदेश दिया। भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह कार्रवाई पाहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी। इस लेख में हम इस ऑपरेशन के महत्व, इसके पीछे की रणनीति और इसके प्रभावों को सरल और आकर्षक तरीके से समझेंगे।

पिछले महीने पाहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। यह हमला जम्मू-कश्मीर के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक पर हुआ, जहां निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया। इस घटना ने भारत सरकार और सेना को त्वरित और कठोर कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। रक्षा मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) का उद्देश्य उन आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था, जहां से भारत के खिलाफ हमलों की साजिश रची जाती थी। इस कार्रवाई में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर सटीक हथियारों और उन्नत तकनीक का उपयोग किया।

ऑपरेशन सिंदूर की खासियत इसकी सटीकता और संयमित दृष्टिकोण में थी। भारत ने यह सुनिश्चित किया कि हमले केवल आतंकी ठिकानों तक सीमित रहें और पाकिस्तान के किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना न बनाया जाए। रक्षा मंत्रालय ने इसे “संयमित और गैर-उत्तेजक” कार्रवाई करार दिया, जिसका उद्देश्य आतंकवाद को जड़ से खत्म करना था, न कि युद्ध को बढ़ावा देना। इस ऑपरेशन में कोटली, मुजफ्फराबाद और बहावलपुर जैसे क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जो जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के गढ़ माने जाते हैं।

इस कार्रवाई का समय भी बेहद महत्वपूर्ण था। यह हमला उस दिन हुआ, जब भारत में देशव्यापी नागरिक रक्षा अभ्यास की तैयारी चल रही थी। यह अभ्यास 244 जिलों में आयोजित किया जाना था, जो 1971 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हो रहा था। इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर रही थी। इन सभी गतिविधियों ने भारत की रणनीतिक तैयारी और सैन्य ताकत को उजागर किया।

आतंकी ठिकानों पर हमला (Attack on Terror Camps) करने के बाद पाकिस्तान ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर के भिंबर गली में संघर्ष विराम का उल्लंघन किया और तोपखाने से गोलीबारी शुरू कर दी। भारतीय सेना ने इसका जवाब “उचित और संतुलित” तरीके से दिया। इसके अलावा, पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को 48 घंटों के लिए बंद कर दिया, जिसके कारण उत्तरी भारत के कई हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इस तनावपूर्ण माहौल में दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया, लेकिन भारत ने अपनी कार्रवाई को स्पष्ट रूप से आतंकवाद विरोधी बताया।

इस ऑपरेशन ने न केवल भारत की सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि वैश्विक समुदाय का ध्यान भी आकर्षित किया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि यह तनाव जल्द खत्म होगा। उन्होंने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील की। रूस ने भी 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र के आधार पर दोनों पक्षों को तनाव कम करने की सलाह दी।

भारत के इस कदम ने देश के भीतर भी व्यापक समर्थन हासिल किया। विपक्षी नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की और इसे पाहलगाम हमले का उचित जवाब बताया। सोशल मीडिया पर भारतीय सेना की इस कार्रवाई को “न्याय की जीत” के रूप में देखा गया। भारतीय सेना ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, “न्याय हुआ। जय हिंद!” यह नारा न केवल सैनिकों के जज्बे को दर्शाता है, बल्कि देशवासियों के दिलों में गर्व की भावना भी जगाता है।

आतंकी ठिकानों पर हमला (Attack on Terror Camps) करने का भारत का यह कदम इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में दर्ज होगा। यह ऑपरेशन न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि देश अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। भारतीय सेना की इस कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह न केवल हमले के लिए तैयार है, बल्कि जीत के लिए प्रशिक्षित भी है।

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