Owaisi Becomes Voice of Muslim Voters: मुंबई के भायखला इलाके में एक ऐतिहासिक रैली के दौरान मुंबई का ओवैसी तूफान (Owaisi’s Mumbai Storm) ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने बेबाक अंदाज में कई ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर बात की, जिसने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी।
धार्मिक राजनीति का नया मोड़
मुंबई का ओवैसी तूफान (Owaisi’s Mumbai Storm) भायखला की सड़कों पर सिर्फ एक रैली नहीं थी, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय था। ओवैसी ने देवेंद्र फड़नवीस के ‘वोट जिहाद’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जिहाद का वास्तविक अर्थ समझे बिना इस शब्द का इस्तेमाल करना गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक शब्दों का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करना कितना खतरनाक हो सकता है।
वक्फ बोर्ड विवाद और संवैधानिक चुनौतियां
वक्फ बोर्ड बिल पर ओवैसी ने गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अगर संसद में AIMIM के महज तीन सांसद होते, तो यह बिल कभी नहीं आता। उन्होंने बताया कि कैसे 200 साल पुरानी मस्जिदों और दरगाहों के दस्तावेज मांगना एक तरह से इन धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की कोशिश है। ओवैसी ने हाजी अली दरगाह का उदाहरण देते हुए कहा कि कल कोई इस पर भी दावा कर सकता है।
जनसंख्या का मुद्दा और राजनीतिक बयानबाजी
मुस्लिम वोटर्स की आवाज बने ओवैसी (Owaisi Becomes Voice of Muslim Voters) ने प्रधानमंत्री मोदी के जनसंख्या संबंधी बयानों का जवाब देते हुए कई सवाल उठाए। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के मंगलसूत्र और बच्चों की संख्या पर दिए गए बयानों को चुनौती दी। ओवैसी ने पूछा कि जब प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के परिवार की बात आती है, तो वे इन सवालों से क्यों बचते हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में नई चुनौतियां
रैली में ओवैसी ने महाराष्ट्र की राजनीति के दोनों प्रमुख गठबंधनों – महायुति और महाविकास अघाड़ी की कड़ी आलोचना की। उन्होंने खास तौर पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना पर निशाना साधा, जिनके सांसद वक्फ बोर्ड बिल के वक्त संसद से गायब थे। ओवैसी ने कहा कि अब वही लोग कह रहे हैं कि यह ठाकरे नहीं, वह ठाकरे अच्छा है, जो दिखाता है कि राजनीति में सिद्धांतों की जगह सत्ता का खेल ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
धार्मिक भावनाओं का सम्मान और राजनीतिक जवाबदेही
ओवैसी ने पैगंबर मोहम्मद के अपमान के मुद्दे पर भी गंभीर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि जब इस मामले में आवाज उठाने की जरूरत थी, तब सिर्फ इम्तियाज जलील ने हिम्मत दिखाई और औरंगाबाद से मुंबई तक मोर्चा निकाला। उन्होंने कहा कि जो लोग आज AIMIM पर वोट काटने का आरोप लगा रहे हैं, वे तब कहां थे जब समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची थी।
मुस्लिम समुदाय की आवाज और भविष्य की राजनीति
ओवैसी ने मुस्लिम समुदाय से एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर समुदाय की आवाज संसद में मजबूती से नहीं उठी, तो धार्मिक स्थलों और संपत्तियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे मोदी, फड़नवीस और शिंदे की राजनीति को हराएं, क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है जिससे समुदाय के हितों की रक्षा हो सकती है।
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