PFI revelation: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इन खुलासों से पता चलता है कि पीएफआई का विदेशों में बड़ा नेटवर्क है और वह भारत के खिलाफ कई गंभीर गतिविधियों में शामिल है।
पीएफआई का खुलासा (PFI revelation) ने देश को हिला कर रख दिया है। ईडी की जांच में पता चला है कि यह संगठन सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अपना जाल फैलाए हुए है। पीएफआई का खुलासा (PFI revelation) बताता है कि इस संगठन के सिंगापुर और खाड़ी देशों में 13,000 से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं। ये सदस्य वहां रहने वाले गैर-निवासी मुसलमानों से पैसे इकट्ठा करते हैं।
ईडी ने बताया कि पीएफआई ने विदेशों में पैसे जुटाने के लिए एक खास समिति बनाई है। इस समिति को डिस्ट्रिक्ट एग्जेक्यूटिव कमेटी (DEC) कहा जाता है। DEC को करोड़ों रुपये जुटाने का लक्ष्य दिया गया है। यह पैसा भारत में पीएफआई की गैरकानूनी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
जांच में यह भी पता चला है कि पीएफआई अपने असली मकसद को छिपाता है। वह खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता है। लेकिन असल में, उसका मकसद भारत में जिहाद के जरिए इस्लामी राज्य स्थापित करना है। यह बात पीएफआई के दावों से बिल्कुल अलग है।
ईडी ने पीएफआई की कई संपत्तियों को भी जब्त किया है। कुल 35 संपत्तियां जब्त की गई हैं, जिनकी कीमत करीब 57 करोड़ रुपये है। इन संपत्तियों में कई ट्रस्ट, कंपनियां और निजी संपत्तियां शामिल हैं। ये सभी संपत्तियां पीएफआई से जुड़े लोगों के नाम पर थीं।
पीएफआई के बारे में एक और चौंकाने वाला खुलासा यह है कि वह भारत में गृहयुद्ध की तैयारी कर रहा था। ईडी ने बताया कि पीएफआई हवाई हमले और गोरिल्ला युद्ध की योजना बना रहा था। इसके लिए वह एक अलग संचार प्रणाली भी तैयार कर रहा था।
पीएफआई की विदेशी गतिविधियां (PFI’s foreign activities) सिर्फ पैसे जुटाने तक ही सीमित नहीं थीं। संगठन के सदस्यों को कई खतरनाक काम करने के निर्देश दिए गए थे। इनमें अधिकारियों को परेशान करना, उन्हें धोखा देना, और यहां तक कि नकली अंतिम संस्कार करना भी शामिल था। इन सब का मकसद था दुनिया के सामने एक गलत तस्वीर पेश करना।
पीएफआई का एक बड़ा लक्ष्य भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करना था। इसके लिए वह कानूनों को तोड़ने, दोहरी पहचान रखने और यहां तक कि भारत के अंदर एक समानांतर सरकार चलाने की कोशिश कर रहा था। इतना ही नहीं, पीएफआई भारत के गुप्त एजेंटों की पहचान उजागर करने की भी कोशिश कर रहा था।
ईडी ने पीएफआई पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इनमें फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में हिंसा भड़काने का आरोप भी शामिल है। इसके अलावा, हाथरस में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने और आतंक फैलाने का भी आरोप है।
पीएफआई की योजनाओं में आतंकवादी समूह बनाना भी शामिल था। इसके लिए वह घातक हथियार और विस्फोटक सामग्री जमा कर रहा था। उसकी योजना थी कि महत्वपूर्ण जगहों और बड़ी हस्तियों पर हमला किया जाए।
इन सभी गतिविधियों के लिए पीएफआई विदेशों से पैसा जुटा रहा था। ईडी ने पाया कि पीएफआई के 29 खातों में देश और विदेश से फंड आया था। यह पैसा डमी फर्मों के जरिए और हवाला के रास्ते भेजा जा रहा था।
ईडी की जांच फरवरी 2021 से चल रही थी। इस दौरान उसने पीएफआई से जुड़े 26 लोगों को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि पीएफआई ने अब तक 94 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भी पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की है। उसने पीएफआई के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। NIA ने 17 संपत्तियों को ‘आतंकवाद से कमाई गई आय’ के रूप में पहचान कर जब्त किया है।
ये सभी खुलासे बताते हैं कि पीएफआई एक बहुत ही खतरनाक संगठन था। उसकी गतिविधियां न सिर्फ भारत की सुरक्षा के लिए खतरा थीं, बल्कि पूरे देश की एकता और अखंडता के लिए भी बड़ा खतरा थीं। ईडी और NIA की कार्रवाई से इस खतरे को रोका गया है।
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